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क्या अगले पांच साल होंगे और ज्यादा गर्म?

३१ जनवरी २०२०

वैश्विक समझौते के तहत दुनिया के देशों ने दीर्घकालीन औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5-2 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था. लेकिन तापमान लगातार बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है.

Symbolbild Globus
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/S. Ziese

दुनिया भर के अधिकार समूह और शोधकर्ता वैश्विक तापमान को लेकर चिंता जाहिर करते आए हैं. इन्हीं चिंताओं के बीच ब्रिटेन के मौसम विभाग ने कहा है कि अगले पांच साल सबसे ज्यादा गर्म हो सकते हैं और यह पेरिस समझौते के तहत 2024 तक धरती का तापमान दो डिग्री सेल्सियस कम करने के संकल्प के बावजूद होगा.

पहले से ही वैज्ञानिक चेतावनी देते आए हैं कि पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री या संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का जो लक्ष्य है, वह काफी चुनौतीपूर्ण होगा. ब्रिटेन के मौसम विभाग ने निकटवर्ती जलवायु रुझानों की भविष्यवाणी करते हुए एक नियमित "दशकीय पूर्वानुमान" में कहा कि 2020-2024 के बीच यह तापमान हर साल 1.06 से 1.62 डिग्री सेल्सियस की गति से बढ़ सकता है.

ब्रिटेन के मौसम विभाग का कहना है कि इस अवधि में 2016 का रिकॉर्ड टूटने की संभावना है. ब्रिटेन के मौसम विभाग के विश्लेषक डग स्मिथ के मुताबिक, "अगले पांच साल को लेकर हमारी भविष्यवाणी यह बताती है कि हर साल के साथ तापमान बढ़ेगा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी वृद्धि होगी. पूर्वानुमान के भीतर अनिश्चितताएं मौजूद हैं, लेकिन बहुत सारे क्षेत्र अधिक गर्म होंगे और पूर्वानुमान पैटर्न सुझाव देते हैं कि धरती पर तापमान बढ़ेगा, खासतौर पर यूरोप के उत्तरी भाग, एशिया और उत्तरी अमेरिका."

पूर्वानुमान में कहा गया है कि औसत तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.15-1.46 डिग्री सेल्सियस के ऊपर रह सकता है. 2015-2019 के बीच वैश्विक तापमान में 1.09 डिग्री की बढ़ोत्तरी हुई है और इस अवधि में सभी साल में गर्मी में बढ़त दर्ज की गई है. पिछले साल ही कई देशों में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किए गए, जिसमें उत्तरी यूरोप भी शामिल हैं. वैज्ञानिकों का कहना था तापमान में वृद्धि का कारण जलवायु परिवर्तन है.

पेरिस समझौते के तहत देशों को तापमान 2 डिग्री के भीतर सीमित रखने का लक्ष्य है. इसी समझौते के तहत देशों से ग्रीन हाउस गैसों में कटौती को कहा गया था. सिर्फ एक डिग्री तापमान बढ़ने से धरती पर जंगलों में आग, सूखा, तूफान और समुद्र के बढ़ते स्तर को झेला है और यह सिर्फ जलवायु परिवर्तन में बदलाव का नतीजा है. कई शोध भी कह चुके हैं कि वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रखा जाता है तो यह पूरी पीढ़ी के भविष्य के स्वरूप पर असर डालेगा.

एए/आरपी (एएफपी)

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