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समाज

दिल्ली के ट्रैफिक सिग्नल पर अनोखा "युद्ध"

१३ नवम्बर २०२०

दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ एक अभियान चल रहा है. सड़क पर लाल बत्ती होने पर लोगों से गाड़ी बंद करने को कहा जा रहा है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Vatsyayana

दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हर साल अक्टूबर से लेकर फरवरी तक प्रदूषण का अतिरिक्त बोझ रहता है. इस दौरान लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. इस समस्या का कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है. इसलिए समस्या गंभीर हो जाने पर प्रदूषण के खिलाफ राज्य की सरकारें फौरी कदम उठाती हैं और आम लोगों से भी उपाय अपनाने और उनका पालन करने को कहती है. ऐसा ही कुछ इस समय भारत की राजधानी में हो रहा है.

राजधानी दिल्ली के एक चौराहे पर खड़े 22 साल के रेहान सैफ के हाथों में एक तख्ती है. जिसपर लिखा है-रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ. इसका मतलब है कि दिल्ली में आप कहीं जा रहे हैं और रास्ते में सिग्नल लाल हो जाए तो आपको तुरंत अपनी गाड़ी बंद कर देनी है ताकि प्रदूषण के स्तर को काबू में रखने में मदद मिले. दिल्ली इस समय प्रदूषण का सबसे बुरा दौर झेल रही है और वायु की गुणवत्ता खराब और बेहद खराब की स्थिति के बीच है. बिगड़ती हवा के लिए अक्सर पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, ट्रैफिक, निर्माण क्षेत्र से उड़ने वाली धूल को जिम्मेदार बताया जाता है.

डॉक्टरों और पर्यावरणविदों का भी कहना है कि स्मॉग कोरोना वायरस के प्रभाव को और बदतर कर रहा है. सैफ कहते हैं, "प्रदूषण में घंटों खड़े होने के बाद कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी आंखें जल रही हैं." बहुत से दूसरे लोग अपने घरों में होने के बावजूद आंखें जलने की शिकायत कर रहे हैं.

वायु प्रदूषण में कमी का अभियान

रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान में सैफ की तरह दो हजार से अधिक सिविल डिफेंस के लोग लगाए गए हैं. सिविल डिफेंस के लोग शहर के आपातकालीन सेवाओं में अग्रणी भूमिका निभाते हैं. सिविल डिफेंस कर्मचारियों को महीने में 20 हजार रुपये के आसपास वेतन मिलता है. पिछले महीनों में उन्हें कोरोना वायरस के लिए बनाए गए क्वारंटीन जोन में भी तैनात किया गया था.

स्मॉग के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri

अक्टूबर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने "युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध" अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत प्रदूषण पैदा करने वाली गतिविधियों के खिलाफ कई स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. दीवाली के मौके पर शहर में प्रदूषण और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन आस-पास के क्षेत्रों में प्रतिबंध के बावजूद लोग भारी मात्रा में पटाखे फोड़ते हैं जिससे वायु की गुणवत्ता अगले कुछ दिनों तक बेहद खराब रहती है.

क्या है स्मॉग गन

अधिकारी राजधानी में स्मॉग गन का भी इस्तेमाल जहरीली हवा को कम करने के लिए कर रहे हैं. दरअसल स्मॉग गन हवा में पानी की महीन बौछार करती है जिससे हवा में मौजूद जहरीले तत्व और धूल के कण नीचे आ जाते हैं. लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा तय सीमा से आठ गुना अधिक है.

दिल्ली सरकार का कहना है कि ट्रैफिक सिग्नल पर चलाया जा रहा अभियान लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए है और गाड़ी बंद करना स्वैच्छिक है. जब ट्रैफिक सिग्नल पर मोटरसाइकिल सवार लोगों से पूछा गया कि क्या इस अभियान का कुछ असर दिखेगा तो वे सिर हिलाकर बताते हैं कि इसका कोई असर नहीं होगा. मोटरसाइकिल सवार 62 साल के एनएस राठौर कहते हैं, "यह जनता के पैसों की बर्बादी है. इससे कोई बदलाव नहीं दिखता." खुद राठौर ने उन्होंने प्रदूषण से बचने के लिए मुंह पर रुमाल बांधा हुआ है.

एए/एमजे (रॉयटर्स)

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