दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ एक अभियान चल रहा है. सड़क पर लाल बत्ती होने पर लोगों से गाड़ी बंद करने को कहा जा रहा है.
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दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हर साल अक्टूबर से लेकर फरवरी तक प्रदूषण का अतिरिक्त बोझ रहता है. इस दौरान लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. इस समस्या का कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है. इसलिए समस्या गंभीर हो जाने पर प्रदूषण के खिलाफ राज्य की सरकारें फौरी कदम उठाती हैं और आम लोगों से भी उपाय अपनाने और उनका पालन करने को कहती है. ऐसा ही कुछ इस समय भारत की राजधानी में हो रहा है.
राजधानी दिल्ली के एक चौराहे पर खड़े 22 साल के रेहान सैफ के हाथों में एक तख्ती है. जिसपर लिखा है-रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ. इसका मतलब है कि दिल्ली में आप कहीं जा रहे हैं और रास्ते में सिग्नल लाल हो जाए तो आपको तुरंत अपनी गाड़ी बंद कर देनी है ताकि प्रदूषण के स्तर को काबू में रखने में मदद मिले. दिल्ली इस समय प्रदूषण का सबसे बुरा दौर झेल रही है और वायु की गुणवत्ता खराब और बेहद खराब की स्थिति के बीच है. बिगड़ती हवा के लिए अक्सर पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, ट्रैफिक, निर्माण क्षेत्र से उड़ने वाली धूल को जिम्मेदार बताया जाता है.
डॉक्टरों और पर्यावरणविदों का भी कहना है कि स्मॉग कोरोना वायरस के प्रभाव को और बदतर कर रहा है. सैफ कहते हैं, "प्रदूषण में घंटों खड़े होने के बाद कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी आंखें जल रही हैं." बहुत से दूसरे लोग अपने घरों में होने के बावजूद आंखें जलने की शिकायत कर रहे हैं.
वायु प्रदूषण में कमी का अभियान
रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान में सैफ की तरह दो हजार से अधिक सिविल डिफेंस के लोग लगाए गए हैं. सिविल डिफेंस के लोग शहर के आपातकालीन सेवाओं में अग्रणी भूमिका निभाते हैं. सिविल डिफेंस कर्मचारियों को महीने में 20 हजार रुपये के आसपास वेतन मिलता है. पिछले महीनों में उन्हें कोरोना वायरस के लिए बनाए गए क्वारंटीन जोन में भी तैनात किया गया था.
अक्टूबर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने "युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध" अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत प्रदूषण पैदा करने वाली गतिविधियों के खिलाफ कई स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. दीवाली के मौके पर शहर में प्रदूषण और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन आस-पास के क्षेत्रों में प्रतिबंध के बावजूद लोग भारी मात्रा में पटाखे फोड़ते हैं जिससे वायु की गुणवत्ता अगले कुछ दिनों तक बेहद खराब रहती है.
क्या है स्मॉग गन
अधिकारी राजधानी में स्मॉग गन का भी इस्तेमाल जहरीली हवा को कम करने के लिए कर रहे हैं. दरअसल स्मॉग गन हवा में पानी की महीन बौछार करती है जिससे हवा में मौजूद जहरीले तत्व और धूल के कण नीचे आ जाते हैं. लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा तय सीमा से आठ गुना अधिक है.
दिल्ली सरकार का कहना है कि ट्रैफिक सिग्नल पर चलाया जा रहा अभियान लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए है और गाड़ी बंद करना स्वैच्छिक है. जब ट्रैफिक सिग्नल पर मोटरसाइकिल सवार लोगों से पूछा गया कि क्या इस अभियान का कुछ असर दिखेगा तो वे सिर हिलाकर बताते हैं कि इसका कोई असर नहीं होगा. मोटरसाइकिल सवार 62 साल के एनएस राठौर कहते हैं, "यह जनता के पैसों की बर्बादी है. इससे कोई बदलाव नहीं दिखता." खुद राठौर ने उन्होंने प्रदूषण से बचने के लिए मुंह पर रुमाल बांधा हुआ है.
एए/एमजे (रॉयटर्स)
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र ने नया कानून बनाया है. इस कानून के तहत 5 साल तक की जेल और एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान है. दिल्ली और आस-पास में हर साल प्रदूषण बड़ा संकट बन जाता है.
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सख्त है नया कानून
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र ने अध्यादेश के जरिए नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. केंद्र सरकार ने नए अध्यादेश के जरिए प्रावधान किया है कि जो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा, उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल तक जेल की सजा हो सकती है और उस पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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प्रदूषण एक गंभीर सम्सया
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश के जरिए कानून लाना एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण घटाया जाना सुनिश्चित होगा. उनके मुताबिक राजधानी में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पड़ोसी क्षेत्रों में प्रदूषण रोकने के लिए यह आयोग असरदार साबित होगा.
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शक्तिशाली आयोग
अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर से जुड़े इलाके, आसपास के क्षेत्र जहां यह लागू होगा उसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश हैं. आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषणकारी तत्वों के बहाव के लिए मानक तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों, संयंत्रों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार होगा.
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साल भर प्रदूषण के खिलाफ काम
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि नया आयोग प्रदूषण की रोकथाम के लिए साल भर रिसर्च एंड इनोवेशन में काम करेगा और प्रदूषण को रोकने में कामयाबी हासिल करेगा. मौजूदा नियमों में जेल की सजा एक साल थी और जुर्माना एक लाख था लेकिन नए अध्यादेश में दोनों बढ़ा दिए गए हैं.
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आयोग का निर्देश मान्य होगा
अध्यादेश के मुताबिक अगर राज्यों के फैसले से टकराव हुआ तो आयोग का आदेश मान्य होगा. आयोग की शिकायत पर मैजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा चलेगा. आयोग में एनजीओ और एक्टिविस्ट भी सदस्य होंगे.
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ईपीसीए का अंत
विधि और न्याय मंत्रालय ने 29 अक्टूबर को जारी अध्यादेश के तहत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को भंग कर दिया और और इसकी जगह 18 सदस्यों वाले एक आयोग का गठन किया है. राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसके तहत कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट भी बनाया गया है जो दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाके को देखेगा.
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22 साल से काम कर रहा था ईपीसीए
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को रोकने और प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए पिछले 22 साल से काम कर रहा था लेकिन वह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने में असरदार साबित नहीं हो पा रहा था. हालांकि ईपीसीए ने नए आयोग के गठन का स्वागत किया है. उसके मुताबिक ईपीसीए ने इतने सालों में सरकार और सुप्रीम कोर्ट को समस्या के समाधान के लिए सुझाव और रिपोर्ट सौंपी है.
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दिल्ली में ग्रीन ऐप
दिल्ली में प्रदूषण की शिकायत करने के लिए ग्रीन दिल्ली ऐप का इस्तेमाल अब मुमकिन हो गया है. लोग इस ऐप के जरिए प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की शिकायत कर पाएंगे और कूड़ा जलाने, उद्योग के प्रदूषण, धूल उड़ाने की तस्वीरें भी ऐप पर अपलोड कर पाएंगे.