लेसबॉस में बुरे हाल में हैं शरणार्थी
१८ दिसम्बर २०१७Refugees living in dire conditions on Lesbos
ग्रीस का हॉट स्पॉट रिफ्यूजी कैंप
ग्रीस के लेसबोस पहुंचने वाले रिफ्यूजियों को रजिस्ट्रेशन के लिए मोरिया जैसे रिसेप्शन सेंटर पर भेजा जाता है. लंबी लाइनों, गंदगी और खाने के सामानों की कमी की वजह से इसे दुनिया का सबसे खराब रिफ्यूजी कैंप कहा जाता है.
ग्रीस का हॉट स्पॉट रिफ्यूजी कैंप
ग्रीस के लेसबोस पहुंचने वाले रिफ्यूजियों को रजिस्ट्रेशन के लिए मोरिया जैसे रिसेप्शन सेंटर पर भेजा जाता है. लंबी लाइनों, गंदगी और खाने के सामानों की कमी की वजह से इसे दुनिया का सबसे खराब रिफ्यूजी कैंप कहा जाता है.
शरणार्थी या आप्रवासी
जब विदेशी लेसबोस पहुंचते हैं तो उन्हें राष्ट्रीयता के आधार पर अलग किया जाता है. सीरिया के लोगों को कारा टेपे कैंप में भेजा जाता है जहां ज्यादातर लोग घरों में रहते हैं. दूसरे लोगों को मोरिया भेजा जाता है जो पहले बंदियों को रखने का सेंटर था लेकिन अब उसे हॉट स्पॉट रजिस्ट्रेशन सेंटर में बदल दिया गया है. यहां आर्थिक कारणों से आने वाले आप्रवासियों को रखा जाता है.
भीड़ ज्यादा संसाधन कम
भीड़ की वजह से अक्सर विवाद पैदा होते हैं, जैसे यहां खाने की लाइन में. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार कैंप की क्षमता 410 लोगों को रखने की है. लेकिन लेसबोस में वोलंटीयरों के संयोजक फ्रेड मोर्लेट का कहना है कि कैंप में आम तौर पर 4000 तक लोग रहते हैं. "शुरू से ही यहां आपूर्ति की कमी है और चूंकि कुछ भी नहीं बदला है, यह दुनिया का सबसे खराब रिफ्यूजी कैंप बन गया है."
खाद्य पदार्थों की कमी
रमोना ब्रोंजर्स लिव फॉर लाइव्स फाउंडेशन की संस्थापक हैं. वे इंटरनेट में इमरजेंसी ऑनलाइन अपील पढ़कर हॉलैंड स्थित अपनी संस्था को लेकर मोरिया पहुंची. "हम हर रोज 1500 लोगों के लिए खाना पकाते हैं, लेकिन सभी लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं होता." वे कहती हैं कि उनकी संस्था जितना हो सकता है, मदद कर रही है, "लेकिन समस्याएं अत्यंत गंभीर हैं और बड़ी संस्थाएं जिम्मेदारी नहीं ले रही हैं."
कूड़े में आराम
रमोना ब्रोंजर्स का कहना है कि उनके 36 वोलंटीयरों के लिए कूड़ा हटाने और साफ सफाई का काम आसान नहीं. "बस आस पास देखिए, लोग कूड़े के बीच सो रहे हैं. इस जगह को साफ रखना असंभव है." वे कहती हैं कि उन्हें डर लगता है कि यहां कभी भी महामारी फैल सकती है. हाल के हफ्तों में कारा टेपे कैंप में खुजली की महामारी फैलने की खबर आई थी.
सुस्ती का आलम
वोलंटीयर प्रमुख मोरलेट कैंप में अमानवीय परिस्थियों से नाखुश हैं. उनका कहना है, "इसकी वजह यह है कि कैंप की व्यवस्था पुलिस के हाथ में है. उनमें प्रेरणा का अभाव दिखता है." मोरलेट बताते हैं कि कभी कभी पुलिस वाले आते ही नहीं जिसका मतलब यह होता है कि लोगों का रजिुस्ट्रेशन नहीं हो पाता जबकि नए लोग लगातार आते जाते हैं. "बस दो घंटे की देर हो जाए तो मानवीय प्रलय मच जाता है."
नंगे पांव पाकिस्तान से तुर्की
अपने बुलाए जाने का इंतजार कर रहे पाकिस्तान के फियाज उद्दाह (गुलाबी कपड़े में) कहते हैं, "मैं नंगे पांव पाकिस्तान से तुर्की आया हूं." उनके साथी इसरार अहमद (एकदम दाएं) का कहना है, "हम इसी तरह सोते हैं, कार्डबोर्ड पर, बिना कंबल के." इसरार के मुताबिक वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि उनके बच्चों को इस तरह नहीं सोना पड़े.
महिलाओं की मुश्किल
एक्शन ऐड संस्था की प्रोग्राम कोर्डिनेटर कोंसतांटीना स्त्रीकू का कहना है कि वे कैंप में जाड़ों से पहले महिलाओं के शेड का विस्तार करना चाहती हैं. लेकिन पुलिस ने हस्तक्षेप कर इसे रोक दिया है. वे कहती हैं, "हमारे पास कंटेनर था, जो कैंप के गेट तक पहुंच गया था, लेकिन पुलिस ने उसे अंदर नहीं लाने दिया. मुझे पता नहीं कि ऐसा क्यों किया गया." मां बेबी वाला इलाका बुरी तरह भरा रहता है.
कौन करेगा फैसला
अफगानिस्तान के गजनी प्रांत के 20 वर्षीय अर्शिद रहीमी का कहना है कि तालिबान हमले में पिता और बहन के मारे जाने के बाद उसकी मां ने जोर देकर उसे भाग कर यूरोप जाने के लिए कहा. "मेरी जान को तालिबान से खतरा था, लेकिन यहां लोग कह रहे हैं कि मैं आर्थिक कारणों से यूरोप आया हूं. कौन फैसला करेगा कि मैं शरणार्थी हूं या नहीं?"
गुआंतानामो जैसा
कुछ परिवारों को मोरिया के अस्थायी शेड में रहने की इजाजात है. लेकिन मोरलेट डिटेंशन सेंटर के शेड की तुलना जेल से करते हैं. "घेरे और बाड़ों के कारण यह कैंप गुआंतानामो जैसा लगता है." उनका कहना है कि यहां की परिस्थितियों के बावजूद शरणार्थियों की संख्या कम नहीं होगी. "लोग कहते हैं कि सर्दियां उन्हें रोक देंगी, लेकिन समुद्र सर्दियों में शांत होता है."
ऊपरवाले का सहारा
इरान से भागकर ग्रीस पहुंचा अफगान पेजमान उसेफी कहता है, "जब मैं यहां आने के लिए नाव पर था, समुद्र के बीच में, तो मुझे महसूस हुआ कि सिर्फ अल्लाह का सहारा है." उसका कहना है कि समुद्र में नाव की ही तरह यदि अल्लाह जान बचाने का फैसला करता है तो तुम बच जाओगे. "कैंप में मैं अपनी हालत ऐसी ही देखता हूं."