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जर्मनी के लोगों को ऊर्जा कीमतों से राहत का उपाय तैयार

३ नवम्बर २०२२

जर्मनी ने कारोबार और आम लोगों को ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से राहत देने का उपाय तैयार कर लिया है. करीब 200 अरब यूरो के राहत पैकेज की घोषणा तो पहले ही हो गई थी. अब यह भी तय हो गया है कि राहत किस रूप में और कैसे दी जायेगी.

जर्मन लोगों को राहत देने का पैकेज तैयार
जर्मनी में सर्दियां आ गई हैं और लोग हीटिंग के बढ़ते खर्च को लेकर चिंता में हैंतस्वीर: Wolfgang Maria Weber/IMAGO

इस पैकेज का एक बड़ा घटक है ऊर्जा की कीमत तय करना. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "इन बड़ी चुनौतियों और परिणामों की वजह है पुतिन की जंग." पैकेज के जरिए जर्मनी लोगों को मदद दे रहा है "ताकि नागरिकों को भारी बिलों का डर ना रहे." यूरोप के कई देशों की आपत्तियों के बावजूद जर्मन सरकार ने अपने देशवासियों को राहत देने का फैसला किया है और इस मामले में वह बाकियों से आगे चल रही है.

ऊर्जा बिल में राहत

जर्मनी का कारोबार जगत लंबे समय से मदद की मांग कर रहा है. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और महंगाई यहां पहले ही 10 फीसदी के पार जा चुकी है. सरकार की राहत योजना में कारोबार और घरों को एक निश्चित ऊर्जा उपयोग के लिए बाजार भाव से कम कीमत देनी होगी. 

उदाहरण के लिए देश के 25,000 बड़े कारोबार, साथ ही लगभग 2,000 अस्पताल और स्कूलों को अगले साल 1 जनवरी से ऊर्जा की कीमत पर लगाई सीमा का लाभ मिलेगा. संघीय सरकार और राज्यों के बीच इस पर सहमति बन गई है. घर और छोटे कारोबारों को इस राहत के लिए एक मार्च तक इंतजार करना होगा, उसके बाद ही उन्हें कम कीमतों का लाभ मिल सकेगा.

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स का कहना है कि जर्मनी के लोगों का डर दूर किया जा रहा हैतस्वीर: Markus Schreiber/AP Photo/picture alliance

सरकार के तरफ से तैयार नीतियों के दस्तावेज के मुताबिक केंद्र और राज्य की सरकारें फरवरी 2023 से राहतों को लागू करना चाहती हैं. इसी तरह बिजली की कीमतों के लिए भी सीमा तय की जायेगी जो जनवरी से शुरू होगी और अप्रैल 2024 तक लागू रहेगी.

छोटे ग्राहकों के लिए ऊर्जा कीमतों की सीमा देर से लागू हो रही है, इस बीच सरकार दिसंबर से ही उनके घरों को गर्म रखने के खर्च में राहत देगी. घरों के लिए प्रति किलोवाट घंटे के लिए गैस की कीमत 12 सेंट रखी गई है जो कुल ऊर्जा इस्तेमाल के 80 पर लागू होगी. फिलहाल इतनी गैस के लिए उन्हें 18 सेंट की दर से कीमत चुकानी होती है. कुल मिला कर देखें तो करीब 5000 किलोवाट का इस्तेमाल करने वाले घर इस राहत उपाय के जरिये साल भर में 264 यूरोप की बचत कर सकेंगे. यह कीमतों में यह आंशिक सीमा इसलिए तैयार की गई है ताकि लोगों को ऊर्जा बचाने के लिए प्रेरित किया जा सके.

रूस पर निर्भरता से नुकसान

जर्मनी ऊर्जा के लिए रूसी गैस के आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर रहा है यही वजह है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से जो सप्लाई में कटौती हुई है उसका बड़ा नुकसान उठा रहा है. जुलाई और सितंबर के बीच 0.3 फीसदी की दर से विकास करने के बावजूद देश के मंदी में घिरने की आशंका बनी हुई है.

जर्मनी में गैस कंपनी यूनीपर को 40 अरब यूरो का घाटा हुआ है. कंपनी के शेयरों की कीमत 85 फीसदी गिर गई है. सरकार इसे बचाने के लिए कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर रही है. कंपनी को पहले के करारों का पालन करने के लिए महंगी दर पर गैस खरीद कर पुराने भावों पर ही सप्लाई देने पड़ी जिसके कारण उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

रूसी सप्लाई बंद होन के कारण जर्मनी ने अपने तीन परमाणु बिजली घरों को बंद करने का फैसला टाल दियातस्वीर: Martin Meissner/AP Photo/picture alliance

कारोबार जगत ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि मुश्किल घड़ी में यह उपाय सुरक्षा का भरोसा देंगे और साथ ही चिंताओं को दूर करेंगे.

राहत पैकेज की आलोचना

जर्मनी ने तो अपने उद्योग और आम लोगों को राहत देने का उपाय कर लिया है लेकिन कई यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर पायेंगे. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि कोई साझा उपाय पूरे यूरोप के लिए तैयार होगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका. कर्ज में डूबे कई देशों के लिए इस तरह का पैकेज दे पाना संभव नहीं है. यही वजह है कि फ्रांस समेत कई देशों ने जर्मनी के राहत पैकेज की आलोचना की है.

जर्मनी ने इस राहत पैकेज के लिए पैसे की व्यवस्था के लिए नया कर्ज ले रहा है. कोरोना वायरस की महामारी के दौरान आर्थिक स्थिरता के लिए एक कोष बनाया गया था. जर्मनी ने इसी कोष से कर्ज लेकर राहत पैकेज दिया है. इसके अलावा इसका कुछ हिस्सा उन कंपनियों से भी वसूला जायेगा जिन्हें गैस की बढ़ी कीमतों की वजह से बंपर मुनाफा हुआ है.

एनआर/सीके (एएफपी, डीपीए)

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