ओम पुरी चले गए. अपने घर में मरे पड़े मिले. नितांत अकेले. इतना खरा आदमी था कि मौत में बीमारी या दर्द की मिलावट नहीं की. ऐसे आदमी को कैसे याद किया जा सकता है, शायद उनकी बुरी फिल्में देख कर.
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ओम पुरी एक भरोसे का नाम थे. भरोसा कि बदशक्ल इंसान पर्दे पर अच्छा लग सकता है. भरोसा कि एक्टिंग का शक्ल से कोई लेना देना नहीं. और भरोसा कि काम आता हो तो आप किसी को भी जुकाम कर सकते हैं. हिंदी सिनेमा की अच्छी फिल्में उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं और अच्छे एक्टर नाखूनों पर. दोनों में ओम पुरी किसी को भी लाजवाब कर सकने की कूवत रखते हैं. इसकी वजह शायद वह ईमानदारी थी, जो उन्हें खरा बनाती थी.
नेकी से भरा इंसान ही अनेकी हो सकता है. अनेकी यानी नेकी पर अ नहीं, अनेकी यानी अनेक पर ई. ओम पुरी ने एक्टिंग में नए एक्सप्रेशन गढ़े हैं. उनकी याद में हम इतना तो कर ही सकते हैं कि भाषा में नए एक्सप्रेशन गढ़ने की हिम्मत कर सकें. यही शायद उनको सही श्रद्धांजलि भी होगी. इंसान बस उतना ही होता है, जितना वह छोड़कर जाता है. और ओम पुरी यह हिम्मत छोड़ कर गए हैं. हिम्मत जिसे दिल्ली के एनएसडी में मुंबई जाने का सपना पाल रहे बे-मसल्स (अंग्रेजी वाले) और बे-बाप (इंडस्ट्री वाले) लड़कों में देख सकते हैं, जो कहते हैं कि काम आता हो तो आप स्टार बन सकते हैं. हिम्मत जिसे आप पुणे में एफटीआईआई के एक्टिंग कोर्स में तैयार हो रहे लड़कों में देख सकते हैं कि बकवास काम भी करेंगे तो ऐसा करेंगे कि याद रहे.
ओमपुरी को याद करना चाहें तो आप उनकी अच्छी फिल्मों को याद न करें, उनकी बुरी फिल्मों को याद करें. इसलिए कि वह बुरी फिल्मों में भी ऐसा काम कर गए हैं जिसे आप याद कर सकते हैं. और ऐसा नहीं है कि उन्होंने बुरी फिल्में कम की हैं. वैसे ही की हैं जैसे दूसरे लोग करते हैं. बस फर्क इतना है कि बुरा काम भी ईमानदारी से किया. और जब किसी ने पूछा कि ये क्या बकवास काम करते रहते हैं आप, तो उन्होंने साफ कहा कि भाई घर भी तो चलाना है. सही बात है. सिर्फ अच्छा काम करके आप घर नहीं चला सकते. हां, बुरा काम करते हुए भी यादगार बन सकते हैं. और याद तो जाने के बाद ही किया जाता है. तभी तो ओम पुरी अपने घर में अकेले ही मरे पाए गए. उनकी एक फिल्म है जिसका अभी सिर्फ ऐलान हुआ था. फिल्म का नाम है देखा जाएगा. ये फिल्म तो अब नहीं आएगी, लेकिन ओम पुरी, आपको हमेशा देखा जाएगा.
(ओम पुरी ने 66 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. अपने पीछे वह फिल्मों और अदाकारी का एक ऐसा संसार छोड़ गए हैं, जो हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा. देखिये तस्वीरों में दिग्गज अभिनेता का सफर)
ओम पुरी: एक आदमी में इतना कुछ
ओम पुरी ने 66 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. अपने पीछे वह फिल्मों और अदाकारी का एक ऐसा संसार छोड़ गए हैं, जो हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा.
ओम पुरी न सिर्फ अपने अभिनय के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि उन्होंने एक्टर बनने की चाहत रखने वालों को एक भरोसा दिया कि अगर हुनर है तो चेहरे पर चेचक के दागों पर वाला आदमी भी रुपहले पर्दे पर छा सकता है.
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ख्याति
ओम पुरी भारत के उन चंद गिने चुने अभिनेताओं में शामिल हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खूब शोहरत मिली. भारत के लोग उन्हें अर्धसत्य, आक्रोश, आरोहण, सदगति, तमस, जाने भी दो यारो, माचिस और चाची 420 के लिए हमेशा याद रखेंगे.
विश्व सिनेमा में गांधी, चार्ली विल्संस वॉर, द हंड्रेड फुट जर्नी, सिटी ऑफ जॉय, वोल्फ, वेस्ट इज वेस्ट और द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट जैसे फिल्में और सीरियल उनकी याद दिलाते रहेंगे. इसके अलावा उन्होंने मलायम, कन्नड, तेलुगु और पंजाबी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया.
ओमपुरी ऐसे एक्टर थे जिन्होंने कला सिनेमा और व्यावसायिक सिनेमा, दोनों जगह अपनी धाक जमाई. ओम पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट और दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनसीडी) में एक्टिंग के हुनर को तराशा.
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मान-सम्मान
आरोहण और अर्धसत्य के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला जबकि आक्रोश में लहान्या भीकू का किरदार निभाने के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था. ब्रिटिश सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का मानद ऑफिसर बनाया गया. उन्हें 1990 में पद्मश्री से नवाजा गया.
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शानदार आवाज
ओम पुरी जितने अच्छे अभिनेता थे, उतनी ही शानदार उनकी आवाज थी. कई फिल्मों में उनकी आवाज सूत्रधार का काम करती है. मशहूर सीरियल "भारत एक खोज" में उनकी आवाज इतिहास को बड़े करीने से एक सूत्र में पिरोती है. वह आखिरी बार सन्नी देओल की "घायल रिटर्न्स" में पर्दे पर दिखे थे.
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विवादित बयान
ओमपुरी के कई बयानों से विवाद भी हुए. एक बार टीवी बहस में जवानों के मारे जाने पर उन्होंने कहा था- उनसे आर्मी में भर्ती होने को किसने कहा था. आधे से ज्यादा सांसदों को गंवार बताने वाले अपने बयान पर भी उन्हें माफी मांगी पड़ी. गोमांस पर बहस के दौरान उन्होंने कहा था कि जहां गोमांस के निर्यात से डॉलर कमाए जा रहे हैं, वहां गोहत्या पर प्रतिबंध नाटक है.
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निजी जिंदगी
ओमपुरी ने 1991 में अभिनेता अन्नु कपूर की बहन सीमा कपूर से शादी की, लेकिन आठ महीने बाद उनका तलाक हो गया. इसके बाद पत्रकार नंदिता पुरी उनकी जीवन साथी बनी. 2013 में नंदिता ने ओम पुरी के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया और उसके बाद दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए. नंदिता से उनका एक बेटा है इशान. जाने माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एनएसडी के जमाने से ही ओमपुरी के अच्छे दोस्त रहे.
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जीवनी पर नाराज
नंदिता पुरी ने 2009 में ओमपुरी की जीवनी लिखी, हालांकि इसके कुछ अंशों को लेकर ओमपुरी ने गहरी नाराजगी जताई. वह खुद से जुड़ी अंतरगों बातों का ब्यौरा दिए जाने से बहुत खफा हुए. बहरहाल अब ओमपुरी का अभिनय, उनकी आवाज, उनकी सोफगोई और उनसे जुड़े विवाद इतिहास का हिस्सा हैं.