एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन पांच राज्यों में आने वाले दिनों में चुनाव होने हैं, वहां साल में 30 दिन से भी कम विधानसभा की कार्यवाही हुई.
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नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं. इन पांच राज्यों की विधानसभा की बैठक को लेकर पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने डाटा जुटाकर एक रिपोर्ट तैयार की है.
रिपोर्ट कहती है कि इन राज्यों में सालाना 30 दिन से भी कम विधानसभा की बैठकें हुईं. राजस्थान विधानसभा की बैठकें साल में औसतन 29 दिन चली, वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा की बैठकें साल में औसतन 23 दिन हुईं. मिजोरम में औसत बैठकें 18 दिन हुईं. मध्य प्रदेश में 16 दिन और तेलंगाना के लिए यह संख्या 15 रहीं.
रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2019 से 2023 के बीच औसत बैठकें साल में 23 दिन हुईं, जिसमें बैठक का औसत समय प्रतिदिन पांच घंटे का रहा. वहीं मध्य प्रदेश में विधानसभा की कार्यवाही औसत चार घंटे चली.
रिपोर्ट में कहा गया कि मिजोरम में विधानसभा की बैठक का हर दिन औसत समय पांच घंटे रहा. रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान विधानसभा में इन पांच राज्यों में सबसे अधिक बैठकें हुईं - हर साल लगभग 29 दिन और प्रत्येक बैठक लगभग सात घंटे चली.
तेलंगाना में 2017 में सबसे अधिक 37 दिन बैठकें हुईं, हालांकि उसके बाद से हर साल विधानसभा की बैठकें 20 दिनों से कम हुईं.
रिपोर्ट: राज्यसभा में 12 प्रतिशत सांसद अरबपति
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक राज्यसभा के लगभग 12 प्रतिशत मौजूदा सांसद अरबपति हैं.
तस्वीर: DW/A. Chatterjee
अरबपति सांसद
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने 233 राज्यसभा सांसदों में से 225 के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरणों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार किया है. अरबपति सांसद सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से हैं.
तस्वीर: UNI
100 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले सांसद
इस रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश के 11 सदस्यो में से पांच (45 प्रतिशत), तेलंगाना के सात सदस्यों में से तीन (43 प्रतिशत), महाराष्ट्र के 19 सदस्यों में से तीन (16 प्रतिशत), दिल्ली के तीन सदस्यों में से दो (29 प्रतिशत), पंजाब के सात सदस्यों में से एक (20 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश के 11 सदस्यों में से दो (18 प्रतिशत) ने 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है.
तस्वीर: UNI
तीन राज्यों के सांसद आगे
एडीआर के विश्लेषण में पाया गया कि तेलंगाना के सात सांसदों की कुल संपत्ति 5,956 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश के 11 सदस्यों की कुल संपत्ति 3,823 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश के 30 संसद सदस्यों की कुल संपत्ति 1,941 करोड़ रुपये है.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
सबसे अमीर सांसद
सबसे अमीर टीआरएस सांसद बंदी पार्थ सराधी हैं, जिनके पास 5,300.21 करोड़ रुपये हैं, उनके बाद वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी हैं जिनके पास 2,577.75 करोड़ रुपये हैं और एसपी की जया बच्चन ने 1,001.63 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है.
तस्वीर: UNI
हलफनामे से मिलती है जानकारी
सांसदों की संपत्ति से जुड़ी जानकारी उनके द्वारा दाखिल हलफनामे से मिलती है. मौजूदा राज्यसभा में एक सीट खाली है जबकि तीन सांसदों का विश्लेषण नहीं किया गया है, क्योंकि हलफनामे अनुपलब्ध थे.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
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बैठकों के दिन घट रहे
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के विश्लेषण के मुताबिक मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में 1952 से 2022 के बीच बैठकों के औसत दिनों में काफी कमी आई है. मिजोरम के लिए दीर्घकालिक डाटा मौजूद नहीं है.
अपने पहले 10 वर्षों में राजस्थान विधानसभा की बैठक साल में औसतन 59 दिन होती थी, जबकि मध्य प्रदेश विधानसभा की बैठक 48 दिन होती थी. पिछले 10 सालों में राजस्थान में औसत वार्षिक बैठने के दिन घटकर 29 और मध्य प्रदेश में 21 रह गए हैं.
कैसे पारित हुए विधेयक
रिपोर्ट में कहा गया कि इन राज्य विधानसभाओं में लगभग 48 प्रतिशत विधेयकों पर उसी दिन या पेश होने के अगले दिन विचार किया गया और उसे पारित कर दिया गया. मिजोरम विधानसभा में वर्तमान कार्यकाल के दौरान 57 विधेयक पारित किए. सभी विधेयक पेश होने वाले दिन या अगले दिन पारित कर दिए गए.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में 17 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं. राजस्थान में यह अनुपात 13 फीसदी और मध्य प्रदेश में 10 फीसदी से भी कम है.
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 23 नवंबर, तेलंगाना में 30 नवंबर और मिजोरम में 7 नवंबर को एक चरण में विधानसभा चुनाव होंगे, जबकि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 7 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान होगा. चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.
महिलाओं के खिलाफ अपराध में 134 सांसद, विधायक शामिल
एक रिपोर्ट के मुताबिक 134 मौजूदा सांसद और विधायक महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों का सामना कर रहे हैं. इन अपराधों में छेड़छाड़, क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदने से लेकर बलात्कार तक के मामले शामिल हैं.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
दागी जन प्रतिनिधि
एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल 134 मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. यह रिपोर्ट चुनावी सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर ने इन जन प्रतिनिधियों के हलफनामों के आधार पर बनाई है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
गंभीर अपराध
इन 134 जन प्रतिनिधियों में से 21 सांसद हैं और 113 विधायक हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में लज्जा भंग करने के आशय से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, जबरन विवाह कराने के लिए अपहरण, पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदना और बलात्कार जैसे मामले शामिल हैं.
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सबसे ज्यादा मामले बीजेपी में
ऐसे जन प्रतिनिधियों की सबसे ज्यादा संख्या बीजेपी में है. जहां बीजेपी में ऐसे 44 सांसद और विधायक हैं, वहीं कांग्रेस में 25, आम आदमी पार्टी में 13, तृणमूल कांग्रेस में 10 और बीजेडी में ऐसे आठ सांसद और विधायक हैं.
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पश्चिम बंगाल में बुरा हाल
इस तरह के 26 जन प्रतिनिधियों के साथ राज्यवार सूची में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है. उसके महाराष्ट्र और ओडिशा में ऐसे 14, दिल्ली में 13, आंध्र प्रदेश में नौ और बिहार में आठ सांसद और विधायक हैं.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
बलात्कार के आरोप
सभी 134 जन प्रतिनिधियों में से कम से कम 18 के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज हैं. इनमें चार सांसद और 14 विधायक हैं, जिनमें से सात बीजेपी में, छह कांग्रेस में और आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस में एक-एक हैं.
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लगनी चाहिए रोक
एडीआर का कहना है कि ये गंभीर मामले हैं जिनमें अदालतों द्वारा या तो आरोप तय कर दिया गए हैं या संज्ञान ले लिया गया है. इसलिए इस तरह के लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए. फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि आपराधिक मामलों वाले लोगों को चुनाव लड़ने के टिकट क्यों दिए जाते हैं.