पीआईए विमान दुर्घटना के ठीक एक महीने बाद इस पर रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह दोनों पायलटों के बीच कोरोना को ले कर चल रही बातचीत को बताया गया है.
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22 मई को कराची में हुई इस दुर्घटना में 97 लोग मारे गए थे. विमान ने दूसरी बार लैंड करने की कोशिश की थी और रनवे पहुंचने से ठीक पहले हवाईअड्डे के पास के रिहाइशी इलाके में वह क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना में विमान में सवार केवल दो लोगों की जान बच पाई थी. संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए पाकिस्तान के उड्डयन मंत्री गुलाम सरवर खान ने कहा कि लैंडिंग की पहली कोशिश में इंजन सही सलामत था. उन्होंने बताया कि फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर दिखाता है कि विमान को पहले दस नॉटिकल माइल पर उतारा गया और फिर अचानक ही पांच नॉटिकल माइल पर फिर से उठा लिया गया, जो कि उनके अनुसार "समझ के बाहर" है. उन्होंने कहा कि विमान में किसी तरह की तकनीकी खराबी नहीं थी और वह उड़ान के लिए 100 फीसदी फिट था लेकिन विमान के दोनों पायलटों का "ध्यान भटका हुआ" था.
खान ने बताया कि उन्होंने कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर में दोनों पायलटों की बातचीत को सुना, "वे पूरा वक्त कोरोना के बारे में बात कर रहे थे. कोरोना उनके दिमाग पर छाया हुआ था. उनके परिवार इससे प्रभावित थे और वे इसी पर चर्चा करते जा रहे थे." हालांकि समाचार एजेंसी रॉयटर्स को प्राप्त रिपोर्ट की कॉपी में कोरोना का कोई जिक्र नहीं है. उसमें लिखा गया है कि पायलटों ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया. रिपोर्ट में लिखा गया है, "ओवर स्पीड, लैंडिंग गियर का नीचे होना और विमान के जमीन से बहुत करीब होने जैसी कई चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया. लैंडिंग के दौरान लैंडिंग गियर बंद किया हुआ था, विमान अपने इंजन पर लैंड हुआ."
पायलटों के बारे में खान ने कहा है, "कैप्टन और को-पायलट दोनों अनुभवी थे और चिकित्सीय रूप से फिट थे." पर साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे ओवर-कॉन्फिडेंट थे और दोनों ने ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल के नियमों का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि रनवे से 16 किलोमीटर की दूरी पर फ्लाइट जमीन से 7,220 फीट ऊपर थी, जबकि उस वक्त उसे 2,500 फीट पर होना चाहिए था. एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने पायलटों का इस ओर ध्यान दिलाया और उन्हें लैंड ना करने की चेतावनी दी. उन्हें कहा गया कि वे एक बार घूम कर नीचे आएं लेकिन पायलट ने कहा, "मैं कर लूंगा" और इसके बाद दोनों फिर से कोरोना पर बात करने लगे. खान ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट बताती है कि पायलटों ने अंत तक किसी तकनीकी खराबी की बात नहीं की थी. खान के अनुसार पायलट के आखिरी शब्द थे, "ओह गॉड, ओह गॉड, ओह गॉड."
इस दुर्घटना की पूरी रिपोर्ट इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है. इससे पहले 2010 में पाकिस्तान में एक निजी कंपनी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था जिसमें 152 लोगों की जान गई थी. उस वक्त भी पायलट को ही दोषी बताया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि पायलट कॉकपिट के माहौल की वजह से असमंजस में था.
आईबी/एके (एएफपी, रॉयटर्स)
दुनिया के सबसे बड़े विमान हादसे
हवाई सफर को सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है. लेकिन इसके इतिहास में कई दर्दनाक हादसे भी दर्ज हैं. एक नजर दुनिया की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटनाओं पर.
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25 मई 1979, 273 मौतें
मरने वालों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े हादसों में दसवें नंबर पर है अमेरिका के इलेनॉय में 25 मई 1979 को हुई दुर्घटना. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 191 शिकागो से उड़ान भरने के चंद मिनटों में ही क्रैश हो गई और इसमें सवार सभी 258 मुसाफिर, 13 चालक दल के सदस्य और दो लोग जमीन पर मारे गए थे.
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19 फरवरी 2003, 275 मौतें
ईरान में केरमेन के पास पहाड़ी इलाके में 19 फरवरी 2003 को बड़ा विमान हादसा हुआ जिसमें विमान पर सवार सभी 275 लोग मारे गए थे. विमान ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के जवानों को लेकर जा रहा था.
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3 जुलाई 1988, 290 मौतें
3 जुलाई 1988 को हरमुज जलमडमरूमध्य में ईरान एयर की फ्लाइट को अमेरिकी नौसेना ने मार गिराया था, जिसमें विमान पर सवार सभी 290 लोग मारे गए थे. अमेरिकी सरकार का कहना था कि उसकी नेवी ने विमान को गलती से कोई लड़ाकू विमान समझ लिया था. तेहरान से दुबई जा रही ये उड़ान नियमित रूट पर नहीं थी.
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17 जुलाई 2014, 298 मौतें
17 जुलाई 2014 को एम्सटरडैम से कुआलालंपुर जा रहे मलेशिया एयरलाइंस के विमान को यूक्रेन में दोनेत्सक इलाके में मार गिराया गया. विमान पर सवार सभी 283 यात्री और चालक दल के 15 सदस्य मारे गए. डच सेफ्टी बोर्ड ने 2015 में अपनी जांच में कहा कि विमान को रूस समर्थक विद्रोहियों ने जमीन से हवा में मार करने वाली बक मिसाइल से गिराया था.
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19 अगस्त 1980, 301 मौतें
सऊदी अरब की राजधानी रियाद से 19 अगस्त 1980 को उड़ाने भरने के बाद ही सऊदिया एयरलाइंस की फ्लाइट 163 में आग लग गई. हादसे में सभी 287 यात्रियों समेत 301 लोग मारे गए.
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23 जून 1985, 329 मौतें
23 जून 1985 का दिन एयर इंडिया के इतिहास में एक दर्दनाक दिन था जब जमीन से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर आयरलैंड के आसमान में उसके एक विमान को बम से उड़ा दिया गया. इसमें चालक दल के 22 सदस्यों समेत 329 लोग मारे गए थे. कनाडा की जांच में इसके लिए सिख अलगाववादी संगठन बब्बर खालसा के सदस्यों को जिम्मेदार बताया गया था.
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3 मार्च 1974, 346 मौतें
3 मार्च 1974 को टर्किश एयरलाइंस का एक विमान पेरिस के पास जंगलों में क्रैश हो गया. हादसे में विमान पर सवार सभी 346 लोग मारे गए.
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12 नवंबर 1996, 349 मौतें
हवाई दुर्घटनाओं के इतिहास का तीसरा सबसे दर्दनाक हादसा हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था जब आकाश में सऊदी अरब और कजाखस्तान के विमान टकरा गए. हादसे में दोनों विमानों में सवार 349 लोग मारे गए.
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12 अगस्त 1985, 509 मौतें
जापान एयरलाइंस का एक विमान 12 अगस्त 1985 को राजधानी टोक्यो से लगभग 100 किलोमीटर दूर हादसे का शिकार हो गया. इस हादसे में कुल 520 लोग मारे गए जिनमें 509 यात्री और 15 चालक दक के सदस्य थे.
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27 मार्च 1977, 583 मौतें
सबसे बड़ा विमान हादसा 27 मार्च 1977 को हुआ था जब स्पेन के द्वीप टेनेरीफ के हवाई अड्डे पर दो विमान रनवे पर एक दूसरे से टकरा गए. दो बोइंग 747 विमानों की इस टक्कर में 583 लोग मारे गए थे.