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क्यों नाकाम रहीं इस्राएल पर दागी गई ईरानी मिसाइलें

३ सितम्बर २०२४

ईरान ने धमकी दी है कि वह इस्राएल से हमास के नेता इस्माइल हानियेह की हत्या का बदला लेगा. अगर ईरान हमला करता है, तो मध्यपूर्व में जारी संघर्ष और व्यापक होने की आशंका है. कितनी सटीक और ताकतवर है ईरान की मिसाइलें?

ईरानी में बैलिस्टिक मिसाइलों की ताकत को दर्शाने वाला बिलबोर्ड
हमले की स्थिति में ईरान अपने जिस विकसित मिसाइल का इस्तेमाल कर सकता है, वे उतने सटीक नहीं हैं जितना पहले अनुमान लगाया गया था.तस्वीर: AFP

एक ओर जहां ईरान, हमास के नेता इस्माइल हानियेह की हत्या का बदला लेने की धमकी दे रहा है, वहीं एक नई रिपोर्ट ने उसके मिसाइल कार्यक्रम की क्षमता और सटीक होने पर सवाल उठाया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हमले की स्थिति में ईरान अपने जिस विकसित मिसाइल का इस्तेमाल कर सकता है, वे उतने सटीक नहीं हैं जितना पहले अनुमान लगाया गया था. समाचार एजेंसी एपी ने विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है. 

50 प्रतिशत ईरानी मिसाइलें लॉन्च के समय ही विफल रहे या अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गए.तस्वीर: Middle East Images/picture alliance

यह विश्लेषण 'जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज' के जानकारों ने किया है. यह अमेरिका का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है जो विशेष रूप से परमाणु अप्रसार से जुड़े मुद्दों, अनुसंधान और प्रशिक्षण पर काम करता है. इस सेंटर के विशेषज्ञ लंबे समय से ईरान और उसकी बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का अध्ययन कर रहे हैं.

इस रिपोर्ट के आने से पहले इसी साल अप्रैल में ईरान ने इस्राएल पर ड्रोनों और मिसाइलों से हमला किया. तब अमेरिका और सहयोगी देशों ने कई ईरानी ड्रोनों और मिसाइलों को रास्ते में ही बेकार कर दिया. कई ईरानी प्रोजेक्टाइल खुद भी नष्ट हो गए. वे या तो लॉन्चिंग के समय ही नाकाम रहे या दागे जाने के बाद क्रैश हो गए. 

सैम लाइर, जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज में रिसर्चर हैं. समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "अप्रैल में ईरान ने जो हमला किया, वह इस्राएल पर हमले की कुछ क्षमता तो दिखाता है, लेकिन अगर मैं सुप्रीम लीडर होता, तो शायद थोड़ा निराश होता." लाइर कहते हैं कि अगर ईरानी मिसाइल सटीक तरह से अपने लक्ष्य को निशाना बनाने में चूके, तो यह उन्हें नई भूमिका देता है. इसे और स्पष्ट करते हुए वे कहते हैं, "वे परंपरागत सैन्य ऑपरेशन के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं. वे खौफ फैलाने के हथियार पर ज्यादा अहम हो सकते हैं."

जिंदा मिसाइलों से बना गांव

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ईरान की मिसाइलें सटीक क्यों नहीं

'जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉन प्रोलिफरेशन' के कुछ विश्लेषकों ने अप्रैल में नेवाटिम एयर बेस पर हुए एक हमले में ईरान की तरफ से दागी गई मिसाइल का विश्लेषण किया था. यह एयरबेस, येरुशलम से करीब 65 किलोमीटर दूर नेगेव रेगिस्तान में है. विश्लेषकों का मानना ​​है कि ईरान ने अपनी इमाद मिसाइल का इस्तेमाल किया होगा, जो उत्तर कोरियाई डिजाइन के मिसाइल हैं. यह ईरान की शहाब-3 मिसाइल का ही एक प्रकार है.

सैम लाइर, जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज में रिसर्चर हैं. समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "अप्रैल में ईरान ने जो हमला किया, वह इस्राएल पर हमले की कुछ क्षमता तो दिखाता है, लेकिन अगर मैं सुप्रीम लीडर होता, तो शायद थोड़ा निराश होता." लाइर कहते हैं कि अगर ईरानी मिसाइल सटीक तरह से अपने लक्ष्य को निशाना बनाने में चूके, तो यह उन्हें नई भूमिका देता है. इसे और स्पष्ट करते हुए वे कहते हैं, "वे परंपरागत सैन्य ऑपरेशन के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं. वे खौफ फैलाने के हथियार पर ज्यादा अहम हो सकते हैं."

इस्राएल की रक्षा क्षमताओं को निशाना बनाने के लिए ईरान अपने समर्थक चरमपंथी समूहों की मदद ले सकता हैतस्वीर: Tomer Neuberg/picture alliance/AP

कोई मिसाइल कितना प्रभावशाली है, यह मिसाइल के असल लक्ष्य से लेकर मिसाइल के प्रभाव वाले क्षेत्र की दूरी माप कर पता किया जाता है. इसमें, जहां मिसाइल का लक्ष्य था और जहां वो गिरा है, वो घेरा मापा जाता है. फिर उस दूरी का औसत निकाला जाता है. इस घेरे को 'सर्कुलर एरर प्रोबेबल' कहा जाता है. इससे मिसाइल की सटीकता का अंदाजा लगता है.

अगर यह मान लिया जाए कि ईरान ने इस्राएली लड़ाकू जेट एफ-35I के हैंगरों पर निशाना साधा था, तो हैंगरों और मिसाइलों के प्रभाव क्षेत्रों के बीच की दूरी को मापने के बाद लगभग 1.2 किलोमीटर (0.75 मील) का औसत सामने आया है. जितना कम औसत, उतना प्रभावशाली मिसाइल.

विश्लेषकों ने इमाद मिसाइल का औसत 500 मीटर माना था, लेकिन यह आंकड़ा तो उससे भी ज्यादा खराब निकला. रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने अपने इस मिसाइल को कई संभावित खरीदारों को बेचने की भी कोशिश की, यह कहते हुए कि इसका सर्कुलर एरर प्रोबेबल 50 मीटर का है.

ईरान की मिसाइलों में लॉन्च के वक्त ही थी कमी

अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन ने कई ईरानी मिसाइलें मार गिराए. अमेरिका ने बम ले जाने वाले 80 ड्रोन और कम-से-कम छह बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने का दावा किया है. इस्राएल ने मिसाइल सुरक्षा को भी सक्रिय किया, हालांकि 99 फीसदी मिसाइलों को भेदने और मार गिराने का उसका दावा बेबुनियाद साबित हुआ. 

अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन ने इस्राएल की ओर दागी गई कई ईरानी मिसाइलें मार गिराईं.तस्वीर: Itamar Grinberg/AP Photo/picture alliance

नाम ना बताने की शर्त पर कई अमेरिकी अधिकारियों ने एपी को बताया कि उनका आकलन है कि 50 प्रतिशत ईरानी मिसाइलें लॉन्च के समय ही विफल रहे या अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गए. इससे ईरान के मिसाइल शस्त्रागार की क्षमताओं पर और संदेह पैदा होता है. एपी के मुताबिक, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खमेनेई ने यह माना कि इस्राएल पर किए गए हमले में उनका देश किसी अहम ठिकाने को निशाना नहीं बना सका. खमेनेई ने कहा, "दूसरे पक्ष की यह बहस कि कितने मिसाइल दागे गए, उनमें से कितने निशाने तक पहुंचे और कितने नहीं, ये सभी बाद की बातें हैं. मुख्य मुद्दा है देश के तौर पर ईरान का उभरना."

भू-राजनीतिक कारणों से मिसाइलों का आकलन अहम

इस्राएल और ईरान की सीमाएं नहीं मिलती हैं. दोनों देश एक-दूसरे से लगभग 1,000 किलोमीटर की दूरी पर हैं. ऐसे में ईरान की मिसाइल क्षमता भांपना और भी अहम हो जाता है. किसी भी सीधे हमले के लिए जरूरी है मिसाइल का कारगर तरीके से अपने लक्ष्य तक पहुंचना, वह भी बिना दुर्घटनाग्रस्त हुए. इसमें भी मौसम, गर्मी, बारिश वगैरह की अहम भूमिका होती है क्योंकि इनकी वजह से मिसाइलें रास्ते में डगमगा सकते हैं.

यह आशंका भी है कि इस्राएल की रक्षा क्षमताओं को निशाना बनाने के लिए ईरान अपने समर्थक चरमपंथी समूहों, जैसे कि यमन के हूथी विद्रोही गुट या लेबनान के हिज्बुल्लाह से भी मदद ले सकता है. इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच 25 अगस्त को संघर्ष भी हुआ और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला किया.

हालांकि, यह लड़ाई अनियंत्रित नहीं हुई और दोनों पक्षों ने संकेत दिए कि वे फिलहाल संघर्ष को व्यापक युद्ध की शक्ल नहीं देना चाहते हैं. इसके बावजूद ईरान की ओर से मंडरा रहा खतरा अभी कायम है. उसके बैलिस्टिक मिसाइलों की क्षमता पर भले ही सवाल हो, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसके न्यूक्लियर हथियार विकसित करने की आशंकाएं बड़ा खतरा हैं.

एसके/एसएम (एपी)

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