अमेरिकी सेना में महिलाओं के यौन शोषण में रिकॉर्ड वृद्धि
२ सितम्बर २०२२
पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में अमेरिकी सेना में यौन शोषण के मामलों में रिकॉर्ड 13 फीसदी की वृद्धि हुई. पिछले साल यौन उत्पीड़न के कम से कम 8,866 मामले सामने आए, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.
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अमेरिकी रक्षा विभाग में यौन उत्पीड़न निवारण और प्रतिक्रिया कार्यालय (एसएपीआर) की ओर से गुरुवार को जारी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में 30 सितंबर 2021 तक सेना में यौन उत्पीड़न के 8,866 मामले दर्ज किए गए थे. इससे पहले वाले वर्ष में यह संख्या 7,813 थी. इन यौन हमलों में या तो सेना के सदस्यों या उनके अधीनस्थों को निशाना बनाया गया.
हालांकि पीड़ितों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है. 'रिपोर्ट ऑन सेक्शुअल असॉल्ट इन द मिलिट्री' नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न की कुछ ही घटनाओं को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था. सेना द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में लगभग 36,000 कर्मी शामिल हुए. 8.4 प्रतिशत महिलाओं और 1.5 प्रतिशत पुरुषों ने 2021 दौरान अवांछित यौन संपर्क का अनुभव किया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन शोषण की संख्या में वृद्धि "कुल अस्वस्थ सैन्य वातावरण" की ओर इशारा करती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सेना में यौन उत्पीड़न पर डेटा एकत्र करने के 16 साल के इतिहास में इस बार महिला पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक है. 2005 में अमेरिकी सेना ने यौन उत्पीड़न और यौन शोषण की घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष विभाग की स्थापना की और अगले साल ऐसी घटनाओं पर डेटा एकत्र करना शुरू किया.
पेंटागन में ऑफिस ऑफ फोर्स रेजिलिएशन की कार्यकारी निदेशक एलिजाबेथ फॉस्टर के मुताबिक, "2006 में सेना में यौन उत्पीड़न के रिकॉर्ड दर्ज शुरू करने के बाद से महिलाओं के खिलाफ यौन हमलों की यह संख्या सबसे अधिक है."
फोस्टर का कार्यालय सैन्य कर्मियों की देखभाल के लिए काम करता है.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2006 में पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने के प्रयास के सबसे अधिक मामले देखे गए, और पिछले साल पुरुषों से जुड़ी ऐसी घटनाएं दूसरी सबसे अधिक थी. फॉस्टर ने कहा, "ये संख्या दुखद और बहुत परेशान करने वाली है."
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में अमेरिकी सेना में सबसे ज्यादा 26 फीसदी यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए. इसके बाद नौसेना में 19 प्रतिशत और वायु सेना और मरीन में दो प्रतिशत मामले सामने आए.
इसी साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर सैन्य कानून के तहत यौन उत्पीड़न को अपराध करार दिया था. आदेश का मतलब है कि यौन शोषण, घरेलू हिंसा और नाबालिगों पर हमले के मामलों की सुनवाई सैन्य अदालतों में की जाएगी और मामलों को अदालत में ले जाने का निर्णय विशेष सैन्य अधिकारियों के बजाय विशेष वकीलों द्वारा किया जाएगा.
वरिष्ठ अधिकारियों पर यौन शोषण की घटनाओं को ढकने और उनकी गंभीरता को कम करने की कोशिश का आरोप लगता आया है.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
जर्मन सेना अलग से मिले 100 अरब की रकम से क्या खरीदेगी
कई दशकों से पुराने हथियार और साजो सामान से काम चलाने वाली जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी 100 अरब यूरो की रकम अलग से खर्च करने जा रहा है. आखिर इतनी बड़ी रकम से सेना के लिए क्या क्या खरीदा जाएगा.
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सबसे बड़ा हिस्सा वायु सेना को
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 100 अरब में से तकरीबन 40 अरब रकम से ज्यादा की रकम वायु सेना पर खर्च होगी. जर्मन नौसेना के लिए 19.3 और थल सेना के लिए 16.6 अरब यूरो की रकम खर्च की जाएगी. बाकी रकम संयुक्त रूप से सेना के लिये नई तकनीकों के विकास पर खर्च होगी.
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लड़ाकू विमान
जर्मन वायु सेना के पास फिलहाल टोरनाडो लड़ाकू विमान है जो बहुत पुराना हो चुका है और कई विमान तो अब उड़ने के काबिल भी नहीं रहे. जर्मन सरकार अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने की इच्छा रखती है. इतना ही नहीं वायु सेना में नया यूरोफाइटर और टोरनाडो की जगह लेने के लिए एक और विमान बेड़ा भी तैयार होगा.
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एयर डिफेंस सिस्टम
जर्मनी इस्राएल से एक नया एयर डिफेंस सिस्टम एरो खरीदने की तैयारी में है. जर्मनी के पास पहले से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम है लेकिन यह कम ऊंचाई और दूरी की मिसाइलों के लिए है. एरो पृथ्वी से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर और लंबी दूरी तय कर के आने वाली मिसाइलों को रोकता है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम
जर्मनी एक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की भी तैयारी में है. यह वार्निंग सिस्टम अंतरिक्ष में रहते हुए काम करेगा और मिसाइलों से हमले की जानकारी मुहैया करायेगा जिससे कि समय रहते एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हमलावर मिसाइल को बेकार किया जा सके. एक ड्रोन डिफेंस सिस्टम भी विकसित करने की बात हो रही है.
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हथियारबंद ड्रोन
जर्मनी की संसद ने हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. हाल के महीनों तक जर्मन सेना को हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी लेकिन अब मिल गयी है.
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कमांड और कंट्रोल सिस्टम
सेना के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जर्मन सेना 20.7 अरब यूरो की रकम खर्च कर रही है. इसमें एनक्रिप्टेड रेडियो, बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और कई दूसरी चीजें शामिल हैं. इससे पहले माली जैसे देशों में जर्मन सेना उधार के एनक्रिप्टेड रेडियो का इस्तेमाल करती थी ताकि संयुक्त अभियानों में समस्या ना हो.
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लड़ाकू जलपोत और पनडुब्बी
नौसेना के लिए जंगी जहाज, मिसाइल और पनडुब्बी भी जर्मन सेना की खरीदारी की लिस्ट में शामिल है. जर्मनी के-130 टाइप के पांच और लड़ाकू जलपोत खरीदेगा. ये जलपोत इसी तरह के पुराने जहाजों की जगह लेंगे. इसके साथ ही एफ-126 टाइप के दो और फ्रिगेट भी खरीदने के विकल्प पर भी विचार हो रहा है.
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समुद्री गश्ती विमान
जर्मन सेना को बोइंग के बनाये पी8ए विमान भी मिलेंगे जो समुद्र में गश्त के लिए इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा भारी हथियारों से लैस लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी सेना में शामिल होंगे. फिलहाल सेना एच145एम इस्तेमाल कर रही है जिन्हें भारी हथियारों से लैस करने के बाद इनमें भी हमलावर हेलीकॉप्टर की क्षमता आ जायेगी.
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वर्दी और हेलमेट
सरकार जर्मन सैनिकों के यूनिफॉर्म, हेलमेट और नाइट विजन जैसे उपकरणों पर करीब 2 अरब यूरो की रकम खर्च करेगी.
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मार्डर टैंक बदला जायेगा
थल सेना के लिए खरीदारी में मार्डर टैंक के दस्ते को बदलना भी शामिल है. इसके लिए नये टैंकों के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.