विदेशी कंपनियों के साथ टैक्स को लेकर जारी विवाद खत्म करने के लिए भारत ने अपने टैक्स संबंधी कानून बदल दिए हैं.
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गुरुवार को भारत ने टैक्स कानूनों में बदलाव का ऐलान किया जिसका मकसद विदेशी कंपनियों के साथ जारी अरबों डॉलर के विवादों को खत्म करना माना जा रहा है. कई विदेशी कंपनियों ने विदेशों में स्थित भारत सरकार की संपत्तियों को जब्त करने की धमकी दी थी.
नए नियमों के तहत वोडाफोन और केयर्न एनर्जी आदि कंपनियों को धन लौटाया जा सकेगा, बशर्ते वे पिछले लगभग एक दशक से जारी विवाद खत्म कर दें. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय नियामक मंचों ने इन मामलों में भारत के खिलाफ फैसला दिया था.
क्यों करना पड़ा बदलाव?
फ्रांस की एक अदालत ने पिछले महीने केयर्न एनर्जी की एक याचिका पर आदेश देते हुए पैरिस में भारत में 20 संपत्तियों को फ्रीज कर दिया था. केयर्न ने एयर इंडिया की संपत्तियां जब्त करने की भी धमकी दी थी. केयर्न भारत सरकार से अपने 1.2 अरब डॉलर वापस चाहती है. इन धनराशि की वापसी का आदेश पिछले साल एक स्वतंत्र पैनल ने दिया था.
विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद में कुल मिलाकर 6 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि शामिल है और यह मामला इतना बढ़ गया था कि कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों पर आंच आ रही थी.
गुरुवार को भारत सरकार ने कहा कि नए नियमों के तहत मई 2012 से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर लगे टैक्स को शून्य किया जा सकेगा. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं जिनमें कानूनी दावे वापस लेना और नुकसान की भरपाई के नए दावे ना करने का वादा शामिल है.
तस्वीरों मेंः प्रदूषण से निपटने के लिए लाए गए कानून
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र ने नया कानून बनाया है. इस कानून के तहत 5 साल तक की जेल और एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान है. दिल्ली और आस-पास में हर साल प्रदूषण बड़ा संकट बन जाता है.
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सख्त है नया कानून
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र ने अध्यादेश के जरिए नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. केंद्र सरकार ने नए अध्यादेश के जरिए प्रावधान किया है कि जो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा, उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल तक जेल की सजा हो सकती है और उस पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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प्रदूषण एक गंभीर सम्सया
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश के जरिए कानून लाना एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण घटाया जाना सुनिश्चित होगा. उनके मुताबिक राजधानी में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पड़ोसी क्षेत्रों में प्रदूषण रोकने के लिए यह आयोग असरदार साबित होगा.
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शक्तिशाली आयोग
अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर से जुड़े इलाके, आसपास के क्षेत्र जहां यह लागू होगा उसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश हैं. आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषणकारी तत्वों के बहाव के लिए मानक तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों, संयंत्रों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार होगा.
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साल भर प्रदूषण के खिलाफ काम
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि नया आयोग प्रदूषण की रोकथाम के लिए साल भर रिसर्च एंड इनोवेशन में काम करेगा और प्रदूषण को रोकने में कामयाबी हासिल करेगा. मौजूदा नियमों में जेल की सजा एक साल थी और जुर्माना एक लाख था लेकिन नए अध्यादेश में दोनों बढ़ा दिए गए हैं.
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आयोग का निर्देश मान्य होगा
अध्यादेश के मुताबिक अगर राज्यों के फैसले से टकराव हुआ तो आयोग का आदेश मान्य होगा. आयोग की शिकायत पर मैजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा चलेगा. आयोग में एनजीओ और एक्टिविस्ट भी सदस्य होंगे.
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ईपीसीए का अंत
विधि और न्याय मंत्रालय ने 29 अक्टूबर को जारी अध्यादेश के तहत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को भंग कर दिया और और इसकी जगह 18 सदस्यों वाले एक आयोग का गठन किया है. राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसके तहत कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट भी बनाया गया है जो दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाके को देखेगा.
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22 साल से काम कर रहा था ईपीसीए
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को रोकने और प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए पिछले 22 साल से काम कर रहा था लेकिन वह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने में असरदार साबित नहीं हो पा रहा था. हालांकि ईपीसीए ने नए आयोग के गठन का स्वागत किया है. उसके मुताबिक ईपीसीए ने इतने सालों में सरकार और सुप्रीम कोर्ट को समस्या के समाधान के लिए सुझाव और रिपोर्ट सौंपी है.
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दिल्ली में ग्रीन ऐप
दिल्ली में प्रदूषण की शिकायत करने के लिए ग्रीन दिल्ली ऐप का इस्तेमाल अब मुमकिन हो गया है. लोग इस ऐप के जरिए प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की शिकायत कर पाएंगे और कूड़ा जलाने, उद्योग के प्रदूषण, धूल उड़ाने की तस्वीरें भी ऐप पर अपलोड कर पाएंगे.
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अधिकारियों ने यह भी कहा कि वापस की जा रही धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा. एक वकालत फर्म जे सागर असोसिएट्स के साझीदार कुमारमंगलम विजय ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "यह सच में सरकार की ओर से एक व्यवहारिक कदम है. इससे वोडाफोन और केयर्न जैसे और दावों को रोकने में मदद मिलनी चाहिए. इस हार में नुकसान नहीं है.”
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कौन जीता, कौन हारा?
नए नियमों पर केयर्न ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और बस इतना कहा है कि वह हालात पर निगाह रखे हुए है.
भारत सरकार के रेवन्यू सचिव तरुण बजाज ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि यह फैसला दबाव में नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा, "यह कहना अन्यायपूर्ण है कि हमने दबाव में यह फैसला किया है क्योंकि एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावे किए जा रहे थे.”
जानिए, 50 रुपये जुर्माने वाला भारतीय कानून
50 रुपये जुर्माने वाला भारतीय कानून
भारत में जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए बने कानून के प्रावधानों को और कड़ा बनाने की मांग उठ रही है. जानिए कितना पुराना है ये कानून और क्या कमियां हैं इसमें.
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60 साल पुराना कानून
जानवरों के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 में बना था. तब से अभी तक इसके दंड संबंधी प्रावधानों में कोई संशोधन नहीं किया गया है.
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बढ़ती क्रूरता
जानवरों के प्रति क्रूरता के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई एक याचिका के अनुसार सिर्फ 2012 से 2015 के बीच देश में 24,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. बड़ी संख्या में मामले दर्ज ही नहीं होते.
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50 रुपये जुर्माना
1960 के इस इस कानून के तहत पहली बार जानवरों के प्रति क्रूरता के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम 10 रुपये से लेकर अधिकतम 50 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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तीन महीने की जेल
अगर व्यक्ति पहले अपराध के तीन साल के अंदर फिर से क्रूरता का दोषी पाया जाता है तो उसके लिए न्यूनतम 25 रुपये और अधिकतम 100 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. बार बार अपराध के दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की जेल भी हो सकती है.
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संशोधन लंबित
पशु कल्याण बोर्ड 2011 में एक पशु कल्याण अधिनियम लेकर आया था, जिसमें पशुओं के प्रति क्रूरता कीे रोकथाम के लिए कड़े प्रावधान लाए गए थे. 2014 में बोर्ड एक और नया मसौदा लेकर आया, लेकिन ये संसद से अभी तक पारित नहीं हुआ है.
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राज्यों में कानून
2017 में महाराष्ट्र और कर्नाटक ने सिर्फ जल्लिकट्ट कराने के लिए और उससे संबंधित अपराध रोकने के लिए 1960 के कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन किए. लेकिन इनमें और किसी भी मामले में सजा के प्रावधानों को और कड़ा नहीं किया गया.
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दुनिया में सबसे पीछे
पशु संरक्षण सूचकांक 2020 में भारत को सबसे नीचे की श्रेणी वाले देशों में "सी" दर्जा मिला हुआ है. यह सूचकांक 20 देशों को उनके पशु कल्याण कानून और नीतियों के अनुसार रैंक करता है.
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50 रुपए जुर्माना
1960 के इस इस कानून के तहत पहली बार जानवरों के प्रति क्रूरता के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम 10 रुपए से लेकर अधिकतम 50 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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हालांकि बजाज ने माना कि भारत के सामने एक बड़ी लड़ाई बाकी है. उन्होंने कहा कि नए प्रस्ताव के तहत एक अरब डॉलर ही वापस करने होंगे. यह राशि केयर्न के दावे से भी कम है.
वोडाफोन से भारत सरकार 3 अरब डॉलर की मांग कर रही थी. वोडाफोन ने 2007 में भारत में हचीसन वैंपोआ की 11 अरब डॉलर की संपत्तियां खरीदी थीं.
कई कंपनियों से भारत का विवाद
15 से ज्यादा कंपनियों का कई साल से भारत के साथ विवाद चल रहा है. इस विवाद की वजह 2012 का एक कर कानून है, जिसके आधार पर भारत उन कंपनियों से पिछले सालों का भी टैक्स ले सकता है, जिन्होंने भारत की कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है.
नीदरलैंड्स के द हेग स्थित एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने पिछले साल फैसला दिया था कि मोबाइल कंपनी वोडाफोन पर लगाया गया टैक्स और जुर्माना भारत और नीदरलैंड्स के बीच हुई संधि का उल्लंघन करता है.
मुश्किलें बड़ी हैं महिला कारोबारियों की राह में
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पिछले साल दिसंबर में द हेग स्थित पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन भारत सरकार को आदेश दिया को केयर्न को 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि ब्याज सहित वापस करे. हालांकि भारत सरकार ने ट्राइब्यूनल के फैसले को मानने से ही इनकार कर दिया था और कहा था कि वह लड़ाई जारी रखेगी.