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समाजजर्मनी

कुत्ता पालने का टैक्स लेकर जर्मनी कर रहा है रिकॉर्ड कमाई

स्वाति मिश्रा
९ अक्टूबर २०२४

पालतू कुत्तों से मिले टैक्स ने पिछले साल जर्मनी में नया रिकॉर्ड बनाया. जानिए, जर्मनी में 'डॉग टैक्स' का क्या नियम है और यह क्यों लिया जाता है.

कॉमेडी पेट फोटोग्रैफी अवॉर्ड 2024 में शामिल एक कुत्ते की तस्वीर, जो बर्फ में खेल रहा है.
औसतन जर्मनी के हर दूसरे घर में एक पालतू जानवर हैतस्वीर: Tammo Zelle/Comedy Pets

जर्मनी उन देशों में है, जहां कुत्ता पालने पर टैक्स देना पड़ता है. इसे 'हुंडेशटॉयर' कहते हैं. पिछले साल इस टैक्स से जर्मनी को करीब 42.1 करोड़ यूरो की कमाई हुई. इससे पहले 2022 में भी इस टैक्स से रिकॉर्ड 41.4 करोड़ यूरो की रकम मिली थी.

देश में कुत्ता पालने का चलन किस कदर लोकप्रिय होता जा रहा है, यह पिछले एक दशक के टैक्स रिकॉर्ड में नजर आता है. 2013 से 2023 के बीच इस टैक्स से राज्य को होने वाली आमदनी में 41 फीसदी का इजाफा हुआ है.

जर्मनी में कुत्ता पालने पर लिया जाने वाला शुल्क, एक लोकल टैक्स है जो म्यूनिसिपैलिटी लेती हैतस्वीर: Sebastian Sternemann/Funke Foto Services/imago images

जर्मन पेट ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन (जेडजेडएफ) का अनुमान है कि जर्मन घरों में रह रहे कुत्तों की कुल संख्या पिछले साल तक एक करोड़ से ज्यादा थी. इस साल इस संख्या में और वृद्धि होने की अनुमान है. समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक, औसतन जर्मनी के हर दूसरे घर में एक पालतू जानवर है. सबसे ज्यादा लोकप्रिय पालतू जीवों की सूची में कुत्ता पहले नंबर पर है. 

क्या कुत्ते भाषा को समझते हैं?

जर्मनी में कैसे लिया जाता है कुत्तों पर टैक्स?

जर्मनी में अगर आप कुत्ता पालना चाहता हैं, तो या तो आपको किसी ब्रीडर के पास जाना होगा. या, आप किसी जानवरों के शेल्टर से कुत्ता गोद ले सकते हैं. कई लोग विदेश से भी कुत्ता गोद लेकर जर्मनी लाते हैं. इसके लिए काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है.

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आप जिस इलाके में रहते हैं, वहां की नगर पालिका (म्यूनिसिपैलिटी) आपसे एक सालाना टैक्स लेती है. यह टैक्स कुत्ता पालने पर लिया जाता है, लेकिन बिल्लियां टैक्स की परिधि में नहीं आतीं. टैक्स की रकम एक जैसी नहीं है, हर म्यूनिसिपैलिटी की अपनी फीस है. डीपीए के अनुसार, यह फीस घर में कुत्तों की संख्या या कुत्ते की ब्रीड के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है.

जर्मनी में कुत्ता पालने पर टैक्स देना पड़ता है, लेकिन बिल्ली पालने पर नहींतस्वीर: Olga Yastremska/Pond5 Images/IMAGO

जर्मन पेट सर्विस वेबसाइटों पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अगर आप पपी यानी कुत्ते का बच्चा घर लाए हैं तो उसके जन्म के तीन महीने के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा. अगर कुत्ता वयस्क है, तो उसे लेने के तीन से चार हफ्ते के बीच पंजीकरण कराना होता है. आमतौर पर स्थानीय नगर पालिका के दफ्तर, या टाउन हॉल जाकर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है. कुछ शहरों और नगर पालिकाओं में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की भी सुविधा है.

अगर आपने कुत्ता पाला है और उसे रजिस्टर नहीं कराया और टैक्स नहीं देते, तो यह अपराध है. जैसे ही आप टैक्स ऑफिस में अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराते हैं, आपको एक 'डॉग टैग' मिलता है. अपने घर या बाड़ लगे परिसर के बाहर होने पर कुत्ते का वो टैग दिखना चाहिए.

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नई जगह शिफ्ट होने या रजिस्टर कराए गए कुत्ते के किसी वजह से आपके पास ना होने की स्थिति में संबंधित विभाग को सूचना देनी पड़ती है. 'वेलकम सेंटर जर्मनी' के मुताबिक, कुत्ते के गुम हो जाने या उसकी मौत होने पर भी विभाग को सूचना देना जरूरी है. जरूरी नहीं कि टैक्स से मिली रकम खास पालतू जीवों से जुड़ी सर्विस में खर्च हो. इसे नगर पालिका कई तरह के मद में, जैसे कि सामुदायिक सेवाओं पर खर्च कर सकती है.

'डॉग टैक्स' की रकम पूरे देश में एक जैसी नहीं हैतस्वीर: Vera Faupel/Comedy Pets

क्यों लिया जाता है कुत्तों पर टैक्स?

बाहर घूमना कुत्तों की स्वााभाविक दिनचर्या का हिस्सा है. वो बिल्लियों की तरह घर के लिटर बॉक्स में मल नहीं करते. आमतौर पर लोग कुत्ते को सुबह-शाम बाहर टहलाने ले जाते हैं, जहां वे मल करते हैं. जर्मनी में सड़क किनारे, नदियों के पास बने रास्तों पर या पार्कों में खास कूड़ेदान लगाए जाते हैं. उनमें थैलियां रखी होती हैं, जिसका इस्तेमाल कर कुत्ते का मल कूड़ेदान में डाला जा सकता है.

सड़कों पर कुत्तों का मल कितना खतरनाक!

ऐसा नहीं किया गया, तो पार्क और रास्ते साफ नहीं रहेंगे. सफाई की इस व्यवस्था को बनाए रखने में नगरपालिका की जो लागत आती है, उसकी भरपाई टैक्स से होती है. साथ ही, जर्मनी में कुत्ते आमतौर पर पालतू ही होते हैं. वो घरों में रहते हैं या फिर शेल्टर होम में, जहां से लोग उन्हें गोद ले सकते हैं. इसकी वजह से सड़क पर आवारा कुत्तों की मौजूदगी नहीं रहती. टैक्स के कारण प्रशासन को कुत्तों की संख्या नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है.

इस टैक्स में कुछ अपवाद और छूट का भी प्रावधान है. खास जरूरत वाले लोगों, जैसे कि नेत्रहीनों की मदद के लिए पाले जाने वाले सर्विस या गाइड डॉग, पुलिस और नारकोटिक्स विभाग के कुत्ते और थैरपी डॉग जैसे मामलों में टैक्स की रकम घटाई जा सकती है या छूट भी मिल सकती है. हालांकि, इसके लिए समुचित रिकॉर्ड जमा करना पड़ता है. खबरों के मुताबिक, अगर किसी ने जानवरों के शेल्टर से किसी कुत्ते को गोद लिया हो, तो कुछ नगरपालिकाएं टैक्स में छूट देती हैं.

घर में कितने कुत्ते हैं, टैक्स की राशि इसपर भी निर्भर करती है तस्वीर: YANN SCHREIBER/AFP

भारत में कुछ नगर पालिकाएं ले रही हैं डॉग टैक्स

भारत में भी कुछ नगर निगमों ने यह नियम शुरू किया है. पिछले साल खबर आई थी कि मध्य प्रदेश के सागर शहर में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने कुत्ता पालने वाले लोगों पर टैक्स लगाने का फैसला लिया है. शहर की सफाई और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना इसकी वजह बताई गई. इससे पहले वडोदरा नगर निगम ने भी 'डॉग टैक्स' लगाया था.

पहले यह शुल्क सालाना 500 रुपया था. लोगों का ठंडा रुख देखते हुए नगर पालिका ने फीस घटाकर तीन साल के लिए 1,000 रुपया करने का फैसला किया. इससे जुड़ी 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक खबर के मुताबिक, टैक्स से मिली रकम का इस्तेमाल कर नगर पालिका आवारा कुत्तों को र्स्टलाइज करने पर खर्च करना चाहती है.

वहीं, लोगों का कहना था कि नगर पालिका को यह टैक्स लगाना ही नहीं चाहिए क्योंकि वो कुत्तों की भलाई या बेहतरी के लिए कुछ नहीं करता है. कई लोग मांग कर रहे थे कि टैक्स का भुगतान करने वाले लोगों के कुत्तों को मुफ्त वैटनरी सेवा जैसे कुछ फायदे दिए जाने चाहिए.

बिल्ली काट ले तो क्या करें

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दिल्ली नगर निगम का वेटनरी विभाग भी कुत्तों के रजिस्ट्रेशन पर शुल्क लेता है. पहले दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में यह फीस अलग थी. अगस्त 2023 की 'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक खबर के मुताबिक, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली में जहां यह रकम 500 रुपये थी, वहीं उत्तरी दिल्ली में केवल 50 रुपये थी. दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट के सेक्शन 399 के मुताबिक, दिल्ली में पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. हालांकि, नियम का पालन कमजोर है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एमसीडी में केवल 3,000 कुत्ते ही पंजीकृत कराए गए हैं.

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