दुनिया का सबसे मशहूर सेल्फी स्पॉट गुलामों की कब्रों पर बना है. वहां अब जश्न है, पार्टी है.
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ब्राजील में एक ऐसी जगह है जहां लोग सेल्फी लेने के लिए पागल हुए जा रहे हैं. सेल्फी लेने वालों का तांता लग गया है. इस जगह को इस वक्त का दुनिया का सबसे मशहूर सेल्फी स्पॉट कहा जा सकता है. यह जगह है ओलंपिक मशाल. ओलंपिक खेलों के दौरान यह मशाल जली रहेगी. इसे शहर के हार्बर पर रखा गया है जहां हर व्यक्ति सेल्फी लेने पहुंच रहा है.
जिस जगह मशाल रखी गई है, वहां एक विशाल स्क्रीन भी लगी है जिस पर खेलों का लाइव प्रसारण चल रहा है. लेकिन यहां आने वाले लोगों की दिलचस्पी उस प्रसारण में कम और मशाल के साथ फोटो खिंचाने में ज्यादा होती है.
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लेरिन फ्रांको
पराग्वे, ट्रैक एंड फील्ड
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आना इवानोविच
टेनिस, सर्बिया
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सुजासना जैकब्स
स्विमिंग, हंगरी
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फ्रांचेस्का पिसिनिनी
वॉलीबॉल, इटली
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स्टेफनी राइस
स्विमिंग, ऑस्ट्रेलिया
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एलिसन स्टोके
ट्रैक एंड फील्ड, अमेरिका
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एलेक्स मॉर्गन
फुटबॉल, अमेरिका
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एंबर हिल
शूटिंग, इंग्लैंड
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मिशेल जेनेके
ट्रैक एंड फील्ड, ऑस्ट्रेलिया
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क्रिस्टीना वुकीसेविच
ट्रैक एंड फील्ड, नॉर्वे
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जैकलीन करवालो
वॉलीबॉल, ब्राजील
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एलेन हूग
हॉकी, नीदरलैंड्स
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मशाल शनिवार सुबह से जल रही है और जो लोग टिकट खरीदकर ओलंपिक स्टेडियम में नहीं जा सकते, उनके लिए दुनिया के सबसे बड़े खेल मेले का हिस्सा बनने का सबसे अच्छा जरिया बनी हुई है. हालांकि यह बहुत ही छोटी सी मशाल है क्योंकि आयोजक चाहते थे कि पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. चूंकि स्कूलों की छुट्टियां हैं तो अपने पिता के साथ मशाल देखने आईं 30 साल की स्कूल टीचर सिंथिया ओलिवेरा ने अपने स्मार्टफोन से कई तस्वीरें लीं. वह कहती हैं, "शहर में अलग ही माहौल है. सब लोगों को इस बात पर गर्व है कि वे पूरी दुनिया की मेहमाननवाजी कर रहे हैं."
सिंथिया बताती हैं कि खेलों से पहले यह इलाका बेहद पिछड़ा हुआ था. लेकिन अब पूरा इलाका रंगों से सराबोर है और चहल-पहल से रौनक है. उन्हें यकीन है कि अब ऐसा ही रहेगा.
कभी यह इलाका गुलामों का बाजार था. दुनिया के सबसे बड़े गुलाम बाजारों में इसकी गिनती होती थी. ब्राजील में अफ्रीका से करीब दस लाख लोग लाए गए थे. उनमें से ज्यादातर कब्रें यहां से लगभग 200 मीटर दूर ही हैं. कुछ कब्रें यहां भी थीं जिन्हें तोड़ डाला गया. इस बात से उन लोगों के परिवार वाले नाराज भी हैं. आलोचक कहते हैं कि जो शहर गरीबी से मरा जा रहा है, उस पर इस तरह का खर्च फिजूल है. गेम्स सिटी बनाने में लगाए गए करोड़ों रुपयों को लेकर सालोंसाल बहस चली है. लेकिन देश के लिए पहला गोल्ड पाने की खुशी भी एक गरीब के हाथों से ही आई है. जूडो खिलाड़ी रफाएला सिल्वा उसी गरीब ब्राजील में पली-बढ़ी हैं जिसके पक्ष में आलोचक बहस कर रहे थे. जहां खेल हो रहे हैं, वहां से सिल्वा का परिवार बामुश्किल 10 किलोमीटर दूर रहता है लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि सिल्वा से मिलने के लिए स्टेडियम तक आ सकें.
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ओलंपिक खेल दुनिया के सबसे बड़े खेल हैं, सिर्फ आकार और संख्या के कारण नहीं बल्कि भावनाओं के कारण भी. देखिए, ऐतिहासिक उद्घाटन समारोहों की कुछ ऐतिहासिक तस्वीरें...
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1896, पहला आधुनिक ओलंपिक
पहली बार ओलंपिक प्राचीन ग्रीक में 776 बीसी में हुए थे. लेकिन 339 एडी में इन्हें थिओडोसियस ने बंद करा दिया. फ्रांसीसी नागरिक पिएरे डा कूबर्टिन की कोशिशों से ये फिर शुरू हुए. अप्रैल 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेल हुए.
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1920, एंटवर्प
पहला विश्व युद्ध खत्म होने के दो साल बाद एंटवर्प में ओलंपिक हुए. बेल्जियम के इस शहर में उस ओलंपिक प्लैग को पहली बार फहराया गया, जिसे 1913 में डिजायन किया गया था.
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1928, ऐम्सटर्डम
यहां पहली बार एक व्यवस्था बनाई गई कि ओलंपिक समारोह में क्या कैसे और कब होगा. ग्रीक टीम ने स्टेडियम में सबसे पहले प्रवेश किया. उसके पीछे अल्फाबेटिकल ऑर्डर में बाकी देश आए.
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1936, बर्लिन
एथेंस से ओलंपिक मशाल की यात्रा बर्लिन ओलंपिक से ही शुरू हुई थी.
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1936, नाजी जर्मनी
बर्लिन में पहली बार नाजी जर्मनी का झंडा दिखा. और एक मजेदार बात भी हुई. हैती और लिष्टेनश्टाइन की टीमें अपने-अपने झंडे लेकर आईं तो पता चला कि दोनों के झंडे एकदम एक जैसे हैं.
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1964, टोक्यो
हिरोशिमा बेबी के नाम से चर्चित हुए योशिनारी सकाई ने टोक्यो में मशाल जलाई. सकाई का जन्म 6 अगस्त 1945 को हुआ था, जिस दिन अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया था.
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1980, मॉस्को
ओलंपिक में राजनीति का खेल भी होता है. मॉस्को में इसकी सबसे बड़ी मिसाल दिखी जब ब्रिटेन, जापान और पश्चिमी जर्मनी ने खेलों का बहिष्कार किया.
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1992, बार्सिलोना
पहली बार तीर से मशाल जलाई गई. कैटालोनिया के विकलांग खिलाड़ी ने तीर चलाया. उस वक्त मशाल के पास एक अधिकारी उसे जलाने के लिए पहले से तैयार खड़ा था.
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1996, अटलांटा
उस साल मोहम्मद अली का जादू साफ दिखा. वह ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे. उन्होंने मशाल जलाई और लोगों की आंखें भीग गईं.
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2004, एथेंस
आइसलैंड की आर्टिस्ट बजोर्क ने अपना गीत ओशियाना पेश किया था लेकिन चर्चा उनकी ड्रेस की रही जो 10 हजार स्क्वेयर फुट के आकार के नक्शे को ढक रही थी.
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2008, बीजिंग
यह सबसे महंगा ओलंपिक उद्घाटन समारोह था. इसके लिए चीन ने 10 करोड़ डॉलर खर्च किए थे. 14,000 परफॉर्मर्स ने इसमें परफॉर्म किया था.
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2012, लंदन
लंदन में क्वीन एलिजाबेथ ने उद्घाटन किया था. इस तरह वह दो देशों के ओलंपिक में उद्घाटन करने वालीं पहली राष्ट्रप्रमुख बनीं. 1976 में मॉन्ट्रियाल ओलंपिक का उद्घाटन भी उन्होंने ही किया था, बतौर कनाडा की महारानी के.
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लेकिन ब्राजील पहुंचे हजारों लोगों को इस बात का कोई गुमान ही नहीं है. वे बस पार्टी कर रहे हैं. जश्न का अद्भुत माहौल है. बियर के स्टॉल्स भीड़ से खचाखच भरे हैं. चारों तरफ पार्टी चल रही है. लोग सेल्फ स्टिक्स खींचे हुए घूमते नजर आ रहे हैं. सेल्फियों का मेला लगा हुआ है. गरीबी और गरीबी की बातें जश्न में खो चुकी हैं.