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देश के लिए मुश्किल बन सकते हैं लौटते अफगान

१३ जनवरी २०१७

आतंकवाद और युद्ध के कारण देश छोड़कर चले गए अफगान लौट रहे हैं. इस साल के पहले हफ्ते में ही ईरान और पाकिस्तान से 9400 अफगान घर लौटे हैं. लेकिन ये लोग देश के लिए समस्या बन सकते हैं.

Ausstellung der afghanischen Flüchtlinge in Deutschland
तस्वीर: kamran Shefayee

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में नए लोगों के आने से दबाव बढ़ सकता है.

इस महीने वतन लौटने वालों में ज्यादातर युवा हैं जिन्हें ईरान ने निर्वासित किया है. ये लोग यूरोपीय देशों में पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. पाकिस्तान ने भी अपने यहां अवैध तरीके से रह रहे अफगानों पर दबाव बढ़ा दिया है. स्थानीय लोगों के बीच अफगान प्रवासियों को लेकर गुस्सा बढ़ा है जिसके बाद सरकार ने दस्तावेजों की जांच में सख्ती शुरू कर दी है. इसके बाद बड़ी संख्या में अफगान प्रवासी अपने घर लौट रहे हैं.

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संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी इंटरनेशनल ऑर्गनाजइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के मुताबिक लौटने वालों में ज्यादातर युवा हैं जो काम की तलाश में यूरोप जाने की कोशिश में थे और ईरान ने उन्हें वापस उनके देश भेज दिया. लेकिन संभव है कि बाकी लोग भी लौटें. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता मैथ्यू ग्रेडन ने कहा, "आप अनुमान नहीं लगा सकते कि लौटने वालों का ट्रेंड क्या रहेगा. बहुत से कारण हैं जो वतन वापसी को किसी भी दिन बढ़ा सकते हैं."

ग्रेडन का कहना है कि सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ है जो पंजीकृत नहीं हैं. ऐसे लोग सहायता एजेंसियों से मिलने वाली मदद के भी हकदार नहीं हो पाते और सरकार की ओर से शिक्षा और जमीन आदि की मदद भी नहीं पा सकते. 2017 के पहले ही हफ्ते में पाकिस्तान से ऐसे 1643 लोग आए हैं जबकि ईरान से 77796. आईओएम का कहना है कि अगले दो महीनों में और ज्यादा ऐसे लोग आ सकते हैं. 2017 के आखिर तक ही 5 लाख अफगान लौट सकते हैं जो गैरपंजीकृत होंगे. पिछले दो साल से वतन लौटने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसमें कोई कमी आती नहीं दिख रही है. जनवरी 2016 से अब तक साढ़े सात लाख गैरपंजीकृत लोग लौट चुके हैं. यानी 2015 के मुकाबले 50 हजार ज्यादा. लौटने वाले पंजीकृत प्रवासियों की संख्या तीन लाख 72 हजार 577 रही.

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ग्रेडन कहते हैं कि देश अब भी युद्ध से जूझ रहा है और अर्थव्यवस्था व सेवाओं पर खासा दबाव है. वह कहते हैं, "हम सीमा पर सुविधाएं बढ़ा रहे हैं ताकि और ज्यादा परिवारों को मदद पहुंचा सकें. हम उम्मीद कर रहे हैं कि बहुत बड़ी संख्या में लोग लौटेंगे."

वीके/एके (रॉयटर्स)

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