भारत, अमेरिका और चीन को होगा मोटापे से खरबों का नुकसान
२१ सितम्बर २०२२
2060 तक विश्व अर्थव्यवस्था को सिर्फ बढ़ते मोटापे के कारण जीडीपी के 3.3 प्रतिशत का नुकसान होना तय है. एक नए अध्ययन में यह अनुमान जाहिर किया गया है.
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एक ताजा अध्ययन बताता है कि दुनिया मोटापे की भारी आर्थिक कीमत चुका रही है और इसका सबसे ज्यादा असर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है. बुधवार को प्रकाशित हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि 2060 तक मोटापा जीडीपी का 3.3 फीसदी नुकसान कर देगा.
बीएमजे ग्लोबल हेल्थ पत्रिका में छपा यह अध्ययन मोटापे का हरेक देश पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करता है. मोटापा अपने आप में तो एक बीमारी है ही, यह कैंसर, डायबीटीज और हृदय रोगों की भी सबसे बड़ी वजहों में से एक है.
किस देश को कितना नुकसान
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि किस देश में कितने लोग अनुमानित तौर पर मोटापे के शिकार हैं. बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर मोटापे का आकलन किया जाता है. बीएमआई 25 से ज्यादा होने पर ओवरवेट और 30 से ज्याद होने पर मोटापा माना जाता है.
ये खा कर काबू कर सकते हैं आप अपना वजन
आज के समय में हर कोई पतला दिखना चाहता है लेकिन वजन कम करना इतना आसान नहीं है. कसरत वजन को नियंत्रित रखने में जरूर मदद करती है लेकिन सही खानपान उससे भी ज्यादा जरूरी है.
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खीरा
एक छोटे खीरे में लगभग 20 कैलोरी होती हैं. खीरा अधिकतर पानी से भरा होता है, इसमें बिलकुल भी वसा नहीं होती. इसीलिए वजन कम करने में यह मददगार साबित होता है. साथ ही यह शरीर से सूजन कम करने में भी मददगार होता है.
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गाजर
एक बड़ी गाजर में करीब 30 कैलोरी होती हैं. गाजर खाने से आंखें तो अच्छी रहती ही हैं, वजन भी काबू में रहता है. गाजर खून में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रण में रखता है, शरीर से अत्यधिक सोडियम को निकालता है और पानी की कमी नहीं होने देता.
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पालक
आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन से भरपूर पालक सेहत के लिए बेहतरीन सब्जियों में गिनी जाती है. पका कर खाने की जगह इसे सलाद में भी खाया जा सकता है.
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नेगेटिव कैलोरी
एक आम धारणा है कि कुछ फल सब्जियों में नेगेटिव कैलोरी होती है. यानि उन्हें खाने से जितनी कैलोरी मिलती है, पचाने में उससे भी ज्यादा खर्च हो जाती है. हालांकि वैज्ञानिक इसकी पुष्टि नहीं करते लेकिन वे मानते हैं कि इस तरह की फल सब्जियां बहुत कम कैलोरी में ही हमारा पेट भर सकती हैं.
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संतरा
एक बड़े संतरे में 50 से 60 कैलोरी होती हैं. इसमें मैग्नीशियम और पोटैशियम होता है, जो दिल को तंदुरुस्त रखता है. संतरे जैसे ही फायदे ग्रेपफ्रूट से भी मिलते हैं. पेट भरने के लिए साथ में सेब भी खा सकते हैं.
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तरबूज
तरबूज एंटीऑक्सीडेंट से लैस होता है. साथ ही इसमें विटामिन बी होता है जो आपको ज्यादा चुस्त रखता है और इससे शरीर की पाचन क्षमता भी बढ़ती है, यानि ज्यादा कैलोरी जलती हैं.
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टमाटर
एक टमाटर में लगभग 20 से 25 कैलोरी ही होती हैं. लाल टमाटर के कई फायदे होते हैं. ना केवल यह आपको दुबला रखता है, बल्कि जवान भी और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ भी काम करता है.
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स्ट्रॉबेरी
स्ट्रॉबेरी साथ साथ आप ब्लूबेरी या अन्य किसी भी प्रकार की बेरी मिला सकते हैं. दूध के साथ इनका शेक बना कर पिएं, या फिर इनकी स्मूदी बना लें. पेट भी भरेगा और बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी.
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अंडा
हालांकि पीला हिस्सा वसा से भरपूर होता है लेकिन सफेद हिस्से में सिर्फ 20 कैलोरी होती हैं. अंडा उबाल कर उसकी जर्दी अलग कर दें और बाकी के हिस्से को खाएं. इससे शरीर को जरूरी प्रोटीन भी मिलेगा.
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ब्रॉकली
कम कैलोरी वाले अन्य फल सब्जियों से अलग ब्रॉकली में पानी बहुत ज्यादा नहीं होता. इसलिए इसे खाने से पेट ज्यादा भरा रहता है. गोभी की तुलना में ब्रॉकली में ज्यादा मिनरल और विटामिन होते हैं.
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शोध की मुख्य लेखिका रेचल न्यूजेंट ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा, "वैश्विक स्तर पर लगभग दो तिहाई लोग मोटापे या अधिक वजन से पीड़ित हैं. और हमारा अनुमान है कि 2060 तक ऐसे लोगों की संख्या हर चार में से तीन हो जाएगी.”
शोध के मुताबिक फिलहाल जीडीपी के का 2.2 प्रतिशत नुकसान मोटापे के कारण हो रहा है और इस नुकसान में सबसे ज्यादा वृद्धि उन देशों में होने की आशंका है जहां संसाधन कम हैं. वैसे हर देश के नुकसान के हिसाब से देखा जाए तो चीन, अमेरिका और भारत को मोटापे के कारण सबसे ज्यादा नुकसान होने की आशंका है. चीन को 100 खरब डॉलर, अमेरिका को 25 खरब डॉलर और भारत को 850 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.
अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में देखा जाए तो सबसे बुरा असर युनाइटेड अरब अमीरात पर हो सकता है जहां जीडीपी का 11 फीसदी मोटापे की भेंट चढ़ जाएगा. दूसरा नंबर त्रिनिदाद (10.5) का है.
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कहां कहां नुकसान?
शोध ने मोटापे की सीधी कीमत का भी विश्लेषण किया है जिसमें चिकित्सा खर्च आदि शामिल है. इसके अलावा अपरोक्ष नुकसान की भी गणना की गई है जो असामयिक मौतों के कारण होने वाले उत्पादकता में नुकसान के रूप में गिना जाता है. यह पहली बार है जबकि उत्पादकता में नुकसान की गणना की गई है.
रिसर्च फर्म आरटीआई इंटरनेशनल की उपाध्यक्ष न्यूजेंट ने बताया, "जो नुकसान नजर नहीं आता वह विकास की रफ्तार को धीमा करता है. अगर यह नुकसान ना होता तो हम और ज्यादा तेजी से विकसित हो रहे होते और लोगों की जिंदगियों में बदलाव तेजी से हो रहा होता.”
कीटो डायट: क्या सच में फायदा होता है?
खूब तला हुआ, मक्खन मलाई से भरा खाना खाओ और वजन घटाओ. इससे बढ़िया और क्या हो सकता है. कीटो डायट में लोग यही करते हैं. लेकिन इससे वजन घटता कैसे है?
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यूं हुई शुरुआत
इसे लोकप्रियता भले ही हाल फिलहाल में मिली हो लेकिन दरअसल यह करीब सौ साल पुरानी डायट है. 1924 में इसे मिरगी के इलाज के रूप में शुरू किया गया था. इसके साइड इफेक्ट के तौर पर वजन के घटने के बारे में जब पता चला तो 1970 के दशक में पश्चिमी देशों में इसे "वेट लॉस डायट" के नाम से बेचा जाने लगा.
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कैसे काम करती है
वजन कम करने के लिए दो चीजों पर ध्यान देना होता है: कार्बोहाइड्रेट और फैट. कीटो डायट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम की जाती है फैट की बढ़ा दी जाती है. यानी आप मक्खन से भरा खाना तो खा सकते हैं लेकिन चीनी वाला नहीं.
हमारे शरीर को ऊर्जा के लिए शुगर की जरूरत होती है जो चीनी यानी कार्बोहाइड्रेट वाले खाने से मिलती है. जब इनकी कमी होती है, तो शरीर वसा यानी फैट को जला कर ऊर्जा पैदा करता है. कीटो डायट में कार्बोहाइड्रेट दिया ही नहीं जाता, इसलिए शरीर को हर वक्त फैट जलाना पड़ता है.
जब शरीर फैट जलाने की स्थिति में पहुंच जाता है, तो उसे विज्ञान की भाषा में कीटोसिस कहा जाता है. इस अवस्था में पहुंचने में शरीर को दो से चार दिन का वक्त लग जाता है.
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क्या क्या खाते हैं
आपको दिन में 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने की इजाजत होती है. यह शरीर की कुल कैलोरी जरूरतों का मात्र 10 फीसदी है. बाकी 20% प्रोटीन और 70% फैट लेना होता है. यानी खूब सारा मक्खन मलाई वाला खाना.
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ऐसा भी करते हैं
कुछ लोग तो इस डायट को इस हद तक ले जाते हैं कि दिन का सिर्फ 2% कार्बोहाइड्रेट, 8% प्रोटीन और बाकी का 90% फैट लेते हैं. हालांकि डॉक्टर ऐसा ना करने की सलाह देते हैं.
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बीमार भी करता है
जब शरीर को ऐसी अजीब डायट पर रखा जाता है, तो शरीर भी समझ नहीं पाता कि हो क्या रहा है. नतीजतन शुरुआत में सिरदर्द, थकान और चक्कर आना आम है. इसे कीटो फ्लू कहते हैं. लेकिन दो हफ्तों बाद ये लक्षण चले जाते हैं.
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साइड इफेक्ट्स भी
फल, सब्जी, चावल और रोटी से हमें कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं. अगर इन्हें लेना बिलकुल ही बंद कर देंगे, तो पाचन पर असर पड़ेगा. ऐसे में कीटो डायट करने वालों को कॉन्स्टिपेशन की समस्या रहती है.
शरीर में कई तरह के विटामिन की कमी और लंबे समय तक इस डायट से लीवर खराब होने का खतरा, किडनी स्टोन और गठिये जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इस डायट का लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
ज्यादा वसा वाला खाना खाने से दिल को जो नुकसान पहुंचता है, वह सब जानते हैं. यानी इससे डायबिटीज और हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है. जितना ज्यादा फैट से भरपूर खाना, उतना ही ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल.
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कौन सी डायट करें
आप कोई भी डायट कर लें, डॉक्टरों के अनुसार नतीजा एक ही होगा: शुरू में शरीर में हो रहे बदलावों के कारण आपका वजन घटेगा, आप खुश हो जाएंगे लेकिन कुछ वक्त बाद वजन का घटना रुक जाएगा.
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तो फिर क्या करें
अच्छा खाना खाइए, जो पोषण से भरपूर हो, कसरत कीजिए, अपनी सोच को पॉजिटिव रखिए, जितना हो सके तनाव से दूर रहिए, अपने शरीर का सम्मान कीजिए, आपकी सेहत इसी सब से अच्छी बनेगी. रिपोर्ट: फाराह आकेल/आईबी
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न्यूजेंट कहती हैं कि आबादी और आर्थिक विकास मोटापे के बढ़ने के मुख्य कारण बन गए हैं और जैसे-जैसे देशों की आय बढ़ रही है, उनके खान-पान में बदलाव आ रहा है. वह कहती हैं कि अमीर देशों में आबादी बूढ़ी होती जा रही है और उनके लिए वजन कम करना मुश्किल होता जा रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की फ्रैंचेस्को ब्रांका कहती हैं कि मोटापे के खराब परिणामों को टालने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं. वह कहते हैं, "मिसाल के तौर पर जब खाने की चीजों की कीमतें तय की जाएं तो मोटापा बढ़ाने वाली चीजें जैसे कि पेय पदार्थ और अधिक चीनी व वसा वाले खाने महंगे रखे जाएं.”
इसके अलावा खाने के लेबल की व्यवस्था को बेहतर करना, काउंसलिंग और ड्रग थेरेपी आदि को इलाज के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है.