डब्ल्यूएचओ का कहना है कि फ्लाइट में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बहुत कम है लेकिन शून्य नहीं है. संगठन के मुताबिक फ्लाइट में प्रसार मुमकिन है लेकिन खतरा बेहद कम है. क्योंकि यात्रियों की संख्या सीमित होती है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि फ्लाइट में कोविड-19 के फैलने का जोखिम "बहुत कम" है लेकिन इसके प्रसार से इनकार नहीं किया जा सकता है. कुछ शोधों में फ्लाइट में कोरोना फैलने की बात कही गई थी. पिछले दिनों फ्लाइट में कोरोना फैलने को लेकर को दो स्टडी हुई थी और उसमें कहा गया था कि उड़ान के दौरान वायरस का प्रसार हो सकता है. डब्ल्यूएचओ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए बयान में कहा, "फ्लाइट के दौरान संक्रमण संभव है लेकिन विमान में यात्रियों की संख्या और मामलों की संख्या को देखते हुए इसका खतरा बहुत कम नजर आता है."
दरअसल पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी अपने शोध में पाया था कि उड़ान के दौरान कोरोना के प्रसार का खतरा "बहुत कम" रहता है. शोध के मुताबिक विमान में हेपा एयर फिल्टर के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावनाएं घट जाती हैं. हालांकि कुछ एयरलाइंस ने उड़ान के दौरान प्रसार की संभावना को कम बताने के लिए काफी कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया है. साउथवेस्ट एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस दोनों ने कहा है कि हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि जोखिम "वास्तव में अस्तित्वहीन" है.
साउथवेस्ट एयरलाइंस बीच वाली सीट खाली रखती है हालांकि अब उसका कहना है कि इस नए शोध के बाद वह मिडिल सीट पर बैठने की रोक हटा लेगी. वैश्विक एयरलाइंस संघ आईएटीए ने 8 अक्टूबर को कहा था कि इस साल 1.4 अरब यात्रियों में संक्रमण के केवल 44 संभावित मामले पाए गए थे.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह कम से कम दो केस रिपोर्ट अध्ययनों के बारे में जानता है जिनमें लंदन से हनोई और सिंगापुर से चीन तक की उड़ानों में इन फ्लाइट ट्रांसमिशन का जिक्र किया गया है. डब्ल्यूएचओ ने साथ ही कहा है कि बीमार और संक्रमित लोगों को यात्रा की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. उसके मुताबिक आधुनिक विमानों में एयर फिल्टर वायरस और रोगाणुओं को तेजी से फिल्टर कर सकते हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स)
14 देशों के लोगों में चीन के प्रति नकारात्मक नजरिया
अमेरिकी संस्था प्यू के सर्वे में पाया गया है कि पिछले एक साल में अमेरिका में चीन को लेकर नकारात्मक धारणा तेजी से बढ़ी है. यही नहीं, दुनिया के 14 विकसित देशों के लोगों के मन भी चीन के प्रति अच्छे विचार नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Schiefelbein
चीन पर सर्वे
अमेरिकी रिसर्च केंद्र प्यू ने दुनिया के 14 देशों में चीन को लेकर एक सर्वे किया है और इसके चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. सर्वे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, स्पेन और कनाडा में कराए गए. सर्वे के मुताबिक चीन के प्रति नकारात्मक धारणाएं उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
तस्वीर: picture-alliance/landov
कैसे हुआ सर्वे
प्यू ने इस सर्वे को 10 जून से लेकर 3 अगस्त 2020 तक किया और सर्वे में शामिल लोगों से फोन पर उनकी राय ली गई. सर्वे कोरोना वायरस पर केंद्रित था. 14 देशों के 14,276 वयस्क लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया.
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कोरोना वायरस का असर?
सर्वे के नतीजे ऐसे समय में सामने आए जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से निपट रही है और लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं. चीन के शहर वुहान से ही कोविड-19 पूरी दुनिया में फैला है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी विदेश नीति को लेकर चीन एक बड़ा मुद्दा है.
प्यू के मुताबिक जिन 14 देशों में सर्वे किया गया है वहां के 61 फीसदी लोगों ने कहा कि चीन ने कोरोना वायरस महामारी को खराब तरीके से संभाला और 37 फीसदी लोगों ने माना कि चीन ने महामारी को लेकर अच्छे से काम किया. वहीं जब लोगों से अमेरिका द्वारा महामारी से निपटने के बारे में पूछा गया तो 84 फीसदी लोगों ने कहा कि उसने महामारी को खराब तरीके से संभाला.
तस्वीर: Reuters/C.G. Rawlins
शी जिनपिंग पर भरोसा नहीं !
सर्वे में शामिल लोगों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर भरोसा नहीं जताया है. सर्वे में चीन के राष्ट्रपति की साख पर भी बट्टा लगता दिखा है. सर्वे में शामिल 78 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें जिनपिंग पर विश्व मामलों में सही तरीके से काम करने का भरोसा नहीं है. जिन लोगों ने कोरोना को लेकर चीन की प्रतिक्रिया पर सकारात्मक नजरिया रखा उनमें 10 में से चार से ज्यादा लोगों ने शी पर भरोसा नहीं जताया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki
ऑस्ट्रेलिया में बढ़ा नकारात्मक दृष्टिकोण
प्यू के सर्वे के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में चीन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. ऑस्ट्रेलिया में 81 फीसदी लोगों ने कहा कि वे चीन के प्रति प्रतिकूल दृष्टिकोण रखते हैं, इसमें पिछले साल के मुकाबले 24 फीसदी की बढ़ोतरी है. ऑस्ट्रेलिया चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाता आया है और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग उठाता आया है.
तस्वीर: Reuters/J. Ross
बाकी देशों की क्या है राय
सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं पड़ोसी देशों के साथ चीन के संबंध हाल के साल में खराब हुए हैं. प्यू के सर्वे के मुताबिक चीन के प्रति प्रतिकूल दृष्टिकोण रखने वाले लोगों में ब्रिटेन में 74 प्रतिशत (जो पिछले साल की तुलना में 19 प्रतिशत ज्यादा है), जर्मनी में 71 प्रतिशत (इसमें भी 15 प्रतिशत अधिक) और अमेरिका में 73 प्रतिशत (इसमें भी पिछले साल के मुकाबले 13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई) हैं.