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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

रोबोट को कपड़ा सिलाई सिखाने की कोशिश

१३ दिसम्बर २०२२

1.5 खरब डॉलर के कपड़ा उद्योग में अब तक ऑटोमेशन नहीं हो पाया है. वैज्ञानिकक रोबोट को सिलाई नहीं सिखा पाए हैं. हालांकि इसकी तरकीबें खोजी जा चुकी हैं. क्या कोई रोबोट जीन्स सिल सकता है?

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: Sina Schuldt/dpa/picture alliance

क्या रोबोट नीली जीन्स सिल सकते हैं? इस सवाल का जवाब दुनिया की कई बड़ी कंपनियां खोज रही हैं जिनमें जर्मनी की सीमेंस और लेवी स्ट्राउस भी शामिल हैं. सिमेंस में प्रोजेक्ट हेड यूजीन सोलोजाओ कहते हैं, “कपड़ा उद्योग कई खरबों वाला ऐसा आखरी उद्योग है जिसमें ऑटोमेशन नहीं हुआ है.”

सैन फ्रांसिस्को के सिमेंस की फैक्ट्री में 2018 से रोबोट के कपड़े सिलने को लेकर शोध चल रहा है. जब कोविड महामारी फैली तो अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में विदेशों के नौकरियां वापस लाने पर चर्चा हुई. तभी कपड़ा उद्योग में भी इस तरफ ध्यान दिया गया. अब कोशिश यह है कि चीन और बांग्लादेश में कपड़े बनाने वाली फैक्ट्रियों को वापस लाया जा सके. हालांकि यह एक संवेदनशील विषय है जिसमें कुछ का फायदा है तो कुछ इसका विरोध भी करते हैं.

बहुत कपड़ा बनाने वाल उद्योगपतियों के बीच ऑटोमेशन को लेकर खासी झिझक है. एक वजह यह भी है कि ऑटोमेशन के कारण मजदूर वर्ग को काफी नुकसान होगा. डर इतना ज्यादा है कि जीन्स फैक्ट्री में तकनीक विकास करने वाले इंजीनियर जोनाथन जोरनो कहते हैं कि सिमेंस की फैक्ट्री में ज्यादा जगह नहीं है. उन्हें जान से मारने और अपहरण तक की धमकियां मिल चुकी हैं क्योंकि ऐसा होने पर विकासशील देशों में जारी कपड़ा उद्योग को खतरा पैदा हो सकता है.

लेवाइस के एक प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ने इस बारे में कुछ शुरुआती परीक्षणों में हिस्सा लिया है. लेकिन उन परीक्षणों का नतीजा क्या रहा और क्या कंपनी ऐसी तकनीक प्रयोग करने वाली है, इस बारे में प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया.

कहां है दिक्कत?

कपड़े सिलने में रोबोट का इस्तेमाल अब तक इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि इस काम में विशेष जटिलता है जो दूसरे कामों से अलग है. कार का बंपर या प्लास्टिक बोतल बनाना कपड़े सिलने से अलग है क्योंकि इन चीजों का एक आकार होता है. इसके उलट कपड़े में कोई तय आकार या सिलाई की प्रक्रिया में कोई निश्चितता नहीं है. कपड़ा भी मोटाई और बुनावट आदि में अलग हो सकता है.

रोबोट सिर्फ छूकर कपड़ा नहीं पहचान सकते. वैसे, रोबोट सीख रहे हैं और बेहतर हो रहे हैं. कई शोधकर्ता बताते हैं कि उनकी स्पर्श से चीजों को पहचानने की क्षमता तेजी से सुधरी है. सिमेंस में इस काम को तेजी तब मिली जब वैज्ञानिकों ने रोबोट को पतली तारों को संभालना सिखा दिया. सोलोजाओ कहते हैं कि तब उन्हें लगा कि इसी तरह रोबोट धागे भी संभाल सकते हैं और उससे काम कर सकते हैं.

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तब से सिमेंस ने पिट्सबर्ग स्थित एडवांस्ड रोबोटिक्स फॉर मैन्युफैक्चरिंग इंस्टिट्यूट के साथ काम करना शुरू किया. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने भी धन दिया है. इस बारे में एक स्टार्टअप कंपनी ने बेहतरीन तकनीक पर काम शुरू किया है. स्यूबो इंक नाम की इस कंपनी के मुताबिक रोबोट को मुलायम कपड़ा संभालना सिखाने के बजाय वे कपड़े को ही सख्त कर रहे हैं ताकि रोबोट किसी कार के बंपर की तरह ही इसे उठा सके. फिर जब कपड़ा सिल जाए तो उसे मुलायम कर दिया जाए.

स्यूबो के इन्वेंटर जोरनो कहते हैं, "यूं भी हर डेनिम को सिलने के बाद धोया जाता है. इसलिए रोबोट से सिलवाकर इसे मुलायम करना प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है.”

काम शुरू करने की तैयारी

यह शोध अब कई बड़ी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है जिनमें लेवाइस के अलावा अमेरिकी सेना के लिए कपड़े बनाने वाली कंपनी ब्लूवॉटर डिफेंस एलएलसी भी शामिल है. शोधकर्ताओं को 15 लाख डॉलर की ग्रांट मिली है ताकि वे तकनीक को और बेहतर बना सकें.

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जॉर्जिया में भी एक अन्य तकनीक पर काम हो रहा है जिसमें रोबोट को टीशर्ट सिलना सिखाया जा रहा है. इसमें उन्हें एक विशेष रूप से तैयार मेज दी जाती है, जिस पर वे खींचकर कपड़े को टीशर्ट का रूप देते हैं.

हर तरह से पहला मकसद यही है कि रोबोट को किसी तरह फैक्ट्री में लाया जाए. संजीव बाल ने लॉस एंजेलिस में दो साल पहले जीन्स बनाने की फैक्ट्री लगाई थी. स्यूबो की तकनीक से वह प्रभावित हैं और अपनी फैक्ट्री में उसे शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "अगर यह काम कर गया तो अमेरिका में फिर कभी बड़ी-बड़ी कपड़ा फैक्ट्रियां नहीं लगानी पड़ेंगी.”

वीके/एनआर (रॉयटर्स)

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