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राजनीतिअफगानिस्तान

महिला शिक्षा को लेकर तालिबान नेताओं के बीच मतभेद

२० फ़रवरी २०२३

तालिबान के कुछ नेता महिलाओं की शिक्षा के पक्ष में हैं लेकिन उन्हें कट्टर नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ता है.

सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानीतस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images

अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान के एक प्रभावशाली व्यक्ति, आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के एक हालिया भाषण को अफगान तालिबान के नेताओं में मतभेद की एक असामान्य घटना के तौर पर देखा जा रहा है. अगस्त 2021 में जब से तालिबान ने देश पर कब्जा किया है, तब से समूह का नेतृत्व अपारदर्शी रहा है और इस बात के बहुत कम संकेत हैं कि उनके निर्णय कैसे किए जाते हैं.

हाल के महीनों में तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा के निर्देशों का नीति-निर्माण पर गहरा प्रभाव पड़ा है. विशेष रूप से उनके आदेश पर तालिबान सरकार ने छठी कक्षा के बाद महिलाओं और लड़कियों के विश्वविद्यालयों और स्कूलों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया.

तालिबान के फैसले कौन कर रहा है?

लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंधों ने अंतरराष्ट्रीय आक्रोश को पैदा किया, और अफगानिस्तान को ऐसे समय में और अलग-थलग कर दिया जब उसकी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और देश का मानवीय संकट बिगड़ रहा है.

प्रतिबंध तालिबान सरकार की पिछली नीतियों को ही दिखाते प्रतीत होते हैं. तालिबान के अधिकारियों ने बार-बार लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में जाने की इजाजत देने का वादा किया है, लेकिन पिछले साल अचानक उन्हें वापस जाने की अनुमति देने के फैसले को उलट दिया.

हक्कानी ने कुछ दिनों पहले खोस्त में एक सेमिनार में कहा, "सत्ता पर एकाधिकार करना और पूरे सिस्टम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना हमारे हित में नहीं है." हक्कानी के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए उनके भाषण के वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अब जब तालिबान सत्ता में आ गया है तो उसके कंधे पर और जिम्मेदारियां आ गई हैं. हक्कानी ने आगे कहा कि इस जिम्मेदारी के लिए लोगों के साथ धैर्य, अच्छे व्यवहार और संचार की आवश्यकता होती है. हक्कानी ने कहा कि तालिबान को "लोगों के घावों पर पट्टी बांधनी चाहिए" और इस तरह से काम करना चाहिए कि लोग उनसे और धर्म से नफरत न करें.

लड़कियों की शिक्षा पर बैन की आलोचना हो रही है तस्वीर: WAKIL KOHSAR/AFP

हक्कानी ने अखुंदजादा का उल्लेख नहीं किया, लेकिन सोशल मीडिया पर कई लोग इस टिप्पणी को तालिबान के सर्वोच्च नेता से जोड़ कर देख रहे हैं.  हक्कानी ने महिलाओं की शिक्षा के मुद्दे का भी उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने अतीत में सार्वजनिक रूप से कहा है कि महिलाओं और लड़कियों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

हक्कानी की टिप्पणियों पर एक स्पष्ट प्रतिक्रिया में काबुल सरकार के शीर्ष प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने उनका नाम लिए बिना कहा कि आलोचना निजी तौर पर की गई थी. उन्होंने कहा, "अगर कोई किसी नेता, मंत्री या किसी अन्य अधिकारी की आलोचना करता है, तो यह बेहतर है और इस्लामी शिक्षाएं भी कहती हैं कि उसे सार्वजनिक अभिव्यक्ति के बजाय संबोधित व्यक्ति को सीधे और गुप्त रूप से अपनी आलोचना करनी चाहिए."

कौन हैं हक्कानी?

सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान के एक गुट का नेतृत्व करते हैं, जिसे हक्कानी नेटवर्क के नाम से जाना जाता है, जिसका नाम उनके परिवार के नाम पर रखा गया है और यह खोस्त के पूर्वी प्रांत में स्थित है. नेटवर्क ने अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो सैनिकों और पूर्व अफगान सरकारी बलों के खिलाफ वर्षों तक लड़ाई लड़ी और काबुल में नागरिकों और आत्मघाती बम विस्फोटों पर हमले के लिए कुख्यात था. अमेरिकी सरकार ने अपने सैनिकों और अफगान नागरिकों पर हमले के लिए सिराजुद्दीन हक्कानी के सिर पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है.

तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्लाह हैबतुल्लाह अखुंदजादा लगभग कभी भी सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देते हैं और शायद ही कभी दक्षिणी कंधार प्रांत के तालिबान के गढ़ से बाहर निकले हों. वह उन स्थानीय नेताओं और मौलानाओं के साथ खड़े नजर आते हैं जो महिलाओं के लिए शिक्षा और काम का विरोध करते हैं. उनकी कई वर्षों पुरानी केवल एक ज्ञात तस्वीर है. तालिबान समर्थक विद्वानों की एक सभा को संबोधित करने के लिए तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद ही अखुंदजादा काबुल आए थे.

विदेश नीति पर लिखने वाले और विल्सन सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर माइकल कुगेलमैन ने कहा कि तालिबान आम तौर पर पर्दे के पीछे आंतरिक मतभेदों से निपटता है और हक्कानी की टिप्पणी "एक बड़ा तनाव" थी.

कुगेलमैन ने कहा, "तालिबान नेताओं की एक ही व्यापक दृष्टि है, लेकिन कंधार में वे एकांत में रहते हैं और वे दिन-प्रतिदिन के कामों में शामिल नहीं हैं."

एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)

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