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डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट

८ मार्च २०२२

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिर कर इतना नीचे पहुंच गया है जितना नीचे वो पहले कभी नहीं पहुंचा. जानकारों का कहना है कि जब तक यूक्रेन संकट चलता रहेगा तब तक इस स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती.

तस्वीर: Imago/Zumapress/I. Chowdhury

सोमवार को रुपया 84 पैसे गिर कर 77.01 प्रति डॉलर पर पहुंच गया जो ऐतिहासिक रूप से उसका अभी तक का सबसे निचला स्तर है. जानकारों का मानना है कि ऐसा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हो रहा है क्योंकि बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच निवेशक अपने पैसे उन इलाकों में लगा रहे हैं जहां उन्हें उसके सुरक्षित रहने की उम्मीद ज्यादा है.

रुपये की कीमत पर सबसे ज्यादा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों का पड़ रहा है, जो यूक्रेन युद्ध की वजह से लगातरा बढ़ते ही जा रहे हैं. सोमवार को कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल तक चले गए थे.

जानकारों को आशंका है कि अगर युद्ध और चलता रहा तो तेल के दाम और बढ़ेंगे. पश्चिमी देश रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की लंबी सूची में रूसी तेल को भी जोड़ने पर विचार कर रहे हैं और इससे तेल के दामों को लेकर चिंताएं और बढ़ जाने की संभावना है. रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध पर अमेरिका, यूरोप कर रहे विचार

कुछ जानकारों ने यहां तक कहा है कि अगर युद्ध चलता रहा तो रुपया और लुढ़क सकता है और 80 प्रति डॉलर के स्तर को भी पार कर सकता है. इसके भारतीय अर्थव्यवस्था पर और भी तीव्र असर होने की आशंका है.

भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम नवंबर 2021 के बाद से बढ़ाए नहीं गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों के समाप्त होने के बाद अब न सिर्फ पेट्रोल और डीजल बल्कि खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले सरसों के तेल और वनस्पति तेल के दाम भी तेजी से बढ़ सकते हैं.

कई स्थानों से तेल की अत्यधिक खरीदारी के खबरें आ रही हैं. ईंधनों के दामों में बढ़ोतरी की वजह से माल ढुलाई की लागत भी बढ़ती है और इसका असर दूसरी वस्तुओं के दामों पर भी पड़ता पर है. दूध के दाम अभी से बढ़ने लगे हैं. अमूल और मदर डेरी ने अपने अपने दूध के दाम दो रुपए बढ़ा दिए हैं.

रूस को झटका देने वाली बड़ी कंपनियां

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