ट्रांसजेंडर बनी पहली बार किसी बांग्लादेशी शहर की मेयर
३० नवम्बर २०२१
एक ट्रांसजेंडर को बांग्लादेश के एक सुदूर शहर का मेयर चुना गया है. बांग्लादेश के इतिहास में यह पहली बार है कि तीसरे लिंग की नेता को शहर की कमान संभालने के लिए चुना गया है.
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45 वर्षीय निर्दलीय उम्मीदवार नजरुल इस्लाम रितु ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी जीत हासिल की. नजरुल इस्लाम की जीत की औपचारिक घोषणा सोमवार 29 नवंबर को की गई है. लेकिन नजरूल इस्लाम ने कहा कि उनकी जीत ने "हिजड़ा" समुदाय की बढ़ती स्वीकृति को दिखाया, जो जन्म लेने वाले पुरुषों के लिए एक अपशब्द है.
इस दक्षिण एशियाई देश में लगभग 15 लाख ट्रांसजेंडर लोग रहते हैं, जो बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा का सामना करते हैं. अक्सर वे भीख मांगकर या देह व्यापार करके जीने के लिए मजबूर होते हैं.
हालांकि, नजरुल इस्लाम की चुनावी जीत को बांग्लादेश में समुदाय के लिए बढ़ती सामाजिक स्वीकृति के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. नजरुल इस्लाम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कांच की छत टूट रही है. यह एक अच्छा संकेत है." उन्होंने कहा, "इस जीत का मतलब है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं और उन्हें अपना मानते हैं. मैं अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित करूंगी."
नजरुल इस्लाम एक बड़े मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थीं, लेकिन एक बच्चे के रूप में अपने ग्रामीण गृहनगर त्रिलोचनपुर से भाग गईं और उसके बाद राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडर लोगों के एक केंद्र में शरण ली.
वह 20 साल के बाद अपने क्षेत्र में लौट आईं और दो मस्जिदों के निर्माण और कई स्थानीय हिंदू मंदिरों को दान करने में मदद करने के बाद समुदाय में एक लोकप्रिय व्यक्ति बन गईं.
रविवार को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 9,557 मतों से हराया. अब वह क्षेत्र की मेयर के रूप में काम करेंगी. नजरुल इस्लाम बांग्लादेश में पहली महापौर हैं जो तीसरे लिंग की हैं, रूढ़िवादी मुस्लिम-बहुल देश में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए स्वीकृति बढ़ती जा रही है.
2013 में बांग्लादेश में ट्रांसजेंडर लोगों को औपचारिक रूप से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई थी, जबकि 2018 में उन्हें तीसरे लिंग के मतदाताओं के रूप में पंजीकरण करने की भी अनुमति दी गई थी. नजरुल इस्लाम कहती हैं कि वह अपने 40,000 लोगों के शहर में "भ्रष्टाचार को खत्म करने और नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने" की कोशिश करेंगी.
एए/वीके (एएफपी)
खतरे में है ट्रांस लोगों का एक शरणस्थान
अमेरिका का टेनेशियस यूनिकॉर्न रैंच ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक शरणस्थान बन गया है, लेकिन इसे लेकर सब खुश नहीं हैं. यहां रहने वालों को जान से मार दिए जाने की धमकियां मिल रही हैं.
तस्वीर: LEAH MILLIS/REUTERS
उनके लिए जो हाशिए पर हैं
2018 में पेनी लोग ने टेनेशियस यूनिकॉर्न रैंच की स्थापना एलजीबीटीक्यूआईप्लस समुदाय के लोगों के लिए एक शरणस्थान के रूप में की. पेनी खुद भी ट्रांसजेंडर हैं और उन्होंने इस रैंच की स्थापना ऐसे लोगों को शरण और काम देने के लिए की जिन्हें समाज आज भी हाशिए पर रखता है. यहां एलजीबीटीक्यूआईप्लस समुदाय के लोग जिसे चाहें उसे प्रेम करने के लिए आजाद हैं.
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अपनाए जाने का सुख
इस रैंच पर पहुंचने वाले लोगों ने अमूमन जीवन में काफी भेदभाव का सामना किया होता है. बॉन्नी नेल्सन भी पेनी के साथ साथ रैंच के मालिक हैं और उनके साथ भी जीवन में यही सब हुआ है. वो कहते हैं, "यहां आने के बाद मुझे जिस तरह से अपनाया गया और जो प्यार मिला वो पहले कभी नहीं मिला था. पहली बार मुझे सच में एक परिवार मिला."
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मुसीबत की शुरुआत
86 अल्पाका, 40 बत्तख, 20 मुर्गे, कुछ कुत्ते और कुछ बिल्लियों वाला यह रैंच पहले उत्तरी कोलोराडो में था लेकिन मार्च 2020 में इसे वहां से हटा कर वेस्टक्लिफ नाम के छोटे से शहर में ले जाया गया. इसी के साथ मुसीबत शुरू हो गई क्योंकि दक्षिणपंथी समूहों ने तुरंत ही अपने नए पड़ोसियों के खिलाफ हथियार उठा लिए.
तस्वीर: LEAH MILLIS/REUTERS
नफरत की बौछार
मुसीबत की शुरुआत नफरत भरे संदेशों और फोन कॉल से हुई. फिर फोटोशॉप की हुई तस्वीरें मिलने लगीं जिनमें रैंच की तरफ एक बंदूक तनी हुई थी. उसके बाद जान से मार दिए जाने की धमकियां मिलने लगीं. एक दिन कुछ हथियारबंद लोग रैंच में घुस आए. उसके बाद रैंच के निवासियों ने भी हथियार रखना शुरू कर दिया.
तस्वीर: LEAH MILLIS/REUTERS
सिर्फ अलग होने के लिए मार दिया जाना
जान का खतरा महसूस होना बेवजह नहीं है. एलजीबीटीक्यू समुदाय का समर्थन करने वाले समूह यूएस ह्यूमन राइट्स कैंपेन का कहना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए 2017 अभी तक का सबसे खतरनाक साल था. उस साल समुदाय के 31 लोग मारे गए थे. यह उन कारणों में से एक है जिसकी वजह से पेनी ने रैंच की स्थापना की. इस तस्वीर में वो खुद बंदूक चलाना सीख रही हैं.
तस्वीर: LEAH MILLIS/REUTERS
सुरक्षा के लिए मीडिया का सहारा
रैंच के निवासी अब मीडिया का सहारा ले रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि मीडिया में बात आने से उन्हें परेशान करने वाले थोड़ा पीछे हटेंगे. इसके अलावा उन्होंने कैमरे भी लगाए हैं, बचाव के लिए विशेष जैकेट भी खरीद लिए हैं, रैंच के बाड़े को और ऊंचा किया जा रहा है और हथियारों के प्रशिक्षण को भी तेज किया जा रहा है. यूनिकॉर्न रैंच एक सुरक्षित शरणस्थान रह पाएगा या नहीं यह अभी अनिश्चित है. (सारा क्लाइन, क्लॉडिया डेन)