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युद्ध के दौर में रूस में अनाज की रिकॉर्ड उपज

१५ दिसम्बर २०२२

पड़ोसी देश यूक्रेन पर युद्ध छेड़ने के साढ़े 9 महीने के बाद रूस ने रिकॉर्ड मात्रा में अनाज की उपज का दावा किया है. आरोप है कि रूस ने अबने कब्जे वाले यूक्रेनी इलाकों से फसलों की चोरी की है.

Simferopol grain processing plant in Crimea
तस्वीर: Sergei Malgavko/TASS/dpa/picture alliance

रूस के रिकॉर्ड मात्रा में अनाज की पैदावार के दावों पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. रूस के कृषि मंत्री दिमीत्री पात्रुशेव ने बुधवार को रूसी ससंद ड्यूमा में एक सुनवाई के दौरान कहा, "आज की तारीख तक 15.9 करोड़ टन का वजन है. कुल मिला कर कहें तो हम इसके 15 करोड़ टन के आसपास रहने की उम्मीद कर रहे हैं."

फसल की चोरी

इस कुल पैदावार में यूक्रेनी इलाकों पर रूस के अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर गैरकानूनी नियंत्रण के बाद वहां की फसलों को भी शामिल किया गया है. यूक्रेन बड़े पैमाने पर फसलों की चोरी का आरोप बार बार रूस पर लगा रहा है.

यूक्रेन में गेहूं की कम बुवाई, अगले साल भी संकट के आसार

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नवंबर में सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के हवाले से बताया था कि रूस पहले ही अवैध कब्जे वाले यूक्रेनी इलाकों से 58 लाख टन गेहूं काट कर ले जा चुका है. इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 1 अरब यूरो बताई जाती है.

रिकॉर्ड उपज

हालांकि अगर यूक्रेन के अनाज को इसमें शामिल ना किया जाये तो भी पैदावार पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है. रूस में पिछले साल करीब 12 करोड़ टन अनाज पैदा हुआ था. इससे पहले रूस में सर्वाधिक अनाज पैदा करने का रिकॉर्ड 2017 में बना था, तब 13.5 करोड़ टन पैदावार हुई थी.

यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण अनाज का उत्पादन प्रभावित हुआ हैतस्वीर: Sergey Bobok/AFP/Getty Images

पात्रुशेव के मुताबिक सिर्फ अनाज ही नहीं, चुकंदर, सोयाबीन, अलसी, आलू, फल और सब्जियां भी 2022 में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पैदा हुई हैं.

रूस दुनिया के सबसे ज्यादा अनाज के निर्यातक देशों में शामिल है. रूस में अच्छी पैदावार का अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनाज की कीमतों पर काफी ज्यादा असर होता है. इस साल अनाज की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. इसका एक प्रमुख कारण यूक्रेन पर रूस का हमला है. इसी वजह से काले सागर के रास्ते यूक्रेन से निर्यात होने वाला अनाज कई महीने तक रुका रहा.

संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता में समझौते के बाद आखिरकार अगस्त से अनाज का निर्यातयूक्रेन से शुरू हुआ. हालांकि आये दिन इस पर संकट के बादल गहराते हैं और पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वर्तमान परिस्थितियों में यह कब तक जारी रहेगा.

यूक्रेन और रूस से आता है अनाज

अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनाज की कमी के कारण ही भारत ने भी गेहूं और कई दूसरी चीजों के निर्यात पर रोक लगा दी थी. भारत अनाज के प्रमुख उत्पादक देशों में शामिल है लेकिन बड़ी आबादी का पेट पालने की जिम्मेदारी के चलते यहां से अनाज का निर्यात रूस और यूक्रेन जैसे देशों जितना नहीं होता. रूस ने 2023 में अनाज का निर्यात दोगुना करने की योजना का एलान किया है.

संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता में समझौते के बाद यूक्रेन के बंदरगाहों से अनाज की सप्लाई बहाल हुईतस्वीर: Yasin Akgul/AFP

व्यापार जगत का समाचार देने वाले ब्लूमबर्ग के मुताबिक युद्ध से पहले यूक्रेन पूरे यूरोपीय संघ से ज्यादा अनाज का निर्यात अकेले करता था. दुनिया में 30 से ज्यादा ऐसे देश हैं जो यूक्रेन और रूस से आयात होने वाले गेहूं पर निर्भर हैं. इन देशों में इस्तेमाल होने वाले गेहूं का एक तिहाई सिर्फ इन दो देशों से आता है. इसके अलावा पूरी दुनिया में सूर्यमुखी के बीज के कुल निर्यात का आधा हिस्सा भी यूक्रेन और रूस से आता है.

जाहिर है कि इन दोनों के बीच युद्ध छिड़ जाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनाज और दूसरे चीजों की सप्लाई पर काफी असर पड़ा. इस युद्ध की विभीषिका तो उन गरीब देशों के बेघर और बेरोजगार लोग भी झेल रहे हैं जो अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मानवीय सहायता पर पल रहे हैं.

एनआर/एए (डीपीए)

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अनाज की कमी

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