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रूस ने कम ऊर्जा बेच कर भी प्रतिबंधों में की भारी कमाई

६ सितम्बर २०२२

यूक्रेन पर हमले के बाद छह महीनों में रूस ने केवल ऊर्जा निर्यात से 158 अरब डॉलर की भारी कमाई की है. इस कमाई में सिर्फ यूरोपीय संघ से रूस को हुई आमदनी का हिस्सा आधे से ज्यादा है.

 छह महीने में ऊर्जा बेच कर रूस ने भारी कमाई की है
प्रतिबंधों के बावजूद युद्ध के दौर में रूस की कमाई बढ़ गईतस्वीर: SPUTNIK via REUTERS

थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर, सीआरईए ने रूस के खिलाफ और ज्यादा प्रभावी प्रतिबंध लगाने की मांग की है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से यूरोप में तेल, गैस और कोयले की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. फिनलैंड के इस थिंक टैंक का कहना है, "जीवाश्म ईंधन की कीमत बढ़ने से रूस की मौजूदा कमाई पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा हो गई है जबकि इस साल निर्यात का आयाम कम रहा है."

सप्लाई घटी दाम बढ़े

रूस के सप्लाई घटाने के कारण यूरोप में प्राकृतिक गैस की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भी काफी उछाल आया लेकिन फिर उनमें थोड़ी कमी हुई. सीआरईए का कहना है, "जीवाश्म ईंधन के निर्यात ने रूस के संघीय बजट में हमले के बाद करीब 43 अरब यूरो का योगदान किया है, जिसकी मदद से जंग के लिये पैसा मिला औरयूक्रेन में युद्ध अपराध हुए."

नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से फिलहाल गैस की आपूर्ति बंद हैतस्वीर: Jens Büttner/dpa/picture alliance

24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद के छह महीनों के जो आंकड़े आये हैं उन पर चिंता जताई गई है. सीआरईए का अनुमान है कि इस दौर में यूरोपीय संघ रूसी जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़ा खरीदार रहा और इसकी कुल कीमत करीब 85.1 अरब यूरो है. इसके बाद चीन का नंबर है जिसने 34.9 अरब यूरो की ऊर्जा खरीदी और तीसरे नंबर पर तुर्की है जिसने 10.7 अरब यूरो का बिल चुकाया.

यह भी पढ़ेंः अपनी गैस को जला कर क्यों बर्बाद कर रहा है रूस

कोयले का निर्यात गिरा

यूरोपीय संघ ने रूस से कोयला खरीदना बंद कर दिया है और धीरे धीरे तेल की खरीदारी बंद कर रहा है हालांकि उसने प्राकृतिक गैस के आयात की कोई सीमा नहीं तय की है क्योंकि रूसी गैस पर यूरोप की निर्भरता काफी ज्यादा है.

सीआरईए का कहना है कि रूसी कोयले के आयात पर यूरोपीय संघ का प्रतिबंध कारगर रहा है. प्रतिबंधों के असर में रूसी कोयले का निर्यात युद्ध शुरू होने के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सीआरईए का कहना है, "रूस यूरोपीय संघ की ओर से खत्म हुई मांग के बदले में दूसरे खरीदार ढूंढने में नाकाम रहा."

हालांकि संगठन ने रूसी तेल के निर्यात के लिये कड़े नियम बनाने की मांग की है. संगठन ने यूरोपीय संघ और ब्रिटेन से ग्लोबल शिपिंग में अपनी मजबूत स्थिति का फायदा उठाने की मांग की है. सीआरईए का कहना है, "निश्चित रूप से  यूरोपीय संघ को यूरोपीय जहाजों और यूरोपीय बंदरगाहों से तीसरे देशों को तेल की ढुलाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिये, जबकि ब्रिटेन को अपने इंश्योरेंस उद्योग को इस व्यापार में हिस्सा लेने से रोकना चाहिये.

रूसी कोयले का यूरोप में आयात पूरी तरह बंद हो गया हैतस्वीर: Phelan M. Ebenhack/AP Photo/picture images

तेल के कीमत की अधिकतम सीमा

इस बीच बड़े औद्योगिक देशों के समूह जी7 ने रूसी कच्चे तेल पर अधिकतम कीमत की सीमा तय करने का वचन दिया है. जी7 का यह कदम रूस के लिये तेल के निर्यात से कमाई को सीमित कर देगा. अमेरिका कई महीनों से अधिकतम कीमत तय करने की मांग कर रहा है. अमेरिका की दलील है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंध रूसी ऊर्जा की कीमत बढ़ा रहे हैं और इनकी मदद से मिल रहा पैसा रूस युद्ध में खर्च कर रहा है.

पश्चिमी देशों और अमेरिका ने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर भारी  प्रतिबंध लगाये थे. उन्हें उम्मीद थी कि आर्थिक दबाव में रूस अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर होगा लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं है. बीते महीनों में कई ऐसी रिपोर्टें आई हैं जिनसे पता चल रहा है कि रूस तेल और गैस के निर्यात से भारी कमाई कर रहा है. प्रतिबंधों की वजह से कीमत बढ़ने के कारण उल्टा रूस को फायदा हुआ है.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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