पुतिन-जर्मन चांसलर की मुलाकात से पहले रूस ने हटाए कुछ सैनिक
१५ फ़रवरी २०२२
यूक्रेन मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों में तनाव के बीच आज जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करने जा रहे हैं.
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रूस ने अपने पड़ोसी मुल्क यूक्रेन को तीन तरफ से घेर रखा है. रूस ने मार्च-अप्रैल 2021 से ही यूक्रेन की सीमाओं पर सैनिक बढ़ाने शुरू कर दिए थे. रूस यूक्रेन को पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो में शामिल करने की कोशिशों से नाराज है. सोवियत संघ के विघटन से पहले यूक्रेन सोवियत का ही हिस्सा था.
अमेरिका भी यूक्रेन के मुद्दे पर रूस को कड़ी चेतावनी दे रहा है. जर्मनी और फ्रांस जैसे देश रूस से सेना हटाने, तनाव घटाने और झगड़ा न करने की अपील कर रहे हैं. इस बीच बड़े मुल्कों की तरफ उम्मीद से देख रहे यूक्रेन ने अभी नाटो सदस्यता का ख्वाब छोड़ा नहीं है.
इस पूरे विवाद के बीच सोमवार को दो बैठकें हुईं. एक रूस में और दूसरी यूक्रेन में. कई महीने से बेहद तनाव भरे बातचीत के बाद 14 फरवरी की इन बैठकों से राहत की एक उम्मीद निकलती दिखाई दी है. यूक्रेन में जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की मुलाकात हुई. इस बैठक में जर्मनी ने यूक्रेन को मदद और रूस को चेतावनी दी.
वहीं रूस में राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की एक बातचीत टीवी पर प्रसारित की गई. इस बैठक से बातचीत जारी रखने के संकेत दिए गए हैं. अब आज 15 फरवरी को चांसलर शॉल्त्स रूस पहुंच रहे हैं, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति पुतिन से होनी है.
एक और नई बात भी है. शॉल्त्स और पुतिन की मुलाकात से पहले यूक्रेन बॉर्डर से रूस के कुछ सैनिकों की वापसी की खबर आई है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी किया कि देशभर में बड़े पैमाने पर अभ्यास जारी है. इस बीच दक्षिणी और पश्चिमी सैन्य जिलों की कुछ यूनिट ने अपना अभ्यास पूरा कर लिया है और उन्होंने अपने ठिकानों पर लौटना शुरू कर दिया है.
क्या बदल रही है रूस की रणनीति
शॉल्त्स ने यूक्रेन को 15 करोड़ यूरो की मदद का एलान किया और कहा कि अगर रूस यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है, तो पश्चिमी देश दूरगामी और असरदार प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार है. शॉल्त्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नॉर्डस्ट्रीम 2 पाइपलाइन का जिक्र किए बिना यह भी कहा कि रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो जर्मनी उसे सजा देगा. उन्होंने उम्मीद जताई की रूस यूक्रेन के साथ तनाव घटाने के लिए कदम उठाएगा.
अब मसला यह है कि पश्चिमी खुफिया एजेंसियां कह रही थीं कि रूस बुधवार को यूक्रेन पर हमले का आदेश जारी कर सकता है. लेकिन, इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन अपने विदेश मंत्री के साथ टीवी पर आए और इस मुद्दे पर कुछ बातें कीं.
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
रूस के साथ जब भी पश्चिमी देशों का विवाद बढ़ता है तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन सबके निशाने पर आ जाती है. इसके जरिए बाल्टिक सागर से होते हुए रूसी गैस सीधे जर्मनी आएगी. लेकिन अमेरिका समेत कई देश इस पाइपलाइन के खिलाफ है.
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रूसी गैस की जरूरत
रूस की गिनती दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस से सबसे ज्यादा मालामाल देशों में होती है. खासकर यूरोप के लिए रूसी गैस के बिना सर्दियां काटना बहुत मुश्किल होगा.
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पारंपरिक गैस रूट
अभी रूसी गैस यूक्रेन होकर यूरोप तक पहुंचती है. 2019 में रूसी कंपनी गाजप्रोम के साथ हुई डील के मुताबिक यूक्रेन को 2024 तक 7 अरब डॉलर गैस ट्रांजिट फीस के तौर पर मिलेंगे.
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यूक्रेन का डर
रूस यूरोपीय बाजार के लिए अपनी 40 प्रतिशत गैस यूक्रेन के रास्ते ही भेजता है. लेकिन यूक्रेन को डर है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन चालू होने के बाद उसकी ज्यादा पूछ नहीं होगी.
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नॉर्ड स्ट्रीम 2
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन रूसी गैस को सीधे जर्मनी तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है. यह बाल्टिक सागर से गुजरेगी और इस पर 10 अरब यूरो की लागत आएगी.
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क्या है फायदा
माना जाता है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 के जरिए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को होने वाली रूसी गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी. जर्मनी रूस गैस का सबसे बड़ी खरीददार है.
जर्मनी उत्साहित
इस पाइपलाइन से हर साल रूस से जर्मनी को 55 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होगी. जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है.
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दबाव
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ आवाजें लगातार तेज हो रही हैं. यूरोप के कई देशों के साथ-साथ अमेरिका भी इसे बंद करने के लिए दबाव डाल रहा है.
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बुरी डील?
अमेरिका भी इसे जर्मन की लिए बुरी डील बताता है. नए अमेरिकी राष्ट्रपति भी बाइडेन भी इसके खिलाफ हैं. वैसे कई जानकार कहते हैं कि अमेरिका दरअसल यूरोप को अपनी गैस बेचना चाहता है.
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रूस पर निर्भरता
फ्रांस और पोलैंड समेत कई यूरोपीय देशों का कहना है कि इस पाइपलाइन से रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता बढ़ेगी और गैस का पारंपरिक ट्रांजिट रूट कमजोर होगा.
रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी को हुई सजा के बाद नॉर्ड स्ट्रीम 2 के खिलाफ फिर आवाजें तेज हो गई हैं. लेकिन जर्मन सरकार का कहना है कि उसने पाइपलाइन को लेकर अपना रुख नहीं बदला है.
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घरेलू राजनीति
जर्मनी में विपक्षी ग्रीन पार्टी और कारोबार समर्थक एफडीपी पार्टी भी इस प्रोजेक्ट को खत्म करने या रोकने की मांग कर रही हैं. मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन में भी इस पाइपलाइन के खिलाफ स्वर उभरने लगे हैं.
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इस बैठक में पुतिन ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से पूछा कि क्या रूस की सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए किसी सहमति के आसार हैं या फिर पश्चिम बस जटिल बातचीत को और खींचने की कोशिश कर रहा है. इस पर लावरोव ने कहा, "हम पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि जिन सवालों के जवाब आज दिए जाने की जरूरत है, उन पर अंतहीन बातचीत हम स्वीकार नहीं करेंगे. मुझे लगता है कि हमारी संभावनाएं अभी खत्म नहीं हुई हैं, इसलिए अभी तो मैं यही सलाह दूंगा कि हम इसे जारी रखें और आगे बढ़ाएं." लावरोव ने यह भी कहा कि वह अमेरिका और उसके सहयोगियों को रूस की मांगों को विफल नहीं करने देंगे.
पश्चिम इन बयानों को रूस की बातचीत करने की इच्छा के तौर पर देख रहा है. अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया दी है कि अगर रूस रचनात्मक रूप से बातचीत करता है, तो कूटनीति का रास्ता खुला रहेगा, लेकिन उन्हें रूस के मंसूबों को लेकर कोई गफलत नहीं है.
रूस-जर्मनी वार्ता की भूमिका
जर्मन चांसलर शॉल्त्स इस विवाद का कूटनीतिक और शांतिपूर्ण हल चाहते हैं. इसी की तलाश में वह यूक्रेन के बाद रूस का रुख कर रहे हैं, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति पुतिन से होगी. अब पुतिन-लावरोव की बैठक से रूस की मंशा तो जाहिर हो गई थी. शॉल्त्स के रूस पहुंचने से पहले जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने एक बयान दिया है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है, "हालात बेहद खतरनाक हैं और किसी भी समय हाथ से निकल सकते हैं. तनाव घटाने की जिम्मेदारी रूस पर है और रूस को ही अपने सैनिकों को पीछे हटाना है. हमें शांतिपूर्ण हल पाने के लिए बातचीत के हर मौके का इस्तेमाल करना चाहिए."
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
तस्वीर: picture alliance/AP Images
दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
तस्वीर: picture-alliance/AP/A. Nikolsky
बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/V.Maximov
पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Nikoskyi
सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y.Kadobnov
खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.
तस्वीर: Reuters/A. Novosti/RIA Novosti/Kremlin
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हालांकि, दिलचस्प यह भी है कि सवा लाख से ज्यादा सैनिकों के साथ यूक्रेन को घेरने वाला रूस लंबे समय से यही कहता आ रहा है कि इसका यूक्रेन पर हमला करने का कोई विचार नहीं है. उधर पश्चिमी देश इस स्थिति को कोल्ड वॉर के बाद से यूरोप के लिए सबसे बड़ा कूटनीतिक संकट करार दे रहे हैं. हालात बिगड़ने की सूरत में पश्चिमी देशों ने रूस पर लगाई जाने वाली पाबंदियों का खाका भी तैयार कर लिया है. वही रूस ने इस मामले पर कहा है कि अगर रूस के नागरिकों की कहीं भी हत्या होती है, तो रूस 'इसका जवाब' देगा और वह उकसाए जाने पर ही यूक्रेन पर हमला करेगा.
जर्मनी की चिंता
जर्मनी के लिए सबसे मुश्किल है गैस की आपूर्ति करने वाली नॉर्डस्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन. इसके जरिए रूसी गैस सीधे जर्मनी लाने का इरादा है. यह पाइपलाइन बन तो गई है, लेकिन अभी शुरू नहीं हुई है. इसके शुरू होने से जर्मनी का फायदा यह होगा कि रूस यूरोप को जो गैस सप्लाई करता है, वह अभी तक यूक्रेन समेत कई देशों से होते हुए आती है. इसके लिए इन देशों को ट्रांजिट फीस मिलती है. नॉर्डस्ट्रीम 2 शुरू होने से रूस से सीधे जर्मनी को गैस की सप्लाई शुरू हो जाएगी. ऐसे में, अब तक ट्रांजिट फीस पाने वाले देश कह रहे हैं कि इस प्रॉजेक्ट में उनके हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
अमेरिका और यूक्रेन जैसे कई देश हमेशा से इस पाइपलाइन के विरोध में रहे हैं. वे इसे एक 'भूराजनीतिक हथियार' की तरह देखते हैं. उनका मानना है कि इस पाइपलाइन की वजह से जर्मनी और यूरोप गैस के लिए रूस पर बुरी तरह निर्भर हो जाएगा, जिसके बाद रूस इसके बूते फायदे उठाएगा. इसकी झलक बीते एक साल में यूरोप में हुई गैस की किल्लत से मिली भी है. हालांकि, गैस पाइपलाइन चिंता रूस के लिए भी है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चेतावनी दे चुके हैं कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो नॉर्डस्ट्रीम 2 प्रॉजेक्ट खत्म हो जाएगा.