भारत की परवाह किए बिना रूस ने अपने फौजी पाकिस्तान भेजे
२३ सितम्बर २०१६
रूसी सैनिक साझा सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान पहुंच गए हैं. भारत ने इस सैन्य अभ्यास को लेकर नाखुशी जताई थी जिसे रूस ने नहीं माना है.
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रूसी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान के साथ शनिवार से शुरू हो रहे इस सैन्य अभ्यास से ‘दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग विकसित होगा और उसमें मजबूती आएगी.' मंत्रालय के अनुसार इसके लिए रूस की माउंटेन इंफेट्री के लगभग 70 सैनिक शुक्रवार को पाकिस्तान पहुंच गए हैं.
यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब गुरुवार से रूस के सुदूर पूर्व में भारत और रूस के सैनिक भी साझा अभ्यास कर रहे हैं जिसमें दोनों तरफ से 250-250 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. शीत युद्ध के जमाने से भारत और रूस के बीच नजदीकी राजनीतिक और सैन्य संबंध रहे हैं. अब भी भारत रूसी सैन्य साजोसामान का सबसे बड़ा खरीददार है. लेकिन अब रूस पाकिस्तान के साथ भी संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहा है. दोनों देश के इस पहले साझा सैन्य अभ्यास को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है. रूसी सैनिक दो हफ्ते तक पाकिस्तान में रहेंगे.
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
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टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
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परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.
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पिछले दिनों भारतीय मीडिया में खबरें आईं कि भारत इस युद्ध अभ्यास से खुश नहीं है. भारत को उम्मीद थी कि रूस पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास के अपने फैसले पर दोबारा विचार करेगा, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को इस युद्ध अभ्यास से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये युद्ध अभ्यास किसी विवादित क्षेत्र में नहीं होगा और इसके स्थल के बारे में भारत को जानकारी दे दी गई है.
देखिए, किसके पास कितने ऐटम बम हैं
किसके पास, कितने एटम बम
दुनिया भर में इस वक्त नौ देशों के पास करीब 13,865 परमाणु बम हैं. हाल के सालों में परमाणु हथियारों की संख्या घटी है. चलिए देखते हैं कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं.
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रूस
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है. 1949 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले रूस के पास 6,500 परमाणु हथियार हैं.
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अमेरिका
1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण के कुछ ही समय बाद अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु हमला किया. सिप्री के मुताबिक अमेरिका के पास आज भी 6,185 परमाणु बम हैं.
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फ्रांस
यूरोप में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार फ्रांस के पास हैं. उसके एटम बमों की संख्या 300 बताई जाती है. परमाणु बम बनाने की तकनीक तक फ्रांस 1960 में पहुंचा.
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चीन
एशिया में आर्थिक महाशक्ति और दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना वाले चीन की असली सैन्य ताकत के बारे में बहुत पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन अनुमान है कि चीन के पास 290 परमाणु बम हैं. चीन ने 1964 में पहला परमाणु परीक्षण किया.
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ब्रिटेन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य ब्रिटेन ने पहला परमाणु परीक्षण 1952 में किया. अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन के पास 200 परमाणु हथियार हैं.
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पाकिस्तान
अपने पड़ोसी भारत से तीन बार जंग लड़ चुके पाकिस्तान के पास 150-160 परमाणु हथियार हैं. 1998 में परमाणु बम विकसित करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ है. विशेषज्ञों को डर है कि अगर अब इन दोनों पड़ोसियों के बीच लड़ाई हुई तो वह परमाणु युद्ध में बदल सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
भारत
1974 में पहली बार और 1998 में दूसरी बार परमाणु परीक्षण करने वाले भारत के पास 130-140 एटम बम हैं. चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत ने वादा किया है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. साथ ही भारत का कहना है कि वह परमाणु हथियार विहीन देशों के खिलाफ भी इनका प्रयोग नहीं करेगा.
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इस्राएल
1948 से 1973 तक तीन बार अरब देशों से युद्ध लड़ चुके इस्राएल के पास 80 से 90 नाभिकीय हथियार हैं. इस्राएल के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है.
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उत्तर कोरिया
पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु तकनीक हासिल करने वाले उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं. तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 2006 में उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया.
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बताया जाता है कि पाकिस्तान रूस से सैन्य साजोसामान खरीदने के बारे में भी विचार कर रहा है. एबटाबाद में 2011 में अमेरिकी सेना के एक अभियान में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से पाकिस्तान के रिश्ते अमेरिका से खराब हुए हैं. हाल में पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने के समझौते को भी अमेरिकी सांसदों ने रोक दिया. वहीं अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हुए हैं. ऐसे में पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति से जुड़े विकल्पों का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. पिछले 15 महीनों में पाकिस्तानी सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख रूस का दौरा कर चुके हैं.