समुद्री रक्षा और सुरक्षा मामलों पर काम करने वाली स्वतंत्र संस्था यूएस नेवल इंस्टिट्यूट (USNI) का दावा है कि रूसी नौसेना ने दो डॉल्फिनों को क्रीमिया के पास सेवास्तोपोल बंदरगाह पर तैनात किया है.
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रूस ने प्रशिक्षित डॉल्फिनों को काले सागर के नौसैनिक अड्डे पर तैनात किया है. यूएस नेवल इंस्टिट्यूट (USNI) ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर यह दावा किया है. समुद्री रक्षा और सुरक्षा मामलों पर काम करने वाली स्वतंत्र संस्था (USNI) ने कहा है कि रूसी नौसेना ने दो डॉल्फिनों को क्रीमिया के पास सेवास्तोपोल बंदरगाह पर तैनात किया है. यह डॉल्फिनें यूक्रेन पर हमले शुरू होने के बाद से ही वहां हैं.
क्रीमिया से नजदीकी के चलते सेवास्तोपोल रूस के लिए एक अहम नौसैन्य अड्डा है. UNSI के विश्लेषण के मुताबिक, रूस के कई बेशकीमती जहाज यूक्रेनी मिसाइलों की पहुंच से बाहर हैं लेकिन उन पर समुद्री हमले का खतरा तो है.
यह पहली बार नहीं है जब डॉल्फिनों को मिलिट्री ऑपरेशनों में इस्तेमाल किया गया हो. शीत युद्ध के दौरान, सोवितय संघ और अमेरिका ने डॉल्फिनों को दुश्मनों और माइनों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया था. 1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद डॉल्फिन कार्यक्रम यूक्रेन के हिस्से में चला गया. हालांकि क्रीमिया को अलग करते वक्त डॉल्फिन कार्यक्रम फिर से रूसी नियंत्रण में आ गया.
सबसे शक्तिशाली देश
सक्रिय सैन्य शक्ति के विभिन्न मानकों जैसे सैनिकों की संख्या, कुदरती संसाधन, एयरपोर्ट और बजट आदि पर परखने के बाद थिंक टैंक 'ग्लोबल फायर पावर' ने सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई है. टॉप 10 देश हैं...
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
सबसे शक्तिशाली है अमेरिका
अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. उसका रक्षा बजट 801 अरब डॉलर का है. उसके पास करीब 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है.
तस्वीर: U.S. Army/ZUMA Press Wire Service/picture alliance
रूस
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सैनिकों की जमात है. उसके पास हथियारों का विशाल जखीरा है.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
चीन
चीन को सैन्य शक्ति के रूप में तीसरे नंबर पर रखा गया है. उसकी सेना दुनिया में सबसे बड़ी है. चीन के पास लगभग 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
भारत
कुल सैन्य शक्ति में भारत चीन से थोड़ा ही पीछे माना गया है. चौथे नंबर की शक्ति भारत के पास परमाणु हथियारों का भी फायदा है.
जापान के पास सैनिकों की संख्या भले ही ज्यादा ना हो लेकिन वह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, अपनी तकनीक और हथियारों के बल पर. उसके पास एक हजार के करीब तो लड़ाकू विमान हैं. 2021 में उसका रक्षा बजट दुनिया में छठा सबसे बड़ा था.
तस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance
दक्षिण कोरिया
उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा झेलना वाला दक्षिण कोरिया भी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में तैयार है. उसके पास करीब छह लाख सक्रिय जवान हैं, जो दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी सेना बनाते हैं.
तस्वीर: Kim Jae-Hwan/AFP
फ्रांस
फ्रांस हथियारों के निर्माण में सबसे बड़े देशों में से एक फ्रांस के आधुनिक हथियार उसे सातवीं सबसे बड़ी शक्ति बनाते हैं.
तस्वीर: abaca/picture alliance
ब्रिटेन
रक्षा बजट के मामले में टॉप 5 देशों में शामिल ब्रिटेन की सेना दुनिया की सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है. हालांकि उसके पास सक्रिय जवानों की बहुत बड़ी संख्या नहीं है लेकिन परमाणु और अन्य आधुनिक हथियार उसे ताकत देते हैं.
तस्वीर: Andrew Matthews/PA Images/imago images
पाकिस्तान
भारत का पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान नौवें नंबर पर है. उसके पास भी परमाणु हथियार हैं जो उसे शक्तिशाली देशों में शामिल करते हैं.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
ब्राजील
ब्राजील दुनिया का दसवां सबसे ताकतवर देश माना गया है. उसके पास चार लाख से कम सक्रिय सैनिक हैं और विदेशों से खरीदे व घरेलू स्तर पर बनाए गए उसके ताकतवर हथियार उसकी ताकत हैं.
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
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इससे पहले, दोनों देशों के बीच एक लीज एग्रीमेंट था, जिसके तहत यूक्रेन और रूस रणनीतिक अड्डा साझा करते थे. लेकिन फिर रूस ने कहा कि यह शर्त लागू नहीं रह सकती क्योंकि क्रीमिया पर कब्जे के साथ ही यह इलाका रूस का हिस्सा बन गया.
रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
तस्वीर: UPI Photo/imago images
S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
तस्वीर: AP
MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/Kacper Pempel
NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Vadim Ghirda/AP Photo
हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Supinsky
FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
तस्वीर: picture alliance/newscom/D. Perez
बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
तस्वीर: Daniel Karmann/dpa/picture alliance
नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
तस्वीर: Bundeswehr/Walter Wayman
नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
तस्वीर: Philipp Schulze/dpa/picture alliance
इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.
तस्वीर: Maxar Technologies/AFP
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इसके अलावा भी कई जानवरों को युद्धों में या जासूसी मिशनों में इस्तेमाल किया जाता रहा है. कंबोडिया में चूहों को लैंडमाइनों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था. पहले विश्वयुद्ध के दौरान जरूरी संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया जाता था.
युद्ध में तबाह हुआ मारियोपोल अब ऐसा दिखता है
दक्षिण पूर्वी यूक्रेन का शहर मारियोपोल कभी एक संपन्न बंदरगाह शहर और छुट्टी के लिए पसंदीदा जगह थी. शहर की आबादी कभी चार लाख से अधिक थी. रूसी सेना ने इसे कब्रिस्तान में बदल दिया है.
तस्वीर: Maxar Technologies/picture alliance/AP
बंदरगाह शहर
जंग से पहले तक मारियोपोल को एक ऐसी जगह के रूप में जाना जाता था जहां लोग आराम कर सकते थे और अपने खाली समय का आनंद ले सकते थे. अजोव सागर के तट पर बसे इस शहर की रणनीतिक रूप से काफी अहमियत है. बंदरगाह पर स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता था. यहीं से कई कंपनियां दुनिया भर में लोहा, स्टील, अनाज और मशीनों का निर्यात करती थीं.
तस्वीर: Ivanov Stanislav/Ukrinform/IMAGO
मौजूदा हाल
बंदरगाह की पहले की तस्वीर और अब की तस्वीर में जमीन आसमान का फर्क है. युद्धग्रस्त बंदरगाह में पानी में तैरता एक टूटा हुआ जहाज नजर आ रहा है. लोग शहर को छोड़कर भाग रहे हैं. अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
कभी ऐसा था शहर का केंद्र
20 जून, 2019 को ली गई इस तस्वीर में बच्चे सिटी सेंटर के एक पार्क में पानी के फव्वारे में खेलते हुए नजर आ रहे हैं. पीछे एक चर्च भी नजर आ रहा है.
तस्वीर: Thomas Imo/photothek/IMAGO
बमबारी के बाद ऐसा हुआ
उसी चर्च की हाल की तस्वीर कुछ और बयां करती है. तस्वीर 1 अप्रैल, 2022 को ली गई थी. कोई सोच भी नहीं सकता है कि यहां लोग बिना किसी भय के मस्ती करने आते थे.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
रंगमंच के बाहर विरोध का स्थल
मारियोपोल क्राइमिया और रूस समर्थित अलगाववादियों वाले डोनबास इलाके के बीच में है. रूस की बमबारी यहां लगातार जारी है. क्राइमिया को 2014 में यूक्रेन से अलग कर दिया गया था, तब एक महिला यूक्रेनी झंडे के साथ रूस के खिलाफ अकादमिक क्षेत्रीय नाटक थिएटर के बाहर विरोध करतीं हुईं.
तस्वीर: EST&OST/IMAGO
अब कुछ नहीं बचा
16 मार्च को हुए रूसी हवाई हमले के बाद आज स्थिति बहुत अलग है. थिएटर में करीब एक हजार लोगों समेत बच्चों ने शरण ली थी, इसका इस्तेमाल हवाई हमले से बचने के लिए किया गया था. ऐसा माना जाता है कि हवाई हमले सैकड़ों मारे गए थे.
तस्वीर: Nikolai Trishin/ITAR-TASS/IMAGO
अजोव्स्ताल की स्टील फैक्ट्री
अजोव्स्ताल स्टील प्लांट की यह तस्वीर 2017 में ली गई थी. यह यूरोप के सबसे बड़े इस्पात संयंत्रों में से एक है. बंदरगाह के अलावा मारियोपोल में सबसे ज्यादा रोजगार इसी फैक्ट्री में मिलती थी.
तस्वीर: Musienko Vladislav/Ukrainian News/IMAGO
कबाड़ बनी स्टील फैक्ट्री
17 अप्रैल, 2022 को अजोव्स्ताल स्टील फैक्ट्री की ली गई तस्वीर रूसी न्यूज एजेंसी ने जारी थी. रूसी सेना के तेज हमले के बाद फैक्ट्री अब कुछ इस तरह से नजर आ रही है.
तस्वीर: Sergei Bobylev/ITAR-TASS/IMAGO
मारियोपोल की सड़क
यह तस्वीर जो 2018 की गर्मियों की है, जो मारियोपोल की सड़कों को दिखाती है.
तस्वीर: MAXPPP/picture alliance
मारियोपोल में मातम
मारियोपोल की आज की तस्वीरें भारी तबाही दिखाती हैं. शहर अब खंडहर की तरह नजर आता है.