पाकिस्तान और रूस की नजदीकियां एक बार फिर सामने आईं हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में. भारत के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है. दो महीने में ऐसा तीसरी बार हुआ है जब रूस ने भारत का साथ नहीं दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Pal Singh
विज्ञापन
हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ रूस का साथ नहीं मिला पाया है. पाकिस्तान पर भारत और अफगानिस्तान के आरोप को खारिज करते हुए रूस ने पाकिस्तान का साथ दिया. भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर कॉन्फ्रेंस का एजेंडा हाईजैक करने का आरोप लगाया था. रूसी राजदूत जामिर काबुलोव ने इस आरोप को खारिज किया और कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि सरताज अजीज का भाषण दोस्ताना और रचनात्मक था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आलोचना गलत है.
पाकिस्तानी अखबार द न्यूज की वेबसाइट के मुताबिक रूसी राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के लिए अहम बिंदु है और एजेंडा हाईजैक होने जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने भारत को सलाह देते हुए कहा कि दोस्त और समर्थक होने के नाते हमें एक दूसरे पर इल्जाम लगाने से बचना चाहिए और साथ मिलकर काम करना चाहिए. द न्यूज ने लिखा है कि काबुलोव ने कहा कि यह सम्मेलन भारत और पाकिस्तान के लिए नंबर बनाने का मौका नहीं है बल्कि युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए.
यह भी देखिए, आतंकवाद में किसे कितने नंबर
ग्लोबल आतंकवाद सूची में भारत की स्थिति
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले सुधार देखने को मिला है. इस सूची को तैयार करने में दुनिया के 163 देशों और 99.7 प्रतिशत आबादी को शामिल किया गया है.
नंबर 1 इराक
आतंकवाद के कारण मरने वालों की कुल संख्या में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी की कमी दर्ज हुई है. 2010 से पहली बार आतंकी हमले में जान गंवाने वालों की तादाद घटी है. इसका सबसे ज्यादा आर्थिक असर इराक पर पड़ा. आइसिस, आइसिल, दायेश या इस्लामिक स्टेट के नाम से जाना जाने वाला आतंकी गुट इराक और सीरिया में जड़ें जमाए हुए है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
नंबर 2 अफगानिस्तान
आईएस के कारण विश्व भर का ध्यान सीरिया और इराक पर रहा लेकिन तालिबान लड़ाकों के कारण अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा हिंसा दर्ज हुई. 1989 से 2014 के बीच हुए 93 फीसदी आतंकी हमले ऐसे देशों में हुए जहां राज्य समर्थित आतंक है. जैसे गैरन्यायिक हत्या, यातना या बिना सुनवाई के कैद होना.
तस्वीर: Reuters
नंबर 3 नाइजीरिया
जिन पांच देशों में आतंकवाद का सबसे ज्यादा असर रहा उनमें इराक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया के अलावा पाकिस्तान और सीरिया शामिल हैं. 2015 में हुई कुल आतंकवाद से जुड़ी मौतों में से 72 फीसदी इन्हीं पांच देशों में हुईं. हालांकि इराक और नाइजीरिया में पिछले साल के मुकाबले बड़ी कमी देखने को मिली है.
तस्वीर: youtube/Fgghhfc Ffhjjj
नंबर 4 पाकिस्तान
करीब 16 सालों में दर्ज किए जा रहे आतंकवाद से जुड़े आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2014 आतंकवाद के लिहाज से सबसे बुरा साल रहा. इस साल विश्व के 93 देशों में किसी ना किसी तरह के आतंकी हमले हुए, जिनमें 32,765 लोगों की जान चली गई.
नंबर 5 सीरिया
2015 में इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकियों ने सीरिया में भारी नुकसान किया. आतंकी हमलों में कम से कम 2,761 लोगों की मौत हुई. इसके अलावा सीरिया में जारी गृह युद्ध के कारण भी मरने वालों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 63 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/M. Sultan
नंबर 6 यमन
एक साल में यहां आतंकी हमलों में मरने वालों की संख्या में 132 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 2015 के पहले साल 2012 में ऐसी हिंसा देखने को मिली थी जब राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को पद से हटना पड़ा था. हूथी, आइसिल समर्थक, और अल कायदा समेत आठ बड़े आतंकी गुट यमन में आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AA/A. Alseddik
नंबर 7 सोमालिया
साल 2009 के बाद इस साल पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि सोमालिया में दो से अधिक आतंकी गुटों ने हमले किए. 2015 में ऐसे चार गुटों ने हमले के जिम्मेदारी ली, जिनमें से दो बिल्कुल नए हैं. हालांकि 90 फीसदी मौतों का जिम्मेदार अल शबाब ही रहा. इस गुट ने राजधानी मोगादिशु समेत कई सोमालियाई इलाकों पर 2010 से ही कब्जा जमाया हुआ है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/M. Sheikh Nor
नंबर 8 भारत
2000 के बाद सीधे 2015 में इतने हमले हुए. भारत में हुए हमलों में अपेक्षाकृत कम लोगों की मौत हुई. ऐसे 75 फीसदी हमलों में कोई भी नहीं मारा गया. इन गुटों का मकसद केवल सरकार को अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाना रहा, आम नागरिकों की जान लेना नहीं. आतंकवाद में कम्युनिस्ट, इस्लामिक और अलगाववादी गुटों की हिंसा अहम है. माओवादियों का निशाना अक्सर पुलिस होती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar
नंबर 22 बांग्लादेश
यह साल बांग्लादेश के लिए काफी कठिन रहा. सन 2000 के बाद यहां सबसे अधिक हमले और मौतें हुईं. ऐतिहासिक रूप से जमात-उल-मुजाहिद्दीन जैसे समूह ऐसी हिंसा को अंजाम देते आए हैं. हालांकि पहली बार अल-कायदा और आइसिल जैसे अंतरराष्ट्रीय गुटों से कई हमलों के तार जुड़ते दिखे हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. H. Opu
9 तस्वीरें1 | 9
भारत के लिए यह बड़ा झटका कहा जा सकता है क्योंकि हाल के समय में यह लगातार तीसरी बार है जब रूस ने भारत का साथ नहीं दिया है. पहले उसने पाकिस्तान के साथ मिलकर युद्ध अभ्यास किया था जबकि भारत ने उस पर विरोध जताया था. उसके बाद गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत ने कोशिश की थी कि पाकिस्तान की आलोचना हो लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. और अब भारत के अमृतसर में हो रहे हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भी रूस ने पाकिस्तान का साथ दिया है.
काबुलोव अफगानिस्तान में रूस की भूमिका के लिए जिम्मेदार अधिकारी हैं. सम्मेलन के दौरान रिपोर्टर्स से बातचीत में उन्होंने भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकियों का भी जिक्र किया. जब उनसे पाकिस्तान और रूस के सैन्य सहयोग के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच नजदीकी सहयोग है, क्या मॉस्को इस बारे में कोई शिकायत करता है? फिर पाकिस्तान के साथ हमारे इतने छोटे स्तर के सहयोग पर शिकायत क्यों?"
भारत के अफगानिस्तान में गहरे हित हैं. वहां उसके दो अरब डॉलर के प्रोजेक्ट चल रहे हैं. हार्ट ऑफ एशिया एक प्रक्रिया है जिसे युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए 2011 में शुरू किया गया था. इस प्रक्रिया में भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.