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कजाख राष्ट्रपति ने दिया गोली मारने का आदेश

७ जनवरी २०२२

दुनिया के 9वें बड़े देश कजाखस्तान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कम से 26 लोग की मौत हो चुकी है. रूस की अगुवाई में सैन्य सहायता मिलने के बाद कजाख राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों पर पूरी ताकत से वार करने का आदेश दिया.

अलमाटी में उग्र प्रदर्शनों के दौरान फायरिंग
अलमाटी में उग्र प्रदर्शनों के दौरान फायरिंगतस्वीर: Valery Sharifulin/TASS/dpa/picture alliance

कजाखस्तान के कुछ हिस्सों में पांच दिन से जारी प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव ने देश को फिर से संबोधित किया. एक हफ्ते के भीतर तीसरी बार किए गए टेलीविजन संबोधन में तोकायेव ने कहा कि देश में कई मामलों में संवैधानिक व्यवस्था बहाल कर दी गई है. लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के मंहगे दामों के विरोध में शुरू हुए उग्र प्रदर्शनों के चलते फिलहाल कजाख राष्ट्रपति ने देश में दो हफ्ते का आपातकाल लगाया है.

कजाखस्तान की मदद के लिए रूस की अगुवाई में पूर्वी सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों ने सैन्य टुकड़ियां भेजी हैं. सैन्य सहायता के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आभार व्यक्त करते हुए तोकायेव ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी भी दी. तोकायेव ने अलमाटी शहर को बर्बाद करने वाले "20,000 डकैतों" का जिक्र देते हुए कहा कि उन्हें तबाह किया जाएगा. उन्होंने कहा, "आतंकवादी लगातार संपत्ति को नुकसान पहुंचाते जा रहे हैं और आम नागरिकों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मैंने कानून का पालन सुनिश्चित करने वाली एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे बिना चेतावनी दिए उन्हें गोली मार दें."

कजाख राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेवतस्वीर: Alexei Nikolsky/Kremlin/REUTERS

इस बीच, रूसी सेना की टुकड़ियां भी लगातार विमान से कजाखस्तान भेजी जा रही हैं. रूस की समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने रूसी रक्षा मंत्रालय के हवाले से यह जानकारी दी है. रूसी सेना ने कजाख एजेंसियों के साथ मिलकर कजाखस्तान के सबसे बड़े शहर अलमाटी के एयरपोर्ट को नियंत्रण में ले लिया है.

तेल से समृद्ध देश में ईंधन का रोना

पेट्रोलियम संपदा से समृद्ध कजाखस्तान में 2022 की शुरुआत के साथ ही एलपीजी के दामों पर सरकारी मूल्य नियंत्रण हट गया. इसके चलते एलपीजी के दाम करीबन दोगुने हो गए. एलपीजी को यहां ऑटोगैस के नाम से भी जाना जाता है. सस्ती होने के कारण कजाखस्तान में अब तक ज्यादातर गाड़ियां एलपीजी से ही चलती हैं. ऐसे में गैस की कीमत में बढ़ोत्तरी का लोगों पर सीधा असर पड़ा.

दो जनवरी को एलपीजी गैस के दामों को विरोध में सबसे पहले प्रदर्शन झानाओजेन शहर में शुरू हुए. देखते ही देखते अलमाटी में उग्र प्रदर्शन होने लगे. 20 लाख की आबादी वाला अलमाटी कजाखस्तान का सबसे बड़ा शहर है. 1997 तक कजाखस्तान की राजधानी रहे इस शहर को आज भी देश का वित्तीय केंद्र कहा जाता है. तबसे देश की आधिकारिक राजधानी नूर सुल्तान है. पहले जो जगह अस्ताना कहलाती थी, उसी का नाम बदल कर तीन दशक तक कजाखस्तान पर शासन करने वाले नुरूसुल्तान नजरबायेव के सम्मान में रखा गया. 81 साल के नजरबायेव ने मार्च 2019 में इस्तीफा दिया और तोकायेव को अपनी जगह दे दी.

अलमाटी में प्रदर्शनकारियों ने मेयर का दफ्तर जला दियातस्वीर: Valery Sharifulin/TASS/imago images

महंगाई का विरोध हुआ तो कजाखस्तान सरकार ने दिया इस्तीफा

लंबे समय से शांत कजाखस्तान क्यों उबल पड़ा है

कजाखस्तान के सरकारी रेडियो खबर 24 के मुताबिक अलमाटी के प्रदर्शनों में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है. 3,000 से ज्यादा लोगों को सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बताकर गिरफ्तार किया गया है. अलमाटी में 63.1 फीसदी मूल कजाख और रूसी मूल के 23.7 फीसदी कजाख रहते हैं. देश के दक्षिण पश्चिम में स्थिति अलमाटी किर्गिस्तान से सटा हुआ है. अलमाटी से चीन का बॉर्डर भी ज्यादा दूर नहीं है.  चारों तरफ से जमीन से घिरा दुनिया का सबसे बड़ा देश कजाखस्तान ही है. 

रूस की सैन्य मदद

पांच जनवरी को सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने अलमाटी के एयरपोर्ट को कब्जे में ले लिया था. इसके बाद कजाखस्तान के राष्ट्रपति तोकायेव ने रूस सरकार से सैन्य मदद मांगी. मॉस्को ने बिना देरी किए एक के बाद विमान भेजकर अपनी सैन्य टुकड़ियां अलमाटी पहुंचा दी. रूसी और कजाख सेना ने एक दिन के भीतर ही एयरपोर्ट को खाली करा लिया.

कार्गो विमान से कजाखस्तान रवाना होते रूसी सैनिकतस्वीर: Russian Defence Ministry/AFP

इस बीच रूस के उप विदेश मंत्री आलेक्जांडर ग्रुशेको ने भरोसा जताया है कि पूर्वी सोवियत संघ का हिस्सा रहा कजाखस्तान इस संकट से निकल आएगा. शुक्रवार को ग्रुशेको ने कहा कि रूस और पूर्वी सोवियत संघ के अन्य देशों की सामूहिक सुरक्षा संधि संस्था ने मदद के लिए शांति सेना कजाखस्तान भेजी है. ग्रुशेको के मुताबिक कजाखस्तान में अशांति का विस्फोट हो चुका है और हम "कजाखस्तान के साथ वैसे ही खड़े हैं जैसे सहयोगियों को खड़े रहना चाहिए."

वहीं दूसरी ओर कई मानवाधिकार संगठन कजाख सरकार पर भ्रष्टाचार, निरंकुश सत्ता, बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी का आरोप लगाते हैं.

ओएसजे/आरपी (डीपीए, रॉयटर्स)

 

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