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१२ जुलाई २०१७माता हारी की मौत को 2017 में 100 साल पूरे हो रहे हैं. पहले विश्व युद्ध की सबसे चर्चित जासूसों में गिनी गईं माता हारी असल में जासूस थीं भी या नहीं, इस पर भी विवाद है.
माता हारी के 100 साल
माता हारी की मौत को 2017 में 100 साल पूरे हो रहे हैं. पहले विश्व युद्ध की सबसे चर्चित जासूसों में गिनी गईं माता हारी असल में जासूस थीं भी या नहीं, इस पर भी विवाद है.
राजकुमारी मार्गरेटा
गीरट्रुइडा मार्गरेटा जेले का जन्म 1876 में नीदरलैंड्स में हुआ था. उनके पिता टोपियां बनाते थे. 14 साल की उम्र में उन्होंने मां को खो दिया. वह दुनिया घूमना चाहती थी.
शादी के बाद
18 साल की मार्गरेटा ने अपने से दोगुनी उम्र के एक डच अफसर से शादी की जो इंडोनेशिया में तैनात था. लेकिन वह एक शराबी निकला और उसे यातनाएं देता था. मार्गरेटा ने उसे छोड़ दिया.
डांस की ओर
पति से अलग होकर मार्गरेटा ने जावा डांस सीखना शुरू किया. पति ने गुहार लगाई तो वह घर लौट आई. फिर दो बच्चे हुए. लेकिन 1902 में पति-पत्नी फिर अलग हो गई.
तलाक के बाद
तलाक के बाद मार्गरेटा पैरिस चली गईं. वहां उन्होंने अपना डांस करियर जारी रखा. फ्रांसीसी सेना में कई अफसर उसके दीवाने हो गए. यूरोप में वह माता हारी के नाम से स्टेज डांस के रूप में मशहूर हो गईं.
युद्ध
माता हारी तब अपने डांसिंग करियर के चरम पर थीं, जब विश्व युद्ध शुरू हुआ. पॉल डाउसवेल और फर्गुस फ्लेमिंग अपनी किताब में लिखते हैं कि माता हारी नीदरलैंड्स चली गईं क्योंकि वह युद्ध से बाहर था. लेकिन उनका मन नहीं लगा.
दुश्मनों के बीच
जर्मनी के एक अफसर के कहने पर माता हारी पैरिस लौट आईँ और ऐसा आरोप है कि जर्मनी के लिए जासूसी करने लगीं. वह फ्रांसीसी अफसरों को लुभातीं और उनके राज पता करतीं.
जासूसी का आरोप
24 जुलाई 1917 को माता हारी को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. 15 अक्टूबर को उन्हें गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया गया. कहते हैं कि जब माता हारी फायरिंग स्क्वॉड के सामने खड़ी थीं तो उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधने से इनकार कर दिया था.
सारी यादें
मरने से चंद पहले उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी याद की कि कैसे नीदरलैंड्स के एक छोटे से शहर की लड़की जावा होते हुए पैरिस पहंच गई. उन्होंने अपना जुर्म नहीं कबूला.
जांच
20 साल से जर्मनी, इंग्लैंड और नीदरलैंड्स के अधिकारी माता हारी के बारे में उपलब्ध दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं. मशहूर लेखक पाउलो कोएलो ने इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर 'द स्पाई' नाम का उपन्यास लिखा है.
पहली नारीवादी
कोएलो लिखते हैं कि माता हारी दुनिया की शुरुआती नारीवादियों में थीं. उन्होंने अपने लिए एक आजाद जीवन चुना जो परंपराओं में बंधा नहीं था.
आजाद औरत
अपनी किताब में पाउलो कोएलो दावा करते हैं कि आखिरी वक्त में माता हारी ने बस तीन शब्द कहे थे, मैं तैयार हूं. ब्राजील के एक लेखक ने लिखा है कि माता हारी का जुर्म बस इतना था कि वह एक आजाद औरत थी. (एपी/वीके)