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क्या चंद्रयान से पहले पहुंच जाएगा रूस का रॉकेट लुना-25?

९ अगस्त २०२३

47 साल में पहली बार रूस चांद पर रॉकेट भेजेगा. भारत ने हाल ही में अपना एक यान चांद पर उतरने के लिए भेजा था. अब रूस का यान भी तैयार है.

सोयूज एमएस-21 कैप्सूल
आईएसएस की ओर जाता सोयूज एमएस-21 कैप्सूलतस्वीर: Anton Shkaplerov/Roscosmos/REUTERS

आने वाले शुक्रवार को रूस का नया यान चांद की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा. भारत के चंद्रयान की तरह यह भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की ओर उतरने की कोशिश करेगा, जहां पानी होने की संभावना है.

मॉस्को से लगभग 5,550 किलोमीटर पूर्व में वोस्तोचनी से यह यान शुक्रवार को छोड़ा जाएगा, जबकि भारत का यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है और 23 अगस्त को उसे सतह पर उतरना है.

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए वहां किसी यान का उतरना बेहद मुश्किल माना जाता है. लेकिन तब भी विभिन्न देश वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां बर्फ मौजूद है, जिससे ईंधन, पानी और ऑक्सीजन निकाली जा सकती हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं.

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमोस ने कहा कि लुना-25 नाम का एक यान पांच दिन यात्रा कर चांद पर पहुंचेगा और उसके बाद पांच से सात दिन तक कक्षा में रहेगा. तब वह किन्हीं तीन में एक जगह उतरने की कोशिश शुरू करेगा.

भारत से मुकाबला?

जितनी जल्दी में रूस का यह अभियान तैयार किया गया है, उससे लगता है कि वह भारत के चंद्रयान-3 से पहले भी चंद्रमा पर उतर सकता है. हालांकि रोसकॉसमोस ने किसी तरह के मुकाबले से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि दोनों अभियान एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे और दोनों के लैंडिंग एरिया अलग-अलग हैं.

एजेंसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "उनके एक दूसरे के साथ दखलअंदाजी करने या टकराने की कोई संभावना नहीं है. चंद्रमा पर सबके लिए खूब जगह है. बीते अप्रैल में जापान की एक निजी अंतरिक्ष कंपनी  ने चंद्रमा पर लैंडिंग की कोशिश की थी लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली थी.

चंद्रयान-3 दो हफ्ते तक ही चंद्रमा पररहकर प्रयोग करेगा जबकि लुना-25 करीब एक साल तक वहां रहेगा. 1.8 टन वजनी इस यान में 31 किलोग्राम वजन के वैज्ञानिक उपकरण होंगे. वह चांद की सतह से 15 सेंटीमीटर गहराई तक के मिट्टी के नमूने जमा करेगा ताकि पता लगाया जा सके कि मानव जीवन के लिए जरूरी बर्फ यानी जमा हुआ पानी वहां मौजूद है या नहीं.

रूसी विज्ञान अकादमी में शोधकर्ता लेव जेलेनी कहते हैं, "चांद तो पृथ्वी के सातवें महाद्वीप की तरह है. इसलिए हम तो वहां जाकर उसका संधान करने के लिए अभिशप्त हैं.”

दो साल से टल रहा अभियान

वैसे, लुना-25 को पहले अक्तूबर 2021 में छोड़ा जाना था लेकिन यह अभियान लगभग दो साल से टलता आ रहा है. पहले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए भी अपना पायलट-डी नेविगेशन कैमरा इस यान के साथ भेजना चाहती थी ताकि उसका परीक्षण हो सके लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद ईएसए ने खुद को अभियान से अलग कर लिया.

शुक्रवार 7.30 बजे इस यान के यान के प्रक्षेपण के लिए रूस के सुदूर पूर्व में एक गांव से लोगों को हटाया जा रहा है, क्योंकि दस लाख में से एक की संभावना हो सकती है कि लुना-25 धरती पर गिर जाए. उस स्थिति में लोगों को किसी तरह का नुकसान ना हो, इसलिए उन्हें घरों से दूर ले जाया जा रहा है.

स्थानीय अधिकारी आलेक्सेई मासलोव ने बताया कि शाक्तिंस्की गांव के 26 निवासियों को ऐसी जगह ले जाया जाएगा जहां से वे प्रक्षेपण देख सकें. उन्हें मुफ्त नाश्ता दिया जाएगा और साढ़े तीन घंटे में वे अपने घरों को छोड़ दिये जाएंगे. इलाके के शिकारियों और मछुआरों को भी चेतावनी जारी की गयी है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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