रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वादा किया है कि वह आने वाले दिनों में इस्कंदर-एम मिसाइल के "पारंपरिक और परमाणु संस्करण" पड़ोसी देश बेलारूस में भेजेंगे.
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पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में शनिवार को बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा, "आने वाले महीनों में हम बेलारूस को इस्कंदर-एम टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम ट्रांसफर करेंगे, जो बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल इस्तेमाल करता है. इसके पारंपरिक और परमाणु संस्करण दिए जाएंगे." रूसी राष्ट्रपति ने बताया कि मिसाइल ट्रांसफर के तौर-तरीकों पर दोनों देशों के रक्षा मंत्री चर्चा करेंगे.
पुतिन ने यह भी कहा कि रूस बेलारूस के एसयू-25 लड़ाकू विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने में भी उसकी मदद करेगा, ताकि ये अपने साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हो सकें. उन्होंने कहा, "आधुनिकीकरण का यह काम रूस में स्थित एयरक्राफ्ट फैक्ट्रियों में होगा और फिर इसी हिसाब से सैन्य कर्मियों की ट्रेनिंग होगी."
यूक्रेन के खिलाफ छेड़े गए रूस के युद्ध में बेलारूस उसका अहम सहयोगी है. यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमले की शुरुआत करने के लिए बेलारूस ने रूस को अपनी जमीन मुहैया कराई. उधर यूक्रेन ने शनिवार को कहा कि रूसी सैनिकों ने बेलारूस से यूक्रेनी शहरों जीतोमीर और चेर्नीहीव पर दर्जनों मिसाइलें दागीं.
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रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
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S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
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MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
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NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
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हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
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FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
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बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
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नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
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नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
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इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.
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इस्कंदर-एम क्या है?
इस्कंदर-एम एक मोबाइल गाइडेड मिसाइल सिस्टम है, जिसे नाटो ने "एसएस26 स्टोन" कोड नाम दिया है. इस सिस्टम ने सोवियत "स्कड" मिसाइल सिस्टम की जगह ली है. इसकी दो गाइडेड मिसाइलों की मारक क्षमता 500 किलोमीटर है और यह पांरपरिक या परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
यूक्रेन के खिलाफ 24 फरवरी से शुरू हुए युद्ध के बाद पुतिन ने कई बार परमाणु हथियारों का जिक्र किया है. दरअसल इसके जरिए वह पश्चिमी देशों को चेतावनी देने की कोशिश करते हैं कि वे यूक्रेन युद्ध में हस्तक्षेप करने की कोशिश न करें.
लुकाशेंको ने पिछले महीने कहा था कि उनके देश ने रूस से परमाणु क्षमता वाली इस्कंदर मिसाइलें और एस400 एंटी-एयरक्राफ्ट एंटी-मिसाइल सिस्टम खरीदे हैं.