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समाज

भारत-चीन विवाद पर रूस ने जताई चिंता

१३ नवम्बर २०२०

रूस ने भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर चेतावनी दी है और कहा है कि इससे पूरे यूरेशिया क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी. रूस का कहना है कि तनातनी का गलत इस्तेमाल अन्य सक्रिय ताकतें अपने भू-राजनीतिक उद्देश्य के लिए कर सकती हैं.

तस्वीर: picture alliance/Photoshot/L. Xiao

पिछले कई महीनों से भारत और चीन के बीच एलओसी के मुद्दे पर तनाव बना हुआ है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. इस बीच रूस ने भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर चिंता जताते हुए कहा है कि तनाव बढ़ने से यूरेशिया में क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ेगी और अन्य देश इस टकराव का अपने भू-राजनीतिक मकसद के लिए गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.

गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए रूसी मिशन के उप-प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि दो एशियाई शक्तियों के बीच तनाव से रूस स्वाभाविक रूप से चिंतित है. उन्होंने कहा, "एलएसी पर जारी तनाव का शांतिपूर्ण समाधान बिना देर किए जरूरी है." उन्होंने इस बात के भी संकेत भी दिए कि रूस बैक चैनल वार्ता का इस्तेमाल तनाव कम करने के लिए कर सकता है.

उन्होंने आगे कहा, "रूस एक विशिष्ट स्थिति में है क्योंकि उसके संबंध दोनों चीन और भारत के साथ विशेष और रणनीतिक रूप से अहम हैं और यह संबंध स्वभाव से स्वतंत्र है. हम स्वाभाविक रूप से भारत-चीन के मौजूदा तनाव से चिंतित हैं."

कई महीनों से दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है. तस्वीर: AFP/S. Kanojia

भारत और चीन के शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स का सदस्य होने का संदर्भ देते हुए बाबुश्किन ने कहा जब बहुपक्षीय मंच पर सहयोग की बात आती है तो सम्मानजनक संवाद ही प्रमुख हथियार होता है. साथ ही बाबुश्किन ने कहा है कि रूस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें एस-400 भारत को जल्द सप्लाई करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. इस हथियार प्रणाली की पहली खेप की आपूर्ति अगले साल के अंत तक होनी है.

उन्होंने एस-400 सौदे के बारे में कहा, "फिलहाल समय सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. पहली खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक होने की उम्मीद है लेकिन हम उस आपूर्ति के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं."

गौरतलब है भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद अक्टूबर 2018 में एस-400 मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. रूस ने ऐसा ही एक समझौता नाटो के सदस्य तुर्की के साथ भी किया है.

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