रूस ने वेस्ट को दी प्रतिबंधों की चेतावनी, कहा तकलीफ होगी
९ मार्च २०२२
रूस ने प्रतिबंधों पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वेस्ट उसके तेल और गैस का बहिष्कार करना चाहता है, तो वह इसके लिए तैयार है. रूस ने कहा कि उसको पता है कि ऐसी स्थिति में अपनी एनर्जी सप्लाई कहां भेजनी है.
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रूस ने पश्चिमी देशों और अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों पर पलटवार की चेतावनी दी है. उसने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि वह खुद पर लगे प्रतिबंधों की विस्तृत प्रतिक्रिया तैयार कर रहा है और उसके उठाए कदमों का असर पश्चिमी देश वहां महसूस करेंगे, जो उनके सबसे संवेदनशील पक्ष हैं.
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से रूस की अर्थव्यवस्था अभी सबसे गंभीर स्थिति में है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस की करीब-करीब समूची वित्तीय और कॉर्पोरेट व्यवस्था पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब रूस ने जवाबी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है. रूसी विदेश मंत्रालय के आर्थिक सहयोग विभाग के निदेशक दिमित्री बिरिचेव्स्की ने कहा, "रूस की प्रतिक्रिया तीव्र और सोची-समझी होगी. जो इसके निशाने पर होंगे, उन्हें इसका असर महसूस होगा."
कौन खरीदता है रूस का सामान
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है. लेकिन रूस के बड़े आयातक तो दूसरे देश हैं, जो उससे तेल ही नहीं और भी बहुत कुछ खरीदते हैं. देखिए रूस के 10 सबसे बड़े आयात साझेदार...
तस्वीर: Vasily Fedosenko/ITAR-TASS/imago images
रूसी सामान का सबसे बड़ा खरीददार
चीन रूस का सबसे बड़ा आयातक है. 2021 में रूस के कुल निर्यात का सबसे ज्यादा (13.4 प्रतिशत) चीन को था, जिसकी कुल कीमत 57.3 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 4,442 अरब भारतीय रुपये थी.
तस्वीर: Costfoto/picture alliance
नंबर 2, नीदरलैंड्स
स्टैटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक 2021 में रूस ने यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को 44.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो उसके कुल निर्यात का 10.5 फीसदी था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
नंबर 3, जर्मनी
रूस की प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीददार जर्मनी दरअसल उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है. 2021 में जर्मनी ने रूस से 28 अरब डॉलर का सामान खरीदा, यानी कुल व्यापार का 6.6 प्रतिशत.
तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS
नंबर 4, बेलारूस
यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ दे रहे बेलारूस ने पिछले साल 21.7 अरब डॉलर का आयात रूस से किया था, जो रूस के कुल निर्यात का 5.1 प्रतिशत था.
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नंबर 5, तुर्की
रूस से सामान खरीदने में तुर्की भी पीछे नहीं है. उसने पिछले साल 21.1 अरब डॉलर का सामान खरीदा जो रूस के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत था.
दक्षिण कोरिया को रूस ने 2021 में 16.4 अरब डॉलर का सामान बेचा जो उसकी कुल बिक्री का 3.8 प्रतिशत था.
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नंबर 7, इटली और कजाखस्तान
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान रूस के कुल निर्यात का 3.4 प्रतिशत यानी लगभग 14.3 अरब डॉलर इटली को जाता है. इतना ही निर्यात कजाखस्तान को भी हुआ.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
नंबर 8, ब्रिटेन
रूसी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत की है. पिछले साल उसने रूस से 13.3 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
तस्वीर: empics/picture alliance
नंबर 9,अमेरिका
अमेरिका ने बीते साल रूस से 13.2 अरब डॉलर का आयात किया, जो रूस के कुल निर्यात का 3.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Kena Betancur/AFP/Getty Images
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अंतरराष्ट्रीय बाजार पर असर
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर हुए हमले के जवाब में 8 मार्च को रूसी तेल और बाकी एनर्जी आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया. इसी हफ्ते रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूस से क्रूड आयात रोकते हैं, तो तेल की कीमत 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
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रूस का कहना है कि यूरोप सालाना 50 करोड़ टन तेल का इस्तेमाल करता है. इसका लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा रूस निर्यात करता है. साथ ही, वह आठ करोड़ टन पेट्रोकेमिकल का भी निर्यात करता है. 8 मार्च को ही रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने टीवी पर प्रसारित अपने संबोधन में यूरोप को चेतावनी दी थी, "यह बिल्कुल स्पष्ट है कि रूसी तेल का बहिष्कार करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार को बेहद गंभीर नतीजे भुगतने होंगे."
यूक्रेन के लिए लड़ने पहुंच रहे विदेशी लड़ाके
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के हमले के बाद ही विदेशी लड़ाकों से यूक्रेनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की सार्वजनिक अपील की थी. अब कई लड़ाके और वॉलिंटियर यूक्रेन पहुंच रहे हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
हर मोर्चे पर यूक्रेन के साथ
राष्ट्रपति जेलेंस्की की अपील के बाद अब तक यूक्रेन में 16 हजार से अधिक वॉलंटियर पहुंच चुके हैं. कुछ युद्ध लड़ने के लिए पहुंचे हैं तो माइकेल फेर्कोल जैसे लोग रोम से पढ़ाई छोड़ कर यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र लवीव में नर्स के रूप में सेवा देना चाहते हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
बिना उकसावे वाली लड़ाई का जवाब
यूक्रेन पहुंचने वाले कुछ विदेशी लड़ाकों का कहना है कि वे बिना कारण वाले हमले को रोकने के लिए आकर्षित हुए हैं. वे कहते हैं कि यह लड़ाई लोकतंत्र और तानाशाही के बीच है. उनमें से कई ऐसे लड़ाके हैं जो इराक और अफगानिस्तान में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
संघर्ष में साथ
ब्रिटेन से आया यह युवक अपना नाम नहीं बताना चाहता है. वह अन्य लोगों के साथ पूर्वी यूक्रेन की ओर जाना चाहता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 20 विदेशी लड़ाकों या इसमें शामिल अन्य लोगों का इंटरव्यू लिया. उनका कहना है कि यूक्रेन संघर्ष कर रहा है और वे उसके साथ हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
अनुभवहीन भी कूदे मैदान में
युद्ध लड़ने वाले कई दिग्गज सैनिकों के अलावा यूक्रेन ऐसे भी लोग पहुंच रहे हैं जिनके पास युद्ध का कम या बिलकुल भी अनुभव नहीं है. इस तरह के युद्ध में अनुभवहीन लोग बहुत कम ही योगदान का मौका पा सकते हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
ट्रेनिंग भी जरूरी
लवीव में एक वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारी ने बताया कि विदेशी लड़ाकों को प्रशिक्षित करने और तैनात करने की प्रणाली अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आने वाले दिनों में और आसान हो जाएगी.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
सोशल मीडिया से अभियान
कुछ दिग्गज सैनिक सोशल मीडिया मंच फेसबुक और व्हॉट्सऐप समूहों के जरिए बंदूक, बॉडी आर्मर और नाइट-विजन गॉगल्स के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं. वे इन समूहों के जरिए यूक्रेनी लोगों को आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग देंगे. एए/सीके (रॉयटर्स)
रूसी अर्थव्यवस्था को तेल और गैस निर्यात की जरूरत है
जर्मनी के नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया रोके जाने के फैसले का जिक्र करते हुए नोवाक ने कहा, "हमें भी पूरा अधिकार है कि हम भी ऐसा भी फैसला लें और नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन से होकर जा रही गैस की आपूर्ति रोक दें. यूरोपीय नेताओं को चाहिए कि वे अपने नागरिकों और उपभोक्ताओं को ईमानदारी से आगाह कर दें कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है." नोवाक ने ब्योरा दिए बिना कहा, "अगर आप रूस की ऊर्जा सप्लाई ठुकराना चाहते हैं, तो ठीक है. हम इसके लिए तैयार हैं. हमें पता है कि हम अपनी सप्लाई की दिशा किस तरह मोड़ सकते हैं."
रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है. वह प्राकृतिक गैस का भी बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. रूस की कमाई का एक बड़ा हिस्सा जीवाश्म ईंधन के निर्यात से आता है. 2011 से 2020 के बीच रूस के संघीय बजट का लगभग 43 प्रतिशत हिस्सा तेल और गैस से मिले राजस्व से आया था.
यूक्रेन में बर्बादी का हाल बयां करती हैं ये तस्वीरें
यूक्रेन पर रूस के हमले से करोड़ों लोगों की जिंदगी उलट पुलट हो गई. घर नष्ट हो गए हैं, रसद की कमी हो गई है और कई दुकानें भी तेजी से खाली हो रही हैं. कई लोग हताशा में बस वहां से भाग जाने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
मदद के लिए
यूक्रेनी सैनिक राजधानी कीव में इरपिन नदी पार करने में छोटे बच्चों वाले एक परिवार की मदद कर रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश पुल ध्वस्त हो चुके हैं. इस तरह के दृश्य अब यूक्रेन में आम हो गए हैं. रूसी सेना कई शहरों पर हमला कर रही है.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
गोलाबारी से बचाव
कीव से कुछ ही किलोमीटर दूर इरपिन शहर भी है जहां पांच मार्च को रूसी सेना ने पूरे दिन बमबारी की. बम के गोलों से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने एक टूटे हुए पुल के नीचे शरण ली. बाद में लोगों ने इस शहर को भी छोड़ कर जाना शुरू कर दिया.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
जोखिम भरा अभियान
कुछ स्थानीय लोग बस में बैठ कर इरपिन से बच कर निकलने में सफल रहे. लेकिन कई लोगों को पैदल ही नदी पार करना पड़ा. उन्होंने लकड़ी के फट्टों से बने एक कामचलाऊ पुल का इस्तेमाल किया. इसमें यूक्रेनी सिपाहियों ने भी उनकी मदद की. पूरा अभियान बेहद जोखिम भरा रहा क्योंकि इस दौरान रूसी सेना की बमबारी लगातार जारी रही.
तस्वीर: Aris Messinis/AFP/Getty Images
भागने की हताशा
कई लोगों ने भाग निकलने के लिए ट्रेनों को भी जरिया बनाया. यह तस्वीर इरपिन स्टेशन की है जहां बड़ी संख्या में लोगों को कीव जाने वाली ट्रेनों में सवार होने की कोशिश करते देखा जा सकता है. इन लोगों को उम्मीद है कि कीव पहुंचने के बाद उन्हें देश से बाहर निकलने का रास्ता मिल जाएगा.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
आखिरी बार मुड़ कर देखना
जाने वालों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं है कि वो कभी अपने शहर, अपने घर वापस लौट भी पाएंगे या नहीं और जब लौटेंगे तब वहां क्या मंजर होगा. ट्रेनों में भारी भीड़ है, जिसका मतलब है भागने वाले लोग अपने साथ ज्यादा सामान भी नहीं ले जा सकते हैं.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
जलते घर
इस मकान पर बम का गोला गिरा था और इस तस्वीर में घर के लोग जलते हुए मकान से जो सामान बचा सकें उसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अभी तक 15 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना कि यह संख्या एक करोड़ तक जा सकती है.
तस्वीर: Aris Messinis/AFP/Getty Images
बमबारी का असर
इरपिन में इस आवासीय इमारत पर इतनी बमबारी हुई कि यह मिट्टी में मिल जाने के कगार पर पहुंच गई थी. रूसी सेना ने रिहायशी इमारतों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर हमले बढ़ा दिए हैं और माना जा रहा है कि शरणार्थियों की संख्या में भारी उछाल आने की यह एक बड़ी वजह बन सकती है.
तस्वीर: Getty Images
भोजन का संकट
यहां बस कुछ ही दिनों पहले एक आम, चहल पहल वाला सुपरमार्केट था. लेकिन अब इसकी जल्दी जल्दी खाली होती अलमारियां युद्ध कालीन अभाव की स्थिति का चिन्ह बन गई हैं. यूक्रेनी सैनिक बचेखुचे खाने और पानी को लोगों में बांटने के लिए इकट्ठा कर रहे हैं.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
सिनेमा घर में बंदूक चलाने की प्रैक्टिस
जो लोग सेना की मदद के लिए पीछे रह गए उन्हें लड़ाई का बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह लवीव का एक सिनेमा घर है जहां आम लोगों को हथियार दिए गए और उन्हें चलाने के बारे में संक्षेप में बताया गया. कई लोगों ने अपनी जिंदगी में पहली बार हाथों में हथियार उठाए हैं. रिपोर्ट- ग्रेटा हामन
तस्वीर: Felipe Dana/AP/picture alliance
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बड़े खरीदार
रूस के तेल उत्पादन की क्षमता 1.13 करोड़ बैरल प्रतिदिन है. इनमें से ज्यादातर सप्लाई पूर्वी साइबेरिया, यमल और तातरस्तान इलाके से आती है. वह करीब 34.5 लाख बैरल तेल प्रतिदिन का घरेलू इस्तेमाल करता है और 70 लाख बैरल से ज्यादा क्रूड ऑइल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद प्रतिदिन निर्यात करता है. पिछले साल यूरोपीय संघ ने जितने कच्चे तेल का आयात किया, उसमें से लगभग एक चौथाई की आपूर्ति रूस ने की थी.
रूसी ऊर्जा आयात पर निर्भरता के मामले में यूरोपीय संघ के देशों की अलग-अलग स्थिति है. इनमें सबसे ज्यादा आयात जर्मनी और पोलैंड ने अपनी घरेलू जरूरतों के लिए किया. स्लोवाकिया, फिनलैंड, हंगरी और लिथुआनिया भी ज्यादातर रूसी आयात पर निर्भर हैं. मध्य और पूर्वी यूरोप के देश रूसी तेल के बड़े खरीदारों में शामिल हैं. बेलारूस ने अपने कुल तेल आयात का 95 प्रतिशत रूस से खरीदा.
रूसी हमले के बाद बेसहारा हुए अनाथालय के बच्चे
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चीन बन सकता है और बड़ा खरीदार
यूरोप के अलावा चीन भी रूसी तेल का बड़ा खरीदार है. अक्टूबर 2021 को खत्म हुए साल में चीन ने रूस से 16 लाख बैरल प्रतिदिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा. सऊदी अरब के बाद चीन को सबसे ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति रूस ने ही की. चीन के कुल तेल आयात का 15 हिस्सा रूस से आया. पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंध के बाद रूस, चीन को बिक्री बढ़ा सकता है. भारत भी एक संभावित खरीदार हो सकता है. उसे रोजाना करीब 43 लाख बैरल तेल की जरूरत है. इसका 85 प्रतिशत हिस्सा भारत आयात करता है. हालांकि अभी इसमें से तीन प्रतिशत से भी कम हिस्सा वह रूस से खरीदता है.