रूस के सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार समूह मेमोरियल को बंद करने के आदेश दिए हैं. सरकार ने समूह पर विदेश से चंदा लेने के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था लेकिन मेमोरियल ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है.
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सुप्रीम कोर्ट की जज आला नाजारोवा ने फैसला देते हुए कहा कि वो देश के प्रॉसिक्यूटर जनरल के कार्यालय द्वारा दायर किए गए मुकदमे के तहत इंटरनेशनल मेमोरियल हिस्टोरिकल एजुकेशनल सोसायटी को बंद करने की इजाजत देती हैं.
समूह ने इसे "ऐतिहासिक राजनीतिक दमन का सामना करने वाली और मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली एक संस्था को नष्ट करने" का "राजनीतिक फैसला" बताया. मेमोरियल के एक नेता जान रैटशिंस्की ने बताया कि समूह फैसले के खिलाफ लड़ेगा और मामले को यूरोप की मानवाधिकार अदालत में ले जाएगा.
मेमोरियल की रूस और विदेश में भी काफी सराहना की जाती है. पहले भी कई बार रूस की अदालतों ने उस पर जुर्माना लगाया है. समूह हमेशा से कहता आया है कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.
रूस में हाल ही में एक नया कानून लाया गया था जिसके मुताबिक देश के बाहर से वित्तीय मदद पाने वाले सभी समूहों के लिए "विदेशी एजेंट" के तौर पर पंजीकरण करना अनिवार्य है. मेमोरियल ने ऐसा करवाने से इंकार कर दिया है और बार बार राजनीतिक दमन की शिकायत की है.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति
इस संस्था की स्थापना 1980 के दशक में हुई थी. इसका उद्देश्य राजनीतिक बंदियों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, स्टालिन काल के बाद से देश के इतिहास पर पुनर्विचार करना और देश में नाजी अत्याचारों की भी समीक्षा करना. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अदालत में इस मुकदमे के चलने के दौरान समूह की आलोचना की थी.
उन्होंने कहा था कि मेमोरियल ने आतंकवादियों और चरमपंथियों को समर्थन दिया है. अदालत के फैसले पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई यूरोपीय सरकारों ने विस्मय जाहिर किया है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने फैसले को, "दुनिया में हर जगह चल रहे प्रशंसनीय अभियानों और मानवाधिकारों का अपमान" बताया.
यूरोपीय संघ के वरिष्ठ कूटनीतिक योसेप बॉरेल ने कहा कि संघ रूसी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की "कड़ी भर्त्सना" करता है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला "समझ से परे है और मूल नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के खिलाफ है." चेक गणराज्य और पोलैंड ने भी इसी तरह के बयान जारी किए.
सीके/एए (डीपीए, एएफपी)
पुतिन के परिवार से आप मिले हैं?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आपने विश्व नेताओं के साथ खूब देखा होगा. शायद छुट्टियां मनाते हुए उनकी दबंग तस्वीरें भी आपने देखी हों. लेकिन क्या आप उनके परिवार से मिले हैं?
तस्वीर: picture-alliance/AA/Russian Presidential Press and Information Office
ताकतवर पुतिन
पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से रूसी ताकत और सत्ता पुतिन के इर्द गिर्द ही घूम रही है. वह दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार होते हैं. विश्व भर के मीडिया में वह छाये रहते हैं. लेकिन इस दौरान उनके परिवार के सदस्यों की झलक कम ही देखने को मिलती है.
तस्वीर: Alexey Druzhinin/AFP/Getty Images
पुतिन का परिवार
किसी जमाने में खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट रहे पुतिन की दो बेटियां हैं येकातेरीना और मारिया. 1983 में उन्होंने ल्युदमिला पुतिना से शादी की. लेकिन 2014 में उनका तलाक हो गया. पुतिन अपनी निजी जिंदगी को पोशीदा रखने के लिए जाने जाते हैं.
तस्वीर: Imago
रॉक एंड रोल डांसर
2015 में उनकी छोटी बेटी येकातेरीना उस वक्त सुर्खियों में आयी जब पता चला कि वह मॉस्को में ही कैटरीना तीखोनोवा के नाम से रह रही हैं. तीखोनोवा एक्रोबेटिक रॉक एंड रोल डांसर हैं और 2013 में स्विट्जरलैंड में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीसरे स्थान पर आयी थीं.
तस्वीर: Reuters/J. Dabrowski
अरबों की संपत्ति
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक तीखोनोवा की शादी पुतिन के एक दोस्त के बेटे किरिल शामालोव से हुई है. शामालोव पेशे से कारोबारी हैं और उनकी संपत्ति दो अरब डॉलर के आसपास बतायी जाती है. उन्होंने तेल और पेट्रोकेमिकल्स उद्योग में भारी निवेश किया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Mordasov
बड़ी बेटी मारिया
येकातेरीना पुतिन की छोटी बेटी है जो 1986 में जर्मन शहर ड्रेसडेन में जन्मी. उस वक्त पुतिन जर्मनी में तैनात थे. उनकी बड़ी बेटी मारिया 1985 में लेनिनग्राद में पैदा हुई. यह तस्वीर 2008 की है जिसमें मारिया अपने पिता पुतिन के साथ मॉस्को में एक मतदान केंद्र की तरफ जाती दिख रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
तलाक की घोषणा
और उनकी पत्नी ल्युदमिला ने अपने तलाक की घोषणा सरकारी टीवी पर की. उन्होंने कहा कि यह उन दोनों का साझा फैसला है. पुतिन ने बताया कि वे एक साथ नहीं रह रहे हैं और उनकी मुलाकातें भी नहीं होतीं. दोनों की शादी लगभग 30 साल चली.
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ताज का दीदार
पुतिन के सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी ल्युदमिला आम तौर पर लाइमलाइट से दूर ही रहती थीं. हालांकि रूस की प्रथम महिला के तौर पर उन्होंने कई विदेशी दौरे किये. अक्टूबर 2004 में पुतिन जब भारत गये, तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ आगरा में ताज का भी दीदार किया था.
तस्वीर: Reuters
एक दूसरे के करीब
पेशे से एयर होस्टेस रहीं ल्युदमिला ने पुतिन से अपनी शादी खत्म करने की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि वे हमेशा एक दूसरे के करीब बने रहेंगे. पुतिन ने भी ऐसा ही कहा. यह तस्वीर 2008 की है जब पुतिन और ल्युदमिला मॉस्को के एक रेस्त्रां में खाना खाने पहुंचे थे.