रूस की एक अदालत ने विपक्षी नेता एलेक्सेई नावालनी को धोखाधड़ी के एक मामले में दोषी करार दिया है. इसका मतलब है कि वह अगले साल होने वाला राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकते.
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बुधवार को अपने फैसले में जज एलेक्सेई व्तयूरिन ने कहा कि नावालनी लगभग पांच लाख डॉलर के टिंबर घपले में दोषी है. 2013 के इस मामले में दोबारा सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया गया है. इससे पहले नावालनी के खिलाफ आये फैसले को यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने यह कह कर खारिज कर दिया था कि मुकदमा निष्पक्ष नहीं था.
ताजा फैसले के बाद नावालनी को अभी सजा का एलान होना बाकी है. नावालनी रूस में 2011 और 2012 में होने वाले सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर चुके हैं. वह अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को राजनीति से प्रेरित बताते हैं. यह मामला तब का है जब वह किरोव के गवर्नर हुआ करते थे.
देखिए पुतिन के अलग अलग चेहरे
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
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केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
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बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
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सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
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खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.
तस्वीर: Reuters/A. Novosti/RIA Novosti/Kremlin
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40 वर्षीय नावालनी अपनी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिमों के लिए जाने जाते हैं और रूसी सरकार के जुड़े वरिष्ठ अधिकारी उनके निशाने पर होते हैं. नावालनी का कहना है कि उन्हें राजनीति से दूर रखने के लिए उनके खिलाफ यह मुकदमा चलाया गया.
नावालनी ने दिसंबर में एलान किया था कि वह 2018 में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले वह 2012 में मॉस्को के मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए नावालनी ने अपना अभियान शुरू भी कर दिया था. फरवरी में ही उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग में अपना एक चुनाव कार्यालय भी खोला. इसके उद्घाटन पर उन्होंने कहा था, "क्रेमलिन हर मुमकिन कोशिश करेगा कि मैं चुनाव में हिस्सा न ले सकूं."
इसके बाद उन्होंने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि अदालत का फैसला भले ही जो हो, वह राष्ट्रपति पद के लिए अपना अभियान जारी रखेंगे. पेशे से वकील रहे नावालनी ने कहा, "मैं समझता हूं कि इन चुनावों में हिस्सा लेना मेरा नैतिक और कानूनी अधिकार है." हालांकि सर्वे दिखाते हैं कि मतदाताओं के बीच वह पुतिन के मुकाबले बहुत पीछे हैं.
एके/वीके (एपी, एएफपी)
पुतिन की देरी का शिकार कौन कौन बना, देखिए
कौन कौन बना पुतिन की देरी का शिकार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अहम बैठकों में भी देर से आने के लिए बदनाम हैं. बराक ओबामा से लेकर पोप तक, सबको उन्होंनें इंतजार कराया है. रेडियो फ्री यूरोप के मुताबिक ये रहे अब तक के उनकी देरी के सबसे बड़े शिकार...
तस्वीर: AP
अंगेला मैर्केल, जर्मन चांसलर
2014 में अंगेला मैर्केल को व्लादिमीर पुतिन ने 4.15 घंटे इंतजार कराया था.
तस्वीर: imago/ZUMA Press
विक्टर यानुकोविच, यूक्रेन के राष्ट्रपति
2012 में यानुकोविच के साथ मीटिंग में पुतिन 4 घंटे देरी से आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
यूलिया तिमोशेंको, यूक्रेन की प्रधानमंत्री
2009 में तिमोशेंको को पुतिन ने तीन घंटे इंतजार कराया.
तस्वीर: AP
आलेक्सांदर लुकाशेंको, बेलारूस के राष्ट्रपति
2013 में लुकाशेंको से पुतिन की मुलाकात 3 घंटे देर से शुरू हुई.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Karpukhin
शिंजो आबे, जापान के प्रधानमंत्री
2016 की यह मुलाकात तीन घंटे देर से शुरू हुई क्योंकि पुतिन लेट आए.
तस्वीर: picture-alliance/Tass/M. Metzel
साखिया एल्बेगोर्ज, मंगोलिया के राष्ट्रपति
2014 में पुतिन ने एल्बेगोर्ज को दो घंटे इंतजार कराया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
शिमोन पेरेस, इस्राएल के राष्ट्रपति
2013 में पुतिन ने पेरेस को डेढ़ घंटा इंतजार कराया.
तस्वीर: Sergei Karpukhin/AFP/Getty Images
यूएन असेंबली
2015 की महासभा की बैठक में पुतिन एक घंटा 20 मिनट लेट आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M.Metzel
नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री
2014 में मोदी को पुतिन ने मीटिंग से पहले एक घंटा बिठाए रखा.
तस्वीर: Picture-Alliance/AP Photo/M. Swarup
पोप फ्रांसिस, पोप
वेटिकन सिटी में पोप से मुलाकात के लिए पुतिन 50 मिनट देर से पहुंचे थे.