ब्रिटेन की पुलिस का कहना है कि पूर्व रूसी जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी घर के दरवाजे पर ही जहर के संपर्क में आए. स्क्रिपाल के घर की जांच के दौरान दरवाजे पर नर्व एजेंट की सबसे अधिक मात्रा मिली है.
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सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी 33 वर्षीय बेटी यूलिया को 4 मार्च को सैलिसबरी शहर के एक पार्क में बेहोश पाया गया था. जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने बताया कि उन पर नर्व एजेंट से हमला किया गया है. यह एक ऐसा जहर होता है जो तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. अब ब्रिटेन की पुलिस ने अपनी जांच के बाद कहा है कि वही नर्व एजेंट है जिसका इस्तेमाल सेना में किया जाता है.
इस मामले में स्क्रिपाल के घर की छानबीन की गई. बुधवार को स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने बयान दिया, "विशेषज्ञों ने पाया है कि सबसे अधिक मात्रा में नर्व एजेंट घर के दरवाजे पर था." मेट्रोपोलिटन पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते के अध्यक्ष डीन हेडन ने इस बारे में कहा, "फिलहाल हमारी छानबीन जहां तक पहुंची है, हमें लगता है कि स्क्रिपाल पहली बार घर के दरवाजे पर ही नर्व एजेंट के संपर्क में आए. इसलिए अब हम अपनी जांच को घर के अंदर और उसके आसपास के इलाके पर केंद्रित कर रहे हैं."
इन देशों ने निकाले रूसी राजनयिक
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस और उनकी बेटी को जहर देने के मामले में यूरोप के कई देशों ने रूस के राजनयिकों को निकाल दिया है. अमेरिका और कनाडा ने भी ऐसे कदम उठाए हैं. जानिए किस देश ने कितने राजनयिकों को निष्कासित किया.
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ब्रिटेन
पूर्व रूसी जासूस को ब्रिटेन में ही जहर दिया गया. ब्रिटेन सरकार ने रूस से इस पर सफाई मांगी लेकिन रूस ने जवाब देने से इंकार कर दिया. इसके बदले में ब्रिटेन ने 23 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया.
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अमेरिका
रूस के साथ खराब रिश्तों के इतिहास वाले अमेरिका ने जल्द ही ब्रिटेन का साथ देने का फैसला किया और 60 राजनयिकों को देश से निकालने की घोषणा की. इतना ही नहीं, सीएटल में रूसी कॉन्सुलेट को भी बंद कर दिया गया है.
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यूक्रेन
पड़ोसी देश यूक्रेन के भी रूस के साथ लंबे मतभेद हैं. यहां 13 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि रूस ना केवल स्वतंत्र राज्यों की संप्रभुता को खारिज कर रहा है, बल्कि इंसानी मूल्यों को भी.
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जर्मनी
चार राजनयिकों को निकालने की घोषणा करने के साथ जर्मनी ने कहा कि रूस ने अब तक हमले को लेकर कोई सफाई नहीं दी है, "हम भी ब्रिटेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहते हैं."
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यहां से चार
फ्रांस, पोलैंड और कनाडा ने कहा है कि वे भी जर्मनी की ही तरह चार राजनयिकों को निष्कासित करेंगे. जर्मनी में जहां लगभग हर पार्टी ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है, वहीं ग्रीन पार्टी ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से दुनिया एक बार फिर शीत युद्ध की स्थिति में पहुंच जाएगी.
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यहां से तीन
चेक गणराज्य और लिथुएनिया ने तीन तीन राजनयिकों के निष्कासन की बात कही है. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने कहा है कि आने वाले दिनों में ईयू फ्रेमवर्क के तहत रूस पर अन्य प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.
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यहां से दो
इटली, डेनमार्क, स्पेन और नीदरलैंड्स से दो दो रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया पहले ही दो राजनयिकों को निकाल चुका है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Soriano
यहां से एक
एस्टोनिया, लातविया, स्वीडन, रोमानिया, क्रोएशिया, अल्बानिया और हंगरी एकजुटता दिखाते हुए एक एक राजनयिक को रूसी निष्कासित कर रहे हैं. कुल मिला कर 20 देश अब तक रूस के खिलाफ यह कदम उठा चुके हैं.
लक्जमबर्ग
इस यूरोपीय देश ने भी रूस से अपने राजदूत को वापस बुलाने की घोषणा की है.
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निष्कासन के खिलाफ
ऑस्ट्रिया ने यूरोपीय संघ के देशों के फैसले का साथ ना देने का निर्णय लिया है. चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स ने इस बारे में कहा, "हम संपर्क जोड़ने वाला बनना चाहते हैं और रूस के साथ बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहते हैं."
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जांच के दौरान यह पहला मौका है, जब पुलिस ने जहर के संपर्क में आने की जगह के बारे में बात की है. पुलिस का कहना है कि जांच में अभी कई महीने और लग सकते हैं. अब तक 500 से अधिक गवाहों से बात की जा चुकी है. साथ ही पुलिस सीसीटीवी कैमरों की पांच हजार घंटों की रिकॉर्डिंग भी देख रही है. हेडन ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा, "स्क्रिपाल के घर के आसपास रहने वाले लोगों को आने वाले दिनों में भी पुलिस अधिकारी जांच करते हुए दिखेंगे लेकिन मैं यह आश्वासन देना चाहता हूं कि खतरे की कोई बात नहीं है और हम केवल ऐतिहातन जांच कर रहे हैं."
पार्क की जिस बेंच पर स्क्रिपाल और उनकी बेटी को बेहोश पाया गया था, पुलिस ने उसे सील कर दिया है. साथ ही पास के एक रेस्तरां, पब और स्क्रिपाल की पत्नी की कब्र को भी, जहां दोनों पिता और बेटी एक साथ गए थे.
ब्रिटेन रूस को इस हमले के जिम्मेदार मानता है, जबकि रूस इससे इंकार करता रहा है. इस हमले के बाद से रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों से रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया गया है.
आईबी/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)
इन चुनौतियों को नकार नहीं सकते पुतिन
व्लादिमीर पुतिन साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे. स्टालिन के बाद रूस में पुतिन सबसे ज्यादा समय तक राष्ट्रपति रहने वाले नेता बन गए हैं. लेकिन बतौर राष्ट्रपति पुतिन, आर्थिक मोर्चे पर इन चुनौतियों को नकार नहीं सकेंगे.
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कुशल कामगारों की कमी
वर्तमान में रूस की जनसंख्या तकरीबन 14.6 करोड़ है. साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद देश की जनसंख्या में 50 लाख की कमी आई. इसके बाद के सालों में जन्म दर भी कम रही. लेकिन अब साल 1991 के दौर के बाद की पहली पीढ़ी बाजार में प्रवेश कर रही है जिसे काबिल श्रमशक्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है. विशेषज्ञों की राय मे इसका नजर देश के आर्थिक विकास पर भी दिख सकता है.
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रिटायरमेंट की उम्र
रूस में रिटायरमेंट की उम्र महिलाओं के लिए 55 वर्ष तो पुरुषों के लिए 60 वर्ष है. यह दुनिया में सबसे कम है. लेकिन देश में पेंशन भी कम है. जनसंख्या में आ रही कमी ने देश के फेडरल बजट पर बोझ बढ़ा दिया है. पुतिन कई मौकों पर सुधारों की बात कहते रहे हैं. हालांकि देश का एक उदारवादी धड़ा रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा कर 63 साल करने की वकालत करता है. बढ़ती महंगाई के बीच कम पेंशन यहां एक बड़ा मुद्दा है.
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आकर्षक विदेशी निवेश
विशेषज्ञों की राय में रूस के सामने विदेशी निवेश का आकर्षक ठिकाना बनना एक बड़ी चुनौती है. आकर्षक निवेश पाने के लिए सरकार को देश के भीतर कारोबारी माहौल बेहतर करना होगा साथ ही नौकरशाही में भी कमी लानी होगी. कुछ लोग तो यह भी मान रहे हैं अमेरिका के प्रतिबंधों का रूस ने अब तक इसलिए कोई जवाब नहीं दिया है क्योंकि वह विदेशी निवेशकों को कोई गलत संदेश नहीं देना चाहता.
तस्वीर: picture-alliance/ITAR-TASS
तलाशने होंगे नए मौके
रूस के अल्फा बैंक मुताबिक, "देश की अर्थव्यवस्था बुनियादी रूप से कमोडिटी सेक्टर पर निर्भर करती है, जो विकास दृष्टिकोण के लिए स्पष्ट रूप से नकारात्मक है." लेकिन अब इस निर्भरता को कम करने के लिए छोटे और नए कारोबारों में निवेश को बढ़ाना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक रूस को रोबोटिक्स, स्मार्ट तकनीकों समेत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.
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ठोस आर्थिक तंत्र
निवेश सलाहकार कंपनी मेक्रो एडवाजरी के संस्थापक क्रिस वेफर के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है. जिसका एक कारण सोवियत संघ के विघटन के बाद आई कमजोरी है तो दूसरा देश को तेल क्षेत्र में होने वाली आसान कमाई. लेकिन अब देश के आर्थिक तंत्र को ठोस बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. हालांकि सरकार ने बड़ी कंपनियों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
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