रूसी शहर ने छेड़ी एड्स से अनोखी जंग
२६ नवम्बर २०१८Russian town faces HIV epidemic
एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के साथ भेदभाव करना अब जुर्म होगा. भारत सरकार ने एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी है और 10 सितंबर से यह पूरे देश में लागू हो गया है. आइए जानते हैं, क्या है इस एक्ट में.
एचआईवी पीड़ितों से भेदभाव किया तो होगी जेल
एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के साथ भेदभाव करना अब जुर्म होगा. भारत सरकार ने एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी है और 10 सितंबर से यह पूरे देश में लागू हो गया है. आइए जानते हैं, क्या है इस एक्ट में.
क्या है एचआईवी/एड्स अधिनियम?
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस एंड एक्वायर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2017 नाम का यह एक्ट एचआईवी पॉजिटिव समुदाय को कानूनी तौर पर मजबूत बनाने के लिए पास किया गया है. एक्ट के तहत इस समुदाय के लोगों को न्याय का अधिकार दिया जाएगा.
नफरत करने पर होगी सजा
एचआईवी पीड़ित के साथ भेदभाव करना अपराध माना जाएगा. ऐसा करने वालों को तीन महीने से लेकर दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. एक्ट में एचआईवी पीड़ित नाबालिग को परिवार के साथ रहने का अधिकार दिया गया है. यह उसे भेदभाव और नफरत से बचाता है.
किन बातों को माना जाएगा भेदभाव?
बिल में एचआईवी पॉजिटिव समुदाय के खिलाफ भेदभाव को भी परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि मरीजों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रॉपर्टी, किराये पर मकान जैसी सुविधाओं को देने से इनकार करना या किसी तरह का अन्याय करना भेदभाव माना जाएगा. इसके साथ ही किसी को नौकरी, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधा देने से पहले एचआईवी टेस्ट करवाना भी भेदभाव होगा.
एचआईवी पॉजिटिव शख्स पर नहीं डाल सकेंगे दबाव
किसी भी एचआईवी पॉजिटिव शख्स को उसकी मर्जी के बिना एचआईवी टेस्ट या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा. एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति तभी अपना स्टेटस उजागर करने पर मजबूर होगा, जब इसके लिए कोर्ट का ऑर्डर लिया जाएगा. हालांकि, लाइसेंस्ड ब्लड बैंक और मेडिकल रिसर्च के उद्देश्यों के लिए सहमति की जरूरत नहीं होगी, जब तक कि उस व्यक्ति के एचआईवी स्टेटस को सार्वजनिक न किया जाए.
सरकार शुरू करेगी कल्याणकारी योजनाएं
इस एक्ट के तहत मरीज को एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी का न्यायिक अधिकार मिल जाता है. इसके तहत हर मरीज को एचआईवी प्रिवेंशन, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और काउंसलिंग सर्विसेज का अधिकार मिलेगा. कानून के मुताबिक, राज्य और केंद्र सरकार को यह जिम्मेदारी दी गई है कि मरीजों में इंफेक्शन रोकने और इलाज देने में मदद करे. सरकारों को मरीजों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने को भी कहा गया है.
जांच के लिए लोकपाल की नियुक्ति
इस कानून के बाद राज्य सरकारों के लिए लोकपाल को नियुक्त करना अनिवार्य हो जाएगा. लोकपाल को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के उल्लंघन के बाद आई शिकायतों की जांच की जाए. अगर कोई शख्स या संस्था लोकपाल के आदेशों को तय समय में नहीं मानती है तो उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है. लगातार आदेश न मानने पर अतिरिक्त पांच हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लग सकता है.
2014 में पहली बार पेश किया गया
इस बिल को पिछले साल 12 अप्रैल को लोक सभा से पास किया गया था. राज्य सभा ने भी 22 मार्च, 2017 को इसे मंजूरी दे दी थी. 2014 में इस बिल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन में पेश किया था.
क्यों महत्वपूर्ण है यह बिल?
भारत में करीब 21.17 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं. 2015 में करीब 86 हजार नए एचआईवी पीड़ितों का पता चला. इसी साल करीब 68 हजार एचआईवी पीड़ितों की मौत हो गई. लगातार बढ़ रहे पीड़ितों की संख्या और भेदभाव की वजह से इस बिल को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.