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कलाश्निकोव बना रही है नए रिकॉर्ड, भारत का भी योगदान

३० सितम्बर २०२२

रूस की मशहूर कलाश्निकोव राइफल ने बिक्री के कई पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कंपनी को उम्मीद है कि इस साल उसका बिक्री का 20 साल का रिकॉर्ड टूट जाएगा.

Schweiz Abstimmung EU-Waffengesetz
तस्वीर: Reuters/D. Balibouse

यूक्रेन युद्ध से लेकरभारत के साथ हुए समझौते तक, कलाश्निकोव के लिए यह साल बेहतरीन जा रहा है. रूसी हथियार कंपनी क्लाश्निकोव का कहना है कि इस साल उसका 20 साल का रिकॉर्ड टूट सकता है.

गुरुवार को कलाश्निकोव के अध्यक्ष ऐलन लशनिकोव ने इजेव्स्क शहर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कंपनी की बिक्री इस साल 40 प्रतिशत बढ़ चुकी है. हालांकि उन्होंने कोई आंकड़े तो नहीं दिए लेकिन कहा कि यह बिक्री निर्यात के कारण बढ़ी है.

रूसी रक्षा मंत्रालय के हवाले से लशनिकोव ने जोर देकर कहा कि उनकी प्राथमिकता रूस की सेना है. उन्होंने कहा, "कंपनी के सारे विभाग बिना किसी अपवाद के यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि देश की रक्षा क्षमताओं से, खासकर मौजूदा माहौल में कोई समझौता ना हो.”

पिछले साल अगस्त में कंपनी ने ऐलान किया था कि उसने रूस के रक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत लाखों एके-12 राइफल बनाई जाएंगी. रूसी सेना के हथियारों को बदला जा रहा है और आधुनिक मॉडल उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

निर्यात में उछाल

कलाश्निकोव दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली राइफल है. इन्हें यूक्रेन में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि लशनिकोव ने कहा कि कंपनी की बिक्री में लगातार वृद्धि की मुख्य वजह विदेशी खरीददार हैं. उन्होंने कहा कि अभी सितंबर चल रहा है और कंपनी का निर्यात पिछले साल को पार कर चुका है.

यह भी पढ़ेंः स्वीडन की कंपनी भारत में बनाएगी चर्चित कार्ल-गुस्ताफ राइफल

लशनिकोव ने कहा, "हमारी उत्पादन क्षमताओं को इस साल काफी गहनता से प्रयोग किया जा रहा है.” कई देशों ने कलाश्निकोव राइफल खरीदी हैं. भारत को 70,000 एके 103 क्लाश्निकोव राइफल मिल रही हैं.

रूस की हथियार निर्यात करने वाली कंपनी रोसबरोन एक्सपोर्ट ने कहा था वह अब हर साल एक लाख से ज्यादा कलाश्निकोव राइफलें विदेशों को बेच रही है. रोसबरोन एक्सपोर्ट ने एक बयान में कहा था कि ‘एशिया पैसिफिक क्षेत्र के विदेशी खरीददारों के हित में कलाश्निकोव अपनी एके राइफलों का उत्पादन बढ़ा रही है.'

पुतिन ने आजमाया कलाश्निकोव

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पिछले साल भी कलाश्निकोव का निर्यात काफी बढ़ा था. इसी साल फरवरी में कलाश्निकोव ने एक बयान जारी कर कहा था कि 2020 के मुकाबले 2021 में कंपनी ने 70 प्रतिशत ज्यादा निर्यात किया है.

2021 में कलाश्निकोव का मुख्य निर्यात एके-100 और एके-200 मॉडल का हुआ था. उस बयान में कंपनी के डायरेक्टर जनरल व्लादिमीर लेपिन ने कहा था कि कलाश्निकोव के हथियार और उपकरण 27 देशों को सप्लाई किए जा रहे हैं.

पिछले साल जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत गए थे तो दोनों देशों के बीच कई रक्षा समझौतों पर दस्तखत हुए थे. उनमें भारतीय सेना के लिए एके-203 राइफलों की खरीद का समझौता भी शामिल था. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भारत और रूस के साझा उपक्रम इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत कलाश्निकोव ने भारत को राइफल उपलब्ध कराने के साथ-साथ तकनीकी सहायता और भारत में उत्पादन क्षमताओं का भी करार किया है.

घातक है क्लाश्निकोव 

कलाश्निकोव एक ऑटोमेटिक राइफल (AK) है जो दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली बंदूक है. इसे अक्सर बिना लाइसेंस के विदेशों में भी नकल कर लिया जाता है. इस राइफल के आधुनिक मॉडल आ गए हैं लेकिन आज भी लोग कलाश्निकोव को एके-47 से जानते हैं जिसे मिखाइल कलाश्निकोव ने डिजाइन किया था. एके यानी ऑटोमेटिक कलाश्निकोव 1947 में इस्तेमाल के लिए मंजूर हुई थी लिहाजा इसका नाम एके-47 पड़ गया.

2020 में जारी एक अनुमान के मुताबिक कलाश्निकोव 106 देशों की सेनाओं द्वारा प्रयोग की जाती है. उस अनुमान में कहा गया कि अलग-अलग मॉडल की 10 करोड़ से ज्यादा एके राइफलें दुनियाभर में मौजूद हैं. एके-47 को अब तक बना सबसे घातक हथियार भी कहा जाता है. एक मिनट में 600 गोलियां दागने की क्षमता रखने वाली इस राइफल से अब तक जितने लोग मारे गए हैं वह दो बार प्रयोग हुए परमाणु बम से भी ज्यादा हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (डीपीए)

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