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विवादयूरोप

यूक्रेन पर बरसते रूसी हथियारों में पश्चिमी पुर्जे कहां से आए

८ अगस्त २०२२

यूक्रेन में मिले रूसी हथियारों में 450 से ज्यादा ऐसे पुर्जे मिले हैं जो पश्चिमी देशों के हैं. सवाल यह उठ रहा है कि प्रतिबंधों के बावजूद ये पुर्जें रूस तक कैसे पहुंचे?

यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल होते रूसी मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर
तस्वीर: Leonid Faerberg/ZUMAPRESS/picture alliance

24 फरवरी 2022 को रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. तब से अब तक यूक्रेन के बड़े इलाके में रूसी हथियारों के अवशेष बिखरे पड़े हैं. कई मामलों में यूक्रेनी सेना ने रूसी सेना के सही सलामत हथियार भी जब्त कर कर लिए.  इनमें क्रूज मिसाइलें भी हैं और एयर डिफेंस सिस्टम भी. इन मशीनों को जब पूरी तरह खोला गया तो 27 में बेहद अहम पश्चिमी पुर्जे मिले. ऐसे पुर्जे, जिनके बिना ये मशीनें इस्तेमाल नहीं की जा सकती.

पश्चिमी उपकरणों की मदद से बनाए गए इन रूसी हथियारों के बारे में रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) ने एक रिपोर्ट पेश की है. इंस्टीट्यूट सुरक्षा मामलों का एक थिंक टैंक है. समाचार एजेंसी रॉटयर्स के मुताबिक थिंक टैंक ने यह रिपोर्ट उसके साथ साझा की है. यूक्रेन युद्ध में रूस द्वारा पश्चिम के पुर्जों के इस्तेमाल को लेकर जारी की गई यह अब तक की सबसे विस्तृत रिपोर्ट है.

रिपोर्ट के मुताबिक दो तिहाई पुर्जे अमेरिका में स्थित कंपनियों के हैं. बाकी के पुर्जे जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स की कंपनियों के हैं. RUSI के जमीनी युद्ध विशेषज्ञ जैक वैटलिंग कहते हैं, "पश्चिमी इलेक्ट्रॉनिक्स पर बुरी तरह निर्भर रूसी हथियारों ने यूक्रेन में हजारों जानें ली हैं."

खंडहर में तब्दील हुआ मारियोपोल का बड़ा इलाकातस्वीर: Peter Kovalev/TASS/dpa/picture alliance

किन आधुनिक हथियारों में पश्चिमी पुर्जे

उदाहरण के लिए रूसी  9M727 क्रूज मिसाइल. रूस इसे सबसे आधुनिक हथियारों में गिनता है. यह मिसाइल काफी कम ऊंचाई में उड़ान भरते हुए और रडार को चकमा देते हुए सैकड़ों किलोमीटर दूर मार कर सकती है. इस मिसाइल में 31 विदेशी पुर्जे मिले. सबसे जरूरी पुर्जे अमेरिका और जर्मनी में बने हुए थे.

ऐसा ही एक और मामला रूसी Kh-101 क्रूज मिसाइल के मामले में सामने आया. यूक्रेन के कई शहरों को इस मिसाइल से भी निशाना बनाया गया. इस मिसाइल में भी 31 विदेशी पुर्जें हैं. बेहद अहम पुर्जा एक अमेरिकी कंपनी का है. यूक्रेन में इस्तेमाल किए गए रूसी हथियारों में अब तक ऐसे 450 कंपोनेंट्स मिल चुके हैं.

अमेरिका ने किया रूस पर नए प्रतिबंधों का एलान

सेमीकंडक्टर के मामले में पिछड़ा है रूसतस्वीर: Imaginechina-Tuchong/imago images

क्या कहती हैं कंपनियां

यह संवेदनशील पुर्जे रूस तक कैसे पहुंचे, कंपनियों से यह सवाल पूछा गया. कंपनियों का कहना है कि वे रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों का पालन करती हैं और मॉस्को को इस तरह के पुर्जे बेचना बंद कर चुकी हैं. अमेरिका की एक कंपनी टेक्सस इंस्ट्रुमेंट्स के मुताबिक वह कानून के दायरे में काम करती है. रूसी हथियारों में कंपनी के पुर्जे मिलने के सबूतों पर उसने कहा, मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए हमारे सामान का इस्तेमाल, इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.

एक और कंपनी इंफीनियोन ने इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि उसके पुर्जे किसी और मकसद के लिए बनाये गये थे, जिनका दुरुपयोग किया जा रहा है. कंपनी ने कहा कि वह ग्लोबल एक्सपोर्ट कंट्रोल लॉज का पूरी प्रतिबद्धता से पालन करती है.

इसी साल मार्च में अमेरिकी सरकार ने कहा कि कई रूसी कंपनियां रूसी सेना के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदने का काम कर रही हैं. रूसी कस्टम के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि मार्च 2021 में भी एक कंपनी ने टेक्सस इंस्ट्रुमेंट्स से 6 लाख डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे खरीदे थे. RUSI के मुताबिक यह सौदा एक हांगकांग की कंपनी के जरिए किया गया था. कुछ ही महीने बाद हांगकांग की इसी कंपनी ने 11 लाख डॉलर के माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स खरीदे.

माइक्रोवेव से लेकर मिसाइलों तक, चिप के भरोसे चल रही हैं असंख्य मशीनेंतस्वीर: Long Wei/Costfoto/picture alliance

माइक्रोचिप के लिए पश्चिम पर निर्भर रूस

इन पुर्जों में कई तो बेहद सस्ते हैं. माना जा रहा है कि रूसी कंपनियों ने यूक्रेन युद्ध से पहले ही किसी घरेलू या अंतरराष्ट्रीय बाजार में ये पुर्जे खरीदे होंगे. कुछ पुर्जे तो ऐसे हैं जो असैन्य मशीनों में भी इस्तेमाल किये जाते हैं.पश्चिम की 80 से ज्यादा माइक्रोचिप निर्माता कंपनियां सरकारों के कड़े एक्सपोर्ट कंट्रोल के दायरे में आती हैं. एक्सपोर्ट कंट्रोल के तहत कंपनियों को ये पुर्जे बेचने से पहले अपनी सरकार से अनुमति लेनी होती है.

माइक्रोचिप से बनने वाले कई प्रोसेसर मिसाइलों में इस्तेमाल किए जाते हैं. RUSI की पड़ताल में पता चला कि रूसी सेना अब भी टैक्टिकल रेडियो, ड्रोन और सटीक लंबी दूरी के हथियार के लिए विदेशी माइक्रोचिप पर निर्भर हैं. 2014 में क्रीमिया पर रूसी नियंत्रण के बाद पश्चिमी देशों ने रूस को ये पुर्जे बेचने पर बैन लगा दिया.

रूसी सेना यूक्रेन युद्ध में अब तक 3,650 से ज्यादा मिसाइलों और गाइडेड रॉकेटों का इस्तेमाल कर चुकी हैं. स्टाफ ऑफ नेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस काउंसिल के मुताबिक इनमें 9M727 और Kh-101 मिसाइलें भी शामिल हैं. इन मिसाइलों का इस्तेमाल रेलवे लाइनों को ध्वस्त करने और पश्चिम से यूक्रेन को मिल रही सप्लाई को काटने के लिए भी किया गया. रूस इन आरोपों से इनकार करता है. रूस का कहना है कि यूक्रेन में वह सिर्फ सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहा है.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)

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