अफगानिस्तान में तालिबान के साथ नजदीकियां बढ़ाने की रूस की कोशिशों पर भारत ने नाखुशी जताई है. रूस ने इस्लामिक स्टेट को हराने में तालिबान का साथ लेने की बात कही है.
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एक सवाल के जबाव में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, "जहां तक तालिबान की बात है तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय दायरों में रहना होगा, आतंकवाद और हिंसा छोड़नी होगी, अल कायदा से रिश्ते तोड़ने होंगे, लोकतांत्रिक नियमों का पालन करना होगा और ऐसा कुछ भी करने से खुद को रोकना होगा जिससे बीते 15 साल में हासिल की गई प्रगति को नुकसान होता हो.”
भारतीय प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया कि रूस के साथ भारत के संबंधों में किसी तरह की गिरावट आई है. लेकिन इतना साफ है कि एक के बाद एक रूस के कुछ हालिया कदमों पर भारत को आपत्ति रही है. इनमें पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास करने का रूस का फैसला भी शामिल है. और अब तालिबान के साथ संपर्क बढ़ाने की रूस की कोशिश भी भारत को ठीक नहीं लग रही है. विकास स्वरूप ने कहा है कि अफगानिस्तान में आखिरकार यह वहां की सरकार को तय ही करना है कि बातचीत कैसे और किसके साथ करनी है.
आखिरी आईएस क्या बला है, जानिए
इस्लामिक स्टेट है क्या बला?
इस्लामिक स्टेट दुनिया का सबसे ताकतवर आतंकवादी गुट है. यह कभी अल कायदा से टूटा हुआ एक गुट था लेकिन अब यह उससे बहुत आगे निकल गया है.
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इस्लामिक स्टेट आया कहां से?
इस्लामिक स्टेट को आईएसआईएल, आईएसआईएस और दाएश के नामों से भी जाना जाता है. चरमपंथी विचारधारा को मानने वाला यह गुट कभी अल कायदा से अलग हुआ था. इराक पर 2003 के अमेरिकी हमले के बाद उपजे हालात में इसकी नींव पड़ी और इसका नेतृत्व अबु बकर अल बगदादी करता है. आईएस का मकसद इराक, सीरिया और उससे बाहर भी एक इस्लामिक राज्य यानी खिलाफत का निर्माण करना है.
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कहां कहां से चलता है आईएस?
माना जाता है कि आईएस दुनिया के 18 देशों में सक्रिय है. इसने सीरिया और इराक के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रखा है और सीरिया का शहर रक्का इसकी अघोषित राजधानी है. हालांकि जनवरी 2015 से आईएस ने अपने नियंत्रण वाली एक चौथाई जमीन गंवा दी है.
आईएस से कौन लड़ रहा है?
कई समूह आईएस के खिलाफ लड़ रहे हैं. अमेरिकी नेतृत्व में 50 से ज्यादा देशों का गठबंधन आईएस के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. इस गठबंधन में कई अरब देश भी हैं. रूस ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में हवाई हमले किए हैं. क्षेत्रीय स्तर पर कुर्द पेशमर्गा बल (तस्वीर में) जमीन पर आईएस के खिलाफ लड़ रहे हैं.
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आईएस को पैसा कहां से मिलता है?
आईएस की आमदनी का मुख्य जरिया तेल और गैस की बिक्री है. माना जाता है कि सीरिया के एक तिहाई तेल उत्पादन पर अब भी आईएस का ही नियंत्रण है. हालांकि अमेरिकी नेतृत्व में हो रही हवाई कार्रवाई में आईएस के मूल्यवान ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है. इसकी आमदनी के अन्य स्रोतों में टैक्स से मिलने वाली रकम, फिरौती और लूटी हुई बहुमूल्य वस्तुएं शामिल हैं.
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कहां कहां हमले किए?
आईएस ने दुनिया भर में होने वाले कई आंतकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है. इस साल सबसे घातक हमला इराक की राजधानी बगदाद में हुआ जिसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए और बहुत से घायल हो गए. आईएस नेता अकेले स्तर पर धमाके करने वाले लोगों को बढ़ावा देते हैं, जिसमें आईएस के समर्थक गुट की मदद के बिना ही हमलों को अंजाम देते हैं.
आईएस और हथकंडे क्या हैं?
आईएस अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए कई हथकंडे इस्तेमाल करता है. उसके लड़ाकों ने सीरिया और इराक में बहुत सी ऐतिहासिक कलाकृतियों को लूटा और बर्बाद किया है. इसके अलावा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की हजारों महिलाओं को गुलाम बनाया गया है. आईएस सोशल मीडिया को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने और लड़ाकों की भर्ती के लिए इस्तेमाल करता है.
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कितने लोग बेघर हुए?
सीरिया में जारी संघर्ष के कारण वहां से लगभग साठ लाख लोग अन्य देशों में भागने के मजबूर हुए हैं. इनमें से बहुत से लोग पड़ोसी लेबनान, जॉर्डन और तुर्की गए हैं वहीं लाखों लोग यूरोप तक पहुंचे हैं. वहीं इराक में तीस लाख से ज्यादा लोग देश के अंदह ही विस्थापित हुए हैं.
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उन्होंने अफगान संसद में रूस राजदूती एलेंक्जांडर मैंतितस्कीय के भाषण के जवाब में यह बात कही. मैंतितस्कीय ने कहा, "जामिर काबुलोव (रूसी विदेश मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी) ने कहा है कि दाएश (आईएस) के साथ लड़ने में हमारा हित भी तालिबान के जैसा ही है.” रूस का कहना है कि वह अब तालिबान को एक "राष्ट्रीय सैन्य-राजनीतिक आंदोलन" मानता है, लेकिन आईएस उसके लिए एक जिहादी आंदोलन है जो रूस के पड़ोस में स्थित मध्य एशिया को बर्बाद कर सकता है.
बताया जाता है कि ईरान भी अफगान क्षेत्र से आईएस को दूर रखने के लिए तालिबान से संपर्क बढ़ा रहा है. ईरान की एक समाचार एजेंसी के अनुसार एक प्रभावशाली ईरानी धार्मिक नेता ने इस हफ्ते घोषणा की है कि ईरान "तालिबान के कुछ उदार नेताओं" को अंतरराष्ट्रीय इस्लामी एकता पर होने वाली कांफ्रेस में आमंत्रित किया है. उनका कहना है, "तालिबानी आंदोलन के कुछ पक्षों के साथ ईरान के हमेशा से संपर्क रहे हैं.”
हालांकि ईरान तालिबान के साथ किसी तरह के संबंधों से इनकार करता है, लेकिन अफगान अधिकारियों ने हाल में ईरान पर आरोप लगाया कि वह न सिर्फ वरिष्ठ तालिबान कमांडरों के परिवारों को अपने यहां रखे हुए बल्कि तालिबान लड़कों को अत्याधुनिक हथियार भी मुहैया कर रहा है.
ये हैं दुनिया के सबसे घातक आतंकवादी गुट
सबसे घातक आतंकवादी संगठन
आतंकवाद दुनिया भर में हजारों जानें ले रहा है. आतंकी संगठनों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है. एक नजर सबसे खूनी आतंकवादी संगठनों पर.
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1. बोको हराम
जी हां, इस्लामिक स्टेन नहीं, बोको हराम. यह दुनिया का सबसे घातक आतंकी संगठन है. अबु बकर शेकाऊ के इस संगठन ने अकेले 2014 में ही 6,644 लोगों की जान ली. 1,742 लोग घायल हुए. सैकड़ों लड़कियों को अगवा किया.
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2. इस्लामिक स्टेट
इस्लामिक स्टेट द्वारा मारे गए लोगों की संख्या भले ही बोको हराम से कम हो, लेकिन इस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है. 2015 में इस्लामिक स्टेट ने 6,073 लोगों को मारा. कुल 5,799 आतंकी हमले किये. अबु बकर बगदादी का यह संगठन यूरोप, सीरिया, इराक, तुर्की और बांग्लादेश में सक्रिय है.
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3. तालिबान
अफगानिस्तान के गृह युद्ध के दौरान 1994 में तालिबान बना. इसे दुनिया का सबसे अनुभवी आतंकी संगठन कहा जाता है. 2015 में तालिबान ने 891 हमले किये, जिनमें 3,477 लोगों की जान गई. हिबातुल्लाह अखुंदजादा की अगुवाई वाला तालिबान अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा करना चाहता है.
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4. फुलानी उग्रवादी
इस संगठन के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी अभी भी नहीं है. खानाबदोश की तरह जगह बदलता यह संगठन नाइजीरिया में सक्रिय है. यह फुला कबीले का हथियारबंद संगठन है. ये फुलानी लोगों के जमींदारों को निशाना बनाता है. 2015 में इस उग्रवादी संगठन ने 150 से ज्यादा हमले किये और 1,129 लोगों की जान ली.
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5. अल शबाब
बोको हराम का संबंध जहां इस्लामिक स्टेट से है, वहीं अल शबाब के तार अल कायदा से जुड़े हैं. पूर्वी अफ्रीका में सक्रिय यह आतंकी संगठन सोमालिया को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है. बीते साल अल शबाब ने 496 आतंकी हमले किये और 1,021 लोगों की जान ली.