रविवार को खत्म हुए संसदीय चुनाव में व्लादीमीर पुतिन की पार्टी ने जीत दर्ज की है. हालांकि विरोधियों ने धांधली के आरोप लगाए हैं.
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रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की पार्टी युनाइडेट रशिया ने संसदीय चुनाव जीत लिया है. शुरुआती नतीजों के बाद ही पार्टी ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया जबकि विपक्षी दलों ने धांधली के आरोप लगाए.
रविवार शाम को पार्टी के समर्थकों ने ‘रोसियो... रोसिया' के नारे लगाते हुए बारिश के बावजूद देश की राजधानी मॉस्को की सड़कों पर जुलूस निकाला. वे लोग नारे लगा रहे थे, "हम पुतिन की टीम हैं.”
तस्वीरेंः मीडिया पर हमला करने वाले नेता
मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं में मोदी शामिल
अंतरराष्ट्रीय संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं की सूची जारी की है. इनमें चीन के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जैसे नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम है.
'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) ने इन सभी नेताओं को 'प्रेडेटर्स ऑफ प्रेस फ्रीडम' यानी मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने वालों का नाम दिया है. आरएसएफ के मुताबिक ये सभी नेता एक सेंसर व्यवस्था बनाने के जिम्मेदार हैं, जिसके तहत या तो पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल में डाल दिया जाता है या उनके खिलाफ हिंसा के लिए भड़काया जाता है.
तस्वीर: rsf.org
पत्रकारिता के लिए 'बहुत खराब'
इनमें से 16 प्रेडेटर ऐसे देशों पर शासन करते हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "बहुत खराब" हैं. 19 नेता ऐसे देशों के हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "खराब" हैं. इन नेताओं की औसत उम्र है 66 साल. इनमें से एक-तिहाई से ज्यादा एशिया-प्रशांत इलाके से आते हैं.
तस्वीर: Li Xueren/XinHua/dpa/picture alliance
कई पुराने प्रेडेटर
इनमें से कुछ नेता दो दशक से भी ज्यादा से इस सूची में शामिल हैं. इनमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको शामिल हैं.
मोदी का नाम इस सूची में पहली बार आया है. संस्था ने कहा है कि मोदी मीडिया पर हमले के लिए मीडिया साम्राज्यों के मालिकों को दोस्त बना कर मुख्यधारा की मीडिया को अपने प्रचार से भर देते हैं. उसके बाद जो पत्रकार उनसे सवाल करते हैं उन्हें राजद्रोह जैसे कानूनों में फंसा दिया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
पत्रकारों के खिलाफ हिंसा
आरएसएफ के मुताबिक सवाल उठाने वाले इन पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोलों की एक सेना के जरिए नफरत भी फैलाई जाती है. यहां तक कि अक्सर ऐसे पत्रकारों को मार डालने की बात की जाती है. संस्था ने पत्रकार गौरी लंकेश का उदाहरण दिया है, जिन्हें 2017 में गोली मार दी गई थी.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अफ्रीकी नेता
ऐतिहासिक प्रेडेटरों में तीन अफ्रीका से भी हैं. इनमें हैं 1979 से एक्विटोरिअल गिनी के राष्ट्रपति तेओडोरो ओबियंग गुएमा बासोगो, 1993 से इरीट्रिया के राष्ट्रपति इसाईअास अफवेरकी और 2000 से रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे.
तस्वीर: Ju Peng/Xinhua/imago images
नए प्रेडेटर
नए प्रेडेटरों में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को शामिल किया गया है और बताया गया है कि मीडिया के खिलाफ उनकी आक्रामक और असभ्य भाषा ने महामारी के दौरान नई ऊंचाई हासिल की है. सूची में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का भी नाम आया है और कहा गया है कि उन्होंने 2010 से लगातार मीडिया की बहुलता और आजादी दोनों को खोखला कर दिया है.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान को नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक बताया गया है. आरएसएफ के मुताबिक, सलमान मीडिया की आजादी को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करते हैं और पत्रकारों के खिलाफ जासूसी और धमकी जैसे हथकंडों का इस्तेमाल भी करते हैं जिनके कभी कभी अपहरण, यातनाएं और दूसरे अकल्पनीय परिणाम होते हैं. पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का उदाहरण दिया गया है.
तस्वीर: Saudi Royal Court/REUTERS
महिला प्रेडेटर भी हैं
इस सूची में पहली बार दो महिला प्रेडेटर शामिल हुई हैं और दोनों एशिया से हैं. हांग कांग की चीफ एग्जेक्टिवे कैरी लैम को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कठपुतली बताया गया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी प्रेडेटर बताया गया है और कहा गया है कि वो 2018 में एक नया कानून लाई थीं जिसके तहत 70 से भी ज्यादा पत्रकारों और ब्लॉगरों को सजा हो चुकी है.
पार्टी के अधिकारियों ने कहा है कि देश पुतिन के रास्ते पर बढ़ता रहेगा. मॉस्को के मेयर सर्गई सोब्यानिन ने कहा इन चुनावों का नतीजा "जश्न का दिन” है. चुनाव आयोग के अनुसार 55 प्रतिशत से ज्यादा वोट गिने जा चुके हैं और क्रेमलिन की पार्टी 46.6 प्रतिशत वोट हासिल कर चुकी है.
नतीजों के ऐलान के बाद राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन मॉस्को स्थित प्रचार मुख्यालय नहीं गए क्योंकि वह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने के बाद से एकांतवास में हैं. पार्टी का कहना है कि वह स्वस्थ हैं.
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धांधली के आरोप
अंतरिम नतीजों के मुताबिक कम्यूनिस्टों को 21.3 प्रतिशत वोट मिले जबकि अति-राष्ट्रवादी व्लादीमीर जीरिनोवस्की की दक्षिणपंथी एलडीपीआर को लगभग आठ प्रतिशत वोट मिल रहे हैं. ‘ए जस्ट रशिया' पार्टी 7.6 फीसदी मत हासिल कर रही है. इन सभी दलों को व्यवस्था का करीबी और समर्थक माना जाता है.
इसलिए विपक्ष की ओर से बस जेल में बंद अलेक्सी नवाल्नी की पार्टी ने ही चुनाव में धांधली के आरोप लगाए हैं.
रूस में तीन दिन तक वोटिंग चली थी जिसमें देश के निचले सदन ड्यूमा की 450 सीटों के लिए चुनाव हुआ था. हालांकि यह वोटिंग शिकायतों और आरोपों से भरी रही. इंट्राफैक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक गृह मंत्रालय ने कहा है कि चुनाव अधिकारियों को उल्लंघन की 750 से ज्यादा शिकायतें मिलीं.
गोलोज संस्था के निष्पक्ष पर्यवेक्षकों ने देशभर में अनियमितताओं की हजारों घटनाओं की सूची बनाई है. यह सूची वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर बनाई गई है.
केंद्रीय चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि शिकायतों की जांच की जाएगी. अधिकारियों ने कहा कि रविवार सुबह तक सात हजार से ज्यादा बैलट रद्द किए जा चुके हैं.
नवाल्नी का विरोध
जेल में बंद पुतिन विरोधी नेता नवाल्नी अपने आपराधिक रिकॉर्ड के चलते चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए थे. उन्होंने युनाइटेड रशिया पार्टी के खिलाफ रणनीतिक विरोध के लिए वोटिंग की अपील की है. उनकी टीम ने एक ऐप लॉन्च की थी जिसमें रणनीतिक वोटिंग की जा सकती थी. लेकिन शुक्रवार को इस ऐप को गूगल और प्ले स्टोर से हटा दिया गया.
देखिएः ऐसे देश जिनके एक से ज्यादा नाम हैं
ऐसे देश जिनके हैं एक से ज्यादा नाम
कई लोगों के दो नाम होते हैं: घर का या पुकारने वाला नाम और एक औपचारिक नाम. लेकिन लोगों के अलावा कई देशों के भी एक से ज्यादा नाम हैं, जैसे भारत को हिंदुस्तान या इंडिया कहते हैं. देखिए ऐसे ही कुछ देशों की फेहरिस्त.
तस्वीर: DW/M. Mostafigur Rahman
भूटान
भारत के करीबी पड़ोसी भूटान के लोग अपने देश को स्थानीय भाषा में द्रुक युल कहते हैं.
तस्वीर: DW/M. Mostafigur Rahman
चीन
एक उभरती विश्व महाशक्ति का नाम दुनिया के लिए चीन या चाइना है, लेकिन चीनी भाषा में उसका नाम चुंगकुओ है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
मादलीव
हिंद महासागर में द्वीपों पर बसा मादलीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है. उसे स्थानीय धीवेही भाषा में धीवेही राजे कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Chad Ehlers
मिस्र
दुनिया की पुरानी सभ्यताओं में से एक की जन्मस्थली का नाम अंग्रेजी में ईजिप्ट है. लेकिन स्थानीय अरबी भाषा में उसे मिस्र कहते हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Abd El Ghany
जर्मनी
जब भी दमदार मशीनों, शानदारों कारों और टेक्नोलॉजी की बात आती है तो सबकी जुबान पर जर्मनी का नाम होता है. लेकिन जर्मन में उसे डॉयचलांड कहते हैं.
तस्वीर: Sieghart Mair/ Zoonar/picture alliance
पोलैंड
जर्मनी के पड़ोसी पोलैंड का नाम स्थानीय पोलिश भाषा में पोल्स्का है. 3.85 करोड़ की आबादी के साथ यह यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है.
तस्वीर: Fotolia/udra11
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड का नाम वहां बोली जाने वाली चारों भाषाओं फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन और रोमांश में अलग है. इसे क्रमशः सुइस, श्वात्स, स्वीजेरा और स्वीजरा कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/robertharding
ऑस्ट्रिया
यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया भी उन देशों में शामिल है जिनके दो नाम हैं. स्थानीय जर्मन भाषा में उसे ओएस्ट्रेराइश कहते हैं.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
ग्रीस
दुनिया भर के सैलानियों का पसंदीदा ठिकाना ग्रीस अब शरणार्थी और आर्थिक संकट की वजह से सुर्खियों में रहता है. ग्रीक भाषा में उसका नाम हेलास है.
तस्वीर: Chun Ju Wu/Zoonar/picture alliance
अल्बानिया
पूर्वी यूरोप के इस छोटे से देश को स्थानीय अल्बानियाई भाषा में श्कीपेरिया कहते हैं.
तस्वीर: Colourbox/A. Mijatovic
नॉर्वे
दुनिया के सबसे खुश और समृद्ध देशों में शुमार होने वाले नॉर्वे को स्थानीय नॉर्वेजियन भाषा में नॉर्गे कहते हैं.
तस्वीर: AP
स्वीडन
यूरोपीय देश स्वीडन का नाम भी स्थानीय भाषा में थोड़ा सा अलग है. स्वीडिश लोग अपने देश को स्वेरिगे के नाम से पुकारते हैं.
तस्वीर: Fotolia/igor
लिथुआनिया
उत्तरी यूरोप में स्थित लिथुआनिया को स्थानीय लिथुआनियन भाषा में लीतुवा कहते हैं. इसकी सीमाएं पोलैंड, बेलारूस और रूस के कालिनिनग्राद इलाके से लगती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/AGF
इस्टोनिया
उत्तरी यूरोप में बाल्टिक सागर के पूर्वी तट पर बसा है इस्टोनिया, जिसे स्थानीय इस्टोनियाई भाषा में एस्ती कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance
क्रोएशिया
यूरोप का यह देश अपने सुंदर तटों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है. क्रोएशिया का नाम स्थानीय भाषा में हृवात्स्का है.
तस्वीर: Dalibor Brlek/Zoonar/picture alliance
रूस
हम जिसे अंग्रेजी में रशिया और हिंदी में रूस से नाम से जानते हैं, उसे रूसी भाषा में रोसिया कहा जाता है.
तस्वीर: picture-alliance
जॉर्जिया
रूस से टकराव की वजह से कई बार सुर्खियों रहे जॉर्जिया को स्थानीय जॉर्जियन भाषा में साकआर्तवेलो कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Aivazov
अर्मेनिया
अर्मेनिया की सीमाएं ईरान, तुर्की, अजरबैजान और जॉर्जिया से मिलती है. इस देश का नाम स्थानीय अर्मेनियाई भाषा में हायास्तान है.
तस्वीर: picture-alliance/TASS/S. Malgavko
ट्यूनिशिया
2011 की अरब क्रांति की जन्मस्थली के तौर पर दुनिया ट्यूनिशिया का नाम जानती है. लेकिन उसे स्थानीय अरबी भाषा में तुनेस कहते हैं.
तस्वीर: Imago/Kyodo News
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया
दुनिया के सबसे अलग थलग देशों में शामिल उत्तर कोरिया को स्थानीय लोग चोसोन कहते हैं. इसी तरह दक्षिण कोरिया को कोरियन भाषा में हांगुक कहते हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Silva
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अधिकारियों के मुताबिक नवाल्नी को रूस के संसदीय चुनावों में मतदान का भी अधिकार नहीं है. रविवार को कारावास व्यवस्था की उपाध्यक्ष वैलरी बोयारिनेव ने बताया कि रूस के कानून के मुताबिक अदालत से दोषी करार दिए गए लोगों को मतदान का अधिकार नहीं है.
ड्यूमा सदस्यों के चुनाव के लिए देश और विदेश में रहने वाले 11 करोड़ लोगों को मतदान का अधिकार था. रविवार शाम तक 45 प्रतिशत लोगों ने ही मतदान किया था. लोग ऑनलाइन भी वोट कर सकते हैं. बताया जाता है कि व्लादीमीर पुतिन ने भी ऑनलाइन मतदान किया.