क्या हिन्दू और मुसलमान एक ही छत के नीच रह सकते हैं? इसका जवाब है दिल्ली में बना "सबका घर". देश की राजधानी में यह एक ऐसा घर है, जहां हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई एक छत के नीचे मेल-जोल और प्यार से रहते हैं.
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दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास बना "सबका घर" किसी भी धर्म और किसी भी मान्यता के अनुयायी का खुले दिल से स्वागत करता है. जैसा नाम है, वैसा ही "सबका घर" का काम भी है. यहां रहने आए लोगों से यह नहीं पूछा जाता कि वे किस धर्म के हैं और उनकी मान्यताएं क्या हैं, वे भगवान या खुदा में विश्वास रखते हैं या नहीं.
साल 2017 से स्थापित "सबका घर", समाज में धार्मिक सद्भावना, आपसी प्यार और दूसरों के प्रति सम्मान का संदेश दे रहा है. पिछले नौ महीनों में इस घर में देश के दूर दराज के इलाकों से हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के करीब 1500 लोग रह चुके हैं. गांधीवादी विचारधारा से जुड़े लोगों के अलावा यहां ऐसे भी लोग आते हैं, जिनकी विचारधारा दक्षिणपंथी है.
सांप्रदायिकता के खिलाफ मुहिम
सरहदी गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान के बनाए संगठन खुदाई खिदमतगार को भारत में दोबारा जिंदा करने वाले और "सबका घर" के सह-संस्थापक फैसल खान बताते हैं, "सबका घर के जरिए लोगों को दूसरे धर्मों के बारे में करीब से जानने का मौका मिलता है. धर्मों के बारे में जो मिथक समाज में फैले हुए हैं, वे इस घर के जरिए खत्म होते हैं. यहां रहने वाले हिन्दू भाई को मुस्लिम को करीब से जानने का मौका मिलता है, तो दूसरी ओर मुसलमान भाई को हिन्दू समाज के बारे में बेहतर और सटीक जानकारी हासिल होती है. मैंने इस घर में रहते हुए धर्मों के प्रति फैले भ्रम को ध्वस्त होते देखा है. इस घर के जरिए हम कट्टर से कट्टर इंसान को गैर सांप्रदायिक बनाने की कोशिश करते हैं."
इसी घर में पिछले नौ महीनों से रह रहे खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और "सबका घर" के सह-संस्थापक डॉ. कुश कुमार कहते हैं, "सबका घर शुरु होने से पहले मैं और फैसल खान साथ रहते थे. हम दोनों को ख्याल आया कि क्यों ना ऐसा कुछ किया जाए जिससे और भी लोग एक छत के नीचे रह सकें और इस सोशल एक्सपेरिमेंट में शामिल हो सकें. हम चाहते थे कि अलग-अलग धर्मों के लोग साथ रह कर अपनी-अपनी गलतफहमियां दूर करें और नफरत की दीवार को गिरा दें. मैंने महसूस किया है कि यहां रहने से इंसान के अंदर सहिष्णुता का भी विकास होता है."
असहमति पर सहमति
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में एलएलबी के छात्र सुयश त्रिपाठी भी इस घर में पिछले कुछ महीनों से रह रहे हैं. वे बताते हैं, "इस घर में रहते हुए मैंने कई चीजें सीखीं, जैसे दूसरे के विचारों को सुनना और उऩका सम्मान करना. घर में जो हम सद्भावना सीखते हैं, उसको समाज में अमल में लाते हैं. मेरे यहां रहने का अनुभव बहुत ही सकारात्मक है. यहां रहते हुए हमें दूसरे धर्म के बारे में अच्छी-अच्छी बातें जानने को मिलती हैं. हम हर मुद्दे पर खुली बहस करते हैं और अगर हम असहमत होते हैं, तो बड़े ही विनम्रता से कह देते हैं कि हम आपके विचार से असहमत हैं. सामने वाला भी हमारी असहमित को मान लेता है. इस घर की यही बड़ी खासियत है.”
भारत की मशहूर हिंदू-मुस्लिम जोड़ियां
लव जिहाद जैसे जुमले भी भले ही सियासत में उछाले जाते हों, लेकिन अंतर धार्मिक शादियां धर्मों के बीच बढ़ रही दूरी को पाटने का एक अच्छा तरीका है. चलिए डालते नजर कुछ ऐसी ही जोड़ियों पर.
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शाहरुख खान-गौरी खान
बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान ने पंजाबी परिवार में जन्मी गौरी छिब्बर से 1991 में शादी की, जिसके बाद वह गौरी खान बन गईं. दोनों के तीन बच्चे हैं.
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ऋतिक रोशन-सुजैन खान
अभिनेता ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने 2000 में शादी की. लेकिन 2014 में दोनों नो अलग होने का फैसला किया. सुजैन खान अभिनेता संजय खान की बेटी हैं. यहां उन्हें अभिनेत्री पूजा हेगड़े के साथ देखा जा सकता है.
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सलमान खान का परिवार
सलमान खान ने तो अब तक शादी नहीं की है. लेकिन उनके परिवार में कई शादियां ऐसी हैं जिनमें अलग अलग धर्म के लोग मिले. इसमें सलीम खान-सुशीला चरक, हेलेन, अलवीरा-अतुल अग्निहोत्री, अरबाज-मलाइका, सोहेल खान-सीमा सचदेव जैसी कई जोड़ियां शामिल हैं.
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सैफ अली खान-अमृता सिंह-करीना कपूर
अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की शादी लगभग 13 साल चली. 2004 में वे अलग हो गए. इसके बाद उन्होंने 2012 में करीना कपूर से शादी की.
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इमरान हाशमी-परवीन साहनी
बॉलीवुड में अपने किसिंग सीन के लिए मशहूर इमरान हाश्मी ने 2006 में परवीन साहनी से शादी की. यह तस्वीर "डर्टी पिक्चर" की प्रमोशन के वक्त है जिसमें वह अभिनेत्री विद्या बालन के साथ दिख रहे हैं.
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मुमताज-मयूर माधवानी
गुजरे जमाने की सबसे हिट अभिनेत्रियों में से एक मुमताज का संबंध एक मुस्लिम परिवार से रहा है. 1974 में उन्होंने कारोबारी मयूर माधवानी से शादी कर अपना घर बसाया.
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नरगिस दत्त-सुनील दत्त
नरगिस का नाम पहले फातिमा राशिद था. पर्दे पर तो उनकी जोड़ी राजकपूर के साथ हिट थी लेकिन असल जिंदगी में उन्होंने सुनील दत्त को अपना हमसफर बनाया.
हरफनमौला गायक और अभिनेता किशोर कुमार ने मशहूर अभिनेत्री मधुबाला से शादी की. मधुबाला का नाम पहले मुमताज जहान देहलवी था और उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में गिना जाता है. मुगले आजम में अनारकली के किरदार में उन्होंने बखूबी जान डाली.
साठ और सत्तर के दशक की ग्लैमरस अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी भारतीय क्रिकेट के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. पटौदी ने 70 साल की उम्र में 2011 में दुनिया को अलविदा कह दिया.
अपनी मुस्कान और शानदार अभिनय के लिए मशहूर वहीदा रहमान ने 1974 में अभिनेता शशि रेखी से शादी की जो बतौर अभिनेता कमलजीत के नाम से जाने जाते थे. लंबी बीमारी के बाद 2000 में उनके पति का निधन हो गया.
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उस्ताद अमजद अली खान- शुभालक्ष्मी
सरोद के सुरों से जादू करने वाले उस्ताद अमजद अली खान ने 1976 में भारतनाट्यम नृत्यांगना शुभलक्ष्मी बरुआ से शादी की. उनके दो बेटे अमान और अयान भी सरोद बजाते हैं.
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जरीना वहाब-आदित्य पंचोली
1980 के दशक की एक जानी मानी अभिनेत्री जरीना वहाब ने फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली के साथ विवाह रचाया. उनके बेटे सूरज पंचोली ने हीरो के साथ बॉलीवुड में कदम रखा.
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फराह खान-शिरीष कुंदर
कोरियोग्राफर से निर्देशन में उतरीं फराह खान ने 2004 में शिरीष कुंदर से शादी की. अपने बयानों से कई विवादों में रहे कुंदर की मुलाकात फराह से उनकी फिल्म मैं हूं ना पर काम करने के दौरान हुई.
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सुनील शेट्टी-माना शेट्टी
अभिनेता सुनील शेट्टी की पत्नी माना शेट्टी मुस्लिम पिता और हिंदू मां की संतान हैं. शादी से पहले उनका नाम माना कादरी था. 1991 में दोनों एक दूसरे के हो गए.
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मनोज बाजपेयी-शबाना रजा
सत्या, शूल, कौन, वीर-जारा, अलीगढ़ और राजनीति जैसी फिल्मों में अपने जौहर दिखाने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी ने 2006 में शबाना रजा से शादी की, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम नेहा रख लिया.
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सचिन पायलट-सारा पायलट
कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की पत्नी का नाम सारा पायलट हैं. सारा कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी हैं. दोनों के दो बेटे आरान और विहान हैं.
तस्वीर: UNI
उमर अब्दुल्ला-पायल नाथ
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने 1994 में पायल नाथ से शादी की. लेकिन 2011 में वे अलग हो गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
मुख्तार अब्बास नकवी-सीमा नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी नेता और पार्टी का एक अहम मुस्लिम चेहरा हैं. उनकी पत्नी का नाम सीमा नकवी है, जिनका संबंध एक हिंदू परिवार से रहा है.
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जहीर खान-सागरिका घटके
मशहूर क्रिकेटर जहीर खान ने अभिनेत्री सागरिका घटके के साथ शादी की है. सागरिका घटके चक दे, रश और जी भर के जी ले जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.
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सुयश त्रिपाठी कहते हैं कि जब उनके धर्म के लोगों को पता चला कि वे मुसलमानों के साथ घर साझा करते हैं, तो उन्होंने सुयश को ऐसा ना करने को कहा लेकिन जब सुयश ने उन्हें समझाया और अपने अनुभव बताएं, तो उनके भी विचार बदल गए. सुयश के मुताबकि, "समाज में इन दिनों जो सांप्रदायिक मतभेद दिख रहा है, वङ सिर्फ ऊपरी सतह पर है. जमीनी स्तर पर अगर आप आपस में बात करें, तो मतभेद अपने आप ही खत्म हो जाते हैं. नफरत को बातचीत के जरिए खत्म किया जा सकता है."
टूट रहे हैं भ्रम
फैसल खान के साथ रहने से पहले डॉ. कुश कुमार के मन में मुस्लिम समाज के प्रति कुछ गलतफहमियां भी थीं. लेकिन जब वे साथ रहने लगे, तो कई मिथक टूट गए. डॉ. कुमार बताते हैं, "समाज में मुस्लिमों के बारे में एक आम गलतफहमी यह है कि वे दोनों पहर में मांसाहारी व्यंजन खाते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. मैंने साथ रहते हुए देखा कि ये लोग हमारी ही तरह सब्जी भी बड़े शौक से खाते हैं. वैसे ही मुस्लिम समाज में हिन्दुओं के प्रति भ्रम है कि वे शुद्ध-अशुद्ध और छुआ-छूत को बहुत कड़ाई से मानते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हम साथ बैठते हैं, साथ खाना खाते हैं और पानी पीते हैं."
दुनिया में किस धर्म के कितने लोग हैं?
दुनिया में दस में से आठ लोग किसी ना किसी धार्मिक समुदाय का हिस्सा हैं. एडहेरेंट्स.कॉम वेबसाइट और पियू रिसर्च के 2017 के अनुमानों से झलक मिलती हैं कि दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगों में कितने कौन से धर्म को मानते हैं.
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ईसाई
दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी ईसाइयों की है. विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 31.5 प्रतिशत और आबादी लगभग 2.2 अरब है.
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मुसलमान
इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसे मानने वालों की आबादी 1.6 अरब मानी जाती है. विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 1.6 अरब है.
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धर्मनिरपेक्ष/नास्तिक
जो लोग किसी धर्म में विश्वास नहीं रखते, उनकी आबादी 15.35 प्रतिशत है. संख्या के हिसाब यह आंकड़ा 1.1 अरब के आसपास है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman
हिंदू
लगभग एक अरब आबादी के साथ हिंदू दुनिया में तीसरा बड़ा धार्मिक समुदाय है. पूरी दुनिया में 13.95 प्रतिशत हिंदू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Gupta
चीनी पारंपरिक धर्म
चीन के पारंपरिक धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 39.4 करोड़ है और दुनिया की आबादी में उनकी हिस्सेदारी 5.5 प्रतिशत है.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media
बौद्ध धर्म
दुनिया भर में 37.6 करोड़ लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं. यानी दुनिया में 5.25 प्रतिशत लोग भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का अनुकरण कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS
जातीय धार्मिक समूह/अफ्रीकी पारंपरिक धर्म
इस समूह में अलग अलग जातीय धार्मिक समुदायों को रखा गया है. विश्व आबादी में 5.59 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इनकी संख्या 40 करोड़ के आसपास है.
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सिख
अपनी रंग बिरंगी संस्कृति के लिए दुनिया भर में मशहूर सिखों की आबादी दुनिया में 2.3 करोड़ के आसपास है
तस्वीर: NARINDER NANU/AFP/Getty Images
यहूदी
यहूदियों की संख्या दुनिया भर में 1.4 करोड़ के आसपास है. दुनिया की आबादी में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.20 प्रतिशत है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/W. Rothermel
जैन धर्म
मुख्य रूप से भारत में प्रचलित जैन धर्म के मानने वालों की संख्या 42 लाख के आसपास है.
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शिंटो
यह धर्म जापान में पाया जाता है, हालांकि इसे मानने वालों की संख्या सिर्फ 40 लाख के आसपास है.
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फिलहाल इस घर में 8 लोग रहते हैं. दो केरल, चार उत्तर प्रदेश, एक महाराष्ट्र और एक पुदुचेरी से. यहां कोई तीन दिन के लिए रहने आता है, तो कोई पिछले साल जून 2017 से रह रहा है. घर में रहने वाले सदस्य को अपना काम खुद ही करना होता है. साथ ही दूसरों के आत्मसम्मान का भी ख्याल रखना होता है. सभी लोग साथ खाना बनाते हैं और साथ ही खाते भी हैं. इस दौरान वे देश के हालात पर भी बिना किसी संकोच के अपना नजरिया रखते हैं.
ताकि कम हो सके नफरत
यहां रहने आए लोगों से किसी तरह का किराया नहीं लिया जाता है, बल्कि लोग स्वेच्छा से ही आर्थिक योगदान देते हैं. मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित "सबका घर" आस पास के लोगों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. फैसल बताते हैं कि आस-पड़ोस के लोग भी घर के मेहमानों के लिए खीर और नाश्ता लेकर आते हैं और यहां बैठकर विचार साझा करते हैं.
दिल्ली के अलावा एक और "सबका घर" पुदुचेरी में खोला गया है जहां इसी तरह से लोग रह सकते हैं. फैसल खान और डॉ. कुमार आने वाले महीनों में इस प्रयोग को देश के अन्य शहरों में भी आजमाना चाहते हैं. फैसल कहते हैं, "भले ही हमारी कोशिश छोटी है लेकिन समाज से अगर जरा भी नफरत कम होती है, तो यह मानवता के लिए बहुत बड़ी बात होगी."
तीन धर्म एक छत
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक प्रोजेक्ट के जरिए तीन धर्मों को एक छत के नीचे एक किया जा रहा है. यहां मुसलमान, कैथोलिक और यहूदी धर्मावलम्बी एक ही जगह प्रार्थना कर सकेंगे. यह प्रार्थनागृह आम लोगों के चंदे से बनेगा.
तस्वीर: Lia Darjes
एक छत के नीचे
बर्लिन में जल्द ही एक ऐसी जगह होगी जहां तीन धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे प्रार्थना और ईश वंदना कर सकेंगे. यह प्रार्थना भवन तीन अब्राहमी धर्मों इस्लाम, ईसाइयत और यहूदियों को एक साथ लाएगा.
तस्वीर: KuehnMalvezzi
तीन की पहल
हाउस ऑफ वन के विचार को पास्टर ग्रेगोर होबैर्ग, रब्बी तोविया बेन-चोरिन और इमाम कादिर सांची अमली जामा पहना रहे हैं. कादिर सांची का कहना है कि तीनों धर्म अलग अलग रास्ता लेते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही है.
तस्वीर: Lia Darjes
इतिहास वाली जगह
जहां इस समय साझा प्रार्थना भवन बन रहा है वहां पहले सेंट पेट्री चर्च था जिसे शीतयुद्ध के दौरान नष्ट कर दिया गया. आर्किटेक्ट ब्यूरो कुइन मालवेजी ने हाउस ऑफ वन बनाने के लिए चर्च के फाउंडेशन का इस्तेमाल किया है.
तस्वीर: Michel Koczy
शुरुआती संदेह
शुरू में कोई मुस्लिम संगठन इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं होना चाहता था. बाद में तुर्की के मॉडरेट मुसलमानों का संगठन एफआईडी राजी हो गया. उन्हें दूसरे इस्लामी संगठनों के उपहास का निशाना बनना पड़ा.
तस्वीर: KuehnMalvezzi
आलोचना का निशाना
इस प्रोजेक्ट को नियमित रूप से आलोचना का निशाना बनाया गया है. कैथोलिक गिरजे के प्रमुख प्रतिनिधि मार्टिन मोजेबाख को शिकायत है कि इमारत की वास्तुकला इसकी धार्मिकता का प्रतिनिधित्व नहीं करती.
तस्वीर: Lia Darjes
चंदे पर भरोसा
हाउस ऑफ वन प्रोजेक्ट के संचालक इसके विकास में आम लोगों की भूमिका के महत्व से वाकिफ हैं. इसलिए वे चंदे पर भरोसा कर रहे हैं. इमारत बनाने में 43.5 लाख ईंटें लगेंगी. हर कोई इन्हें खरीद सकता है.
तस्वीर: KuehnMalvezzi
शांति की कोशिश
इस प्रोजेक्ट के कर्णधारों की उम्मीद है कि नई इमारत तीनों धर्मों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का केंद्र बनेगी और इसकी वजह से पारस्परिक आदर पैदा होगा. पड़ोसी के बारे में जानना उन्हें करीब लाता है.