भारत सरकार ने सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में निवेश करने वालों के पैसों को लौटाने के लिए एक नई सेवा शुरू की है. निवेशकों के करीब 30,000 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं, लेकिन अभी सिर्फ 5,000 करोड़ लौटाने की व्यवस्था हुई है.
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केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 18 जुलाई को विशेष रूप से इस अभियान के लिए बनाये गए एक पोर्टल की शुरुआत की. 'सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल' के जरिये उन करोड़ों निवेशकों को उनके पैसे वापस दिलाने की कोशिश की जाएगी जिनके पैसे सहारा समूह में हुए घोटाले के उजागर होने के बाद फंस गए थे.
रिफंड पाने के लिए निवेशकों को इस पोर्टल पर जा कर अपने निवेश की, जिस बैंक खाते में रिफंड चाहिए उस खाते की और अपने आधार नंबर की जानकारी देनी होगी. यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक खाता और मोबाइल नंबर दोनों आधार से जुड़े हुए हों.
अभी दिल्ली दूर है
इस कदम से सहारा में फंसे हुए अपने निवेश के वापस लौटने का इंतजार कर रहे करोड़ों निवेशकों की मदद तो होगी, लेकिन अभी सभी निवेशकों के पूरे निवेश को लौटाने की व्यवस्था किया जाना बाकी है.
शाह ने बताया कि सहारा समूह की चार समितियों - सहारा क्रेडिट, सहारायान यूनिवर्सल, हमारा इंडिया क्रेडिट और स्टार्स मल्टीपर्पस सहकारी समिति - में करीब 1.78 करोड़ लोगों के लगभग 30,000 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं.
अभी इसमें से सिर्फ 5,000 करोड़ लौटाने की ही व्यवस्था हो पाई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा-सेबी फण्ड में से 5,000 करोड़ ही सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को देने का आदेश दिया था.
फिर जाना होगा सुप्रीम कोर्ट
शाह ने बताया कि इस पोर्टल के जरिये सबसे पहले 10,000 रुपये या उससे ज्यादा निवेश करने वाले एक करोड़ निवेशकों को 10,000 रुपये प्रति निवेशक लौटाए जाएंगे. सरकार ने वादा किया है कि सत्यापन होने के बाद 45 दिनों के अंदर आवेदकों के पैसे उनके खातों में डाल दिए जाएंगे.
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5,000 करोड़ रुपये खत्म हो जाने पर बाकी निवेशकों के भी पैसे लौटाने के लिए पैसों की व्यवस्था करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की जाएगी. सहारा-सेबी फंड में करीब 24,000 करोड़ रुपये हैं.
जून 2011 में सेबी ने सहारा समूह को गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए पैसे निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था. फिर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया था कि वे निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये लौटाए.
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.