इस कश्ती में ना प्लास्टिक लगा है, ना किसी भी प्रकार का सिंथेटिक. यह केवल प्राकृतिक चीजों से बनी है और सबसे बढ़ कर इसमें कागज का इस्तेमाल हुआ है.
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Sailing the seven seas on flax and cork
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अपनी अफ्रीका की यात्रा में जंगली पशुओं से सामना जापानी कलाकार ची हीतोतसुयामा को अंदर तक प्रभावित कर गया. वहां से लौटकर उन्होंने अखबारों को रोल कर वैसे ही पशु बनाए. इंसानों को याद दिलाने के लिए कि यह धरती पशुओं की भी है.
कागज के फूल नहीं कागज के पशु
अपनी अफ्रीका की यात्रा में जंगली पशुओं से सामना जापानी कलाकार ची हीतोतसुयामा को अंदर तक प्रभावित कर गया. वहां से लौटकर उन्होंने अखबारों को रोल कर वैसे ही पशु बनाए. इंसानों को याद दिलाने के लिए कि यह धरती पशुओं की भी है.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
दिल की पुकार, 2011
जापानी कलाकार ने एक घायल राइनो को देखा था. उसी से प्रेरणा लेकर 2011 में अखबारों से बना डाला यह जीवंत शिल्प.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
सागर की यात्रा, 2014
2014 में सी टर्टिल को इस रूप में ढालने के पीछे हीतोतसुयामा को आशा थी कि दुनिया भर में उनकी दुर्दशा के बारे में जागरुकता बढ़े.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बाइसन का झुण्ड, 2012
2012 की इस कृति में कलाकार ने अखबारों से बने बाइसन में जैसे जान डाल दी है. एक रचना में एक से तीन महीने का समय लगता है.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
गोरिल्ला की मां, 2011
हीतोतसुयामा फुजी में बड़ी हुईं, जो पेपर के निर्माण के लिए प्रसिद्ध शहर है. उनके दादाजी एक पेपर मिल के मालिक भी थे जहां बचपन में वह अक्सर खेला करती थीं.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बच्चों के लिए
जापान के फूनाबाशी एंडरसन पार्क में बच्चों के लिए बने संग्रहालय में बेकार हो चुके उत्पादों से रची कला दिखाई गई है. अखबार से इसलिए बनाया क्योंकि वे सूचना को फैलाने का काम करते हैं.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बंदर के सोने की ध्वनि
हीतोतसुयामा का संदेश है कि इंसान याद रखे "इसी पृथ्वी पर और भी कई जीवित प्राणी रहते हैं. हम सबको अपने जीवन में एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए."
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
सागर के जीवों का ख्याल, 2014
हीतोतसुयामा मानती हैं कि इंसान को "पर्यावरण को ठीक करने" का ख्याल छोड़कर उसे नष्ट ना करने की ओर ध्यान देना चाहिए. (जेनिफर कॉलिंस/आरपी)