अयोध्या पर किताब लिखकर विवाद में क्यों फंसे सलमान खुर्शीद
समीरात्मज मिश्र
१२ नवम्बर २०२१
अयोध्या में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के दो साल बाद कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने फैसले के तमाम पहलुओं को समेटते हुए एक किताब लिखी लेकिन छपने के बाद ही इस पुस्तक पर विवाद खड़ा हो गया.
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पेंगुइन प्रकाशन से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स' में सलमान खुर्शीद ने अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है और लिखा है कि हिन्दू पक्ष ने कहीं ज्यादा मजबूत सबूत पेश किए. लेकिन इस पुस्तक के छठे अध्याय में पृष्ठ संख्या 113 पर सलमान खुर्शीद ने कुछ ऐसा लिख दिया है जिस पर न सिर्फ हिन्दू संगठन और भारतीय जनता पार्टी आक्रामक हो गई है बल्कि कांग्रेस पार्टी के भी कई नेता इस मामले में सलमान खुर्शीद को आड़े हाथों ले रहे हैं.
पुस्तक के छठे अध्याय 'द सैफ्रॉन स्काई' में सलमान खुर्शीद लिखते हैं, "भारत के साधु संत सदियों से जिस सनातन धर्म और मौलिक हिन्दुत्व की बात करते आए हैं, कट्टरपंथी हिन्दुत्व की वजह से हिन्दुत्व का वह मूल स्वरूप नेपथ्य में चला जा रहा है. आज हिन्दुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण तैयार किया जा रहा है जो बोको हराम और आईएसआईएस जैसे इस्लामी जिहादी संगठनों जैसा है."
जिहादी संगठनों से तुलना पर विवाद
पूरा विवाद इन्हीं दो वाक्यों को लेकर है और सलमान खुर्शीद पर आरोप लग रहे हैं कि वो हिन्दू धर्म की तुलना आतंकवादी संगठनों से कर रहे हैं. हालांकि खुद सलमान खुर्शीद ने सफाई देते हुए कहा, "मैंने हिन्दू धर्म को नहीं बल्कि मौजूदा समय के हिन्दुत्व की तुलना आतंकवादी संगठनों से की है. हिन्दू धर्म के बारे में बहुत कुछ अच्छा लिखा गया है. लोगों को चाहिए कि वो पूरी किताब पढ़ें."
सलमान खुर्शीद की किताब के इसी बिन्दु को लेकर कई हिन्दूवादी संगठन सलमान खुर्शीद के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. कई जगह उनके पुतले जलाए जा रहे हैं तो उनके साथ ही कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र का कहना है कि वो कानूनी जानकारों की राय लेकर पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी भी किताब में लिखी गई बातों को लेकर हमलावर हो गई है. गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सलमान खुर्शीद पर निशाना साधा. उनका कहना था, "हिंदुत्व के खिलाफ कांग्रेस की यह बड़ी साजिश है और उनकी विचारधारा हिंदुओं के खिलाफ है. यह बात न सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं की है बल्कि यह भारत की आत्मा को भी गहरे ठेस पहुंचाती है. कांग्रेस पार्टी हिंदुओं के खिलाफ नफरत का जाल बुन रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सलमान खुर्शीद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए."
अयोध्या: कब क्या हुआ
भारतीय राजननीति में अयोध्या एक ऐसा सुलगता हुआ मुद्दा रहा है जिसकी आग ने समाज को कई बार झुलसाया है. जानिए, कहां से कहां तक कैसे पहुंचा यह मुद्दा...
तस्वीर: dpa - Bildarchiv
1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
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1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheed
1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: AP
1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
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जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: AP
मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: AP
अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khan
जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: AP
2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: AP
मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: AP
मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepak
नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangue
अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
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कांग्रेस के अंदर भी विरोध के स्वर
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी सलमान खुर्शीद की इन बातों की आलोचना की है. गुलाम नबी आजाद का कहना है कि "हम हिंदुत्व के साथ एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन आईएसआईएस और जिहादी इस्लाम के साथ इसकी तुलना करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है."
सलमान खुर्शीद देश के कानून मंत्री और विदेश मंत्री के अलावा यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है. पिछले साल जी 23 के रूप में चर्चित जिन वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने पार्टी में व्यापक संगठनात्मक परिवर्तन की मांग करते हुए जब सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, गुलाम नबी आजाद भी उनमें शामिल थे. उस वक्त सलमान खुर्शीद ने सार्वजनिक मंच पर नाराजगी जताने वाले इन वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की थी. गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी के बाद सलमान खुर्शीद ने कहा, "मैं उनसे किसी बहस में नहीं उलझना चाहता."
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उत्तर प्रदेश में चुनाव
राजनीतिक जगत में सलमान खुर्शीद की किताब की टाइमिंग को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं. कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, "पार्टी ने सलमान खुर्शीद को यूपी में इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है, फिर भी ऐन चुनाव के वक्त उन्हें ऐसी बात करने की क्या जरूरत थी. अयोध्या विवाद पर फैसला तो दो साल पहले आ चुका हैं. वो आज महसूस कर रहे हैं कि फैसला सही है. यदि किताब का विमोचन अब तक नहीं हुआ था तो दो-चार महीने और रोक दिए होते. ऐसे समय में जबकि कांग्रेस पार्टी खुद सॉफ्ट हिन्दुत्व का रास्ता अपना रही है, सलमान खुर्शीद जैसे कुछ लोग सारे किए धरे पर पानी फेर देते हैं."
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. सलमान खुर्शीद उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के रहने वाले हैं और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां दे रखी हैं. कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को ऐसा लगता है कि किताब में इस्लामी आतंकवादी संगठनों से हिन्दुत्व की तुलना करने संबंधी बात का प्रतिकूल असर पड़ेगा. पुस्तक के विमोचन के मौके पर ही पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णन ने सीधे तौर पर किताब में लिखी कई बातों से असहमति जताई.
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर भूमि पूजन
5 अगस्त 2020 भारतीय इतिहास में उस तारीख के रूप में दर्ज हो गई जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. लंबे कानूनी झगड़े के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर की नींव
नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की नींव में नौ शिलाएं रखीं. भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट पर था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया. अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने हनुमान गढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी. टीवी चैनलों पर सुबह से ही कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
राम के दर्शन
मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज पूरा देश राममय और हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार समाप्त हुआ." सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मामले का निबटारा करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है.
तस्वीर: IANS
राम भक्तों का जश्न
राम मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से भारत में राम भक्तों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कोरोना वायरस की वजह से राम मंदिर भूमि पूजन के लिए सीमित संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. ज्यादातर लोगों ने ढोल और नगाड़े बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया. इस तस्वीर में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता जश्न मनाते दिख रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंच पाई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu
खुशी से झूमती महिलाएं
नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय के बाहर महिलाएं खुशी से झूमती हुईं. राम मंदिर के लिए वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी ने आंदोलन चलाया. आंदोलन से जुड़े दो वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
पटाखों के साथ खुशी
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और हवा में रंग उड़ाए. कई शहरों में राम भक्तों ने लड्डू बांटे और एक दूसरे को इस अवसर पर बधाई दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
खास मेहमान
पिछले कई महीनों से अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर हलचल तेज थी और तैयारियां जोरों पर थीं. राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए खास तैयारी की थी. चुनिंदा मेहमानों के अलावा भूमि पूजन के लिए आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी. लोग दूर से इस पल का गवाह बने.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia
सीधा प्रसारण
राम मंदिर भूमि पूजन का सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. कोरोना वायरस के कारण लोगों ने बड़ी स्क्रीन पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम देखा. कई शहरों में इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
लड्डू का प्रसाद
अयोध्या में प्रसाद के तौर पर पिछले कुछ दिनों से लड्डू बनाने का काम चल रहा था. भूमि पूजन के बाद 1,11,000 डिब्बों में प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू वितरित किए गए. इन लड्डूओं को कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित भी किया जाएगा.
तस्वीर: IANS
अयोध्या में सैनिटाइजेशन
कोरोना वायरस के कारण पूरी अयोध्या नगरी को सैनिटाइज किया गया. तमाम रास्तों, गलियों, मंदिरों और भूमि पूजन से जुड़ी जगहों को स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सैनिटाइज किया. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है."
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
सख्त पहरा
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. भूमि पूजन से पहले ही अयोध्या में तीन चक्र की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बल और एसपीजी के जवान तैनात किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
अयोध्या
अयोध्या में पिछले कुछ हफ्तों से सजावट का काम चल रहा था. जगह-जगह दीवारों पर राम के चित्र बनाए गए और सड़कों पर रंगोली बनाई गई. सरयू नदी पर मंगलवार से ही मनमोहक नजारा दिख रहा है. नदी के किनारे को भूमि पूजन के लिए रंगीन रोशनी और रंगोली से सजाया गया.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
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अतीत में भी विवादपूर्ण टिप्पणियां
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किताब में लिखी गईं सलमान खुर्शीद की ये बातें निश्चित तौर पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली हैं. इससे पहले भी पार्टी के कुछ नेताओं के बयानों ने पार्टी को काफी राजनीतिक नुकसान पहुंचाया. साल 2007 में गुजरात में विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से 'मौत का सौदागर' जैसी टिप्पणी न सिर्फ विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की हार का कारण बनी बल्कि हिन्दूवादी नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी की छवि को और ज्यादा निखारने में मददगार भी बनी.
साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले मणिशंकर अय्यर की बेहद हल्के अंदाज में नरेंद्र मोदी के लिए की गई टिप्पणी को भी बीजेपी ने खूब भुनाया और उसका राजनीतिक लाभ लिया. साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सर्जिकल स्ट्राइक के संबंध 'खून की दलाली' और साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान 'चौकीदार चोर है' जैसे नारों का इस्तेमाल किया. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीजेपी और खासकर नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से इन नारों और विशेषणों का अपने पक्ष में इस्तेमाल किया, उससे कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "बीजेपी तो चाहती ही है कि विपक्षी पार्टियां, खासकर कांग्रेस पार्टी कुछ ऐसा करे जिससे कि वो उसे हिन्दू विरोधी साबित कर सकें. ऐसे में जब पार्टी के ही कुछ नेता इस तरह के बयान देने लगते हैं तो निश्चित तौर पर उसका नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ेगा." पुस्तकों और फिल्मों में विवादित अंशों के लिए कई बार इसे प्रचार पाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जाता है लेकिन योगेश मिश्र कहते हैं कि "सलमान खुर्शीद एक नेता और वकील के रूप में वैसे ही इतनी प्रसिद्धि पा चुके हैं कि उन्हें अपनी किताब बेचने के लिए जानबूझकर विवादित बातें लिखने की जरूरत न पड़ती."
पाकिस्तान में हिंदुओं का ऐतिहासिक भव्य मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कोहिस्तान नामक पर्वत श्रृंखला में कटासराज नाम का एक गांव है. यह गांव हिंदुओं के लिए बहुत ऐतिहासिक और पवित्र है. इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है. आइए जानें इसकी विशेषता.
तस्वीर: Ismat Jabeen
कई मंदिर
कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर है. इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं. इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
पहाड़ी इलाके में मंदिर
कोहिस्तान नमक का इलाका छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. ऊंची पहाड़ियों पर बनाए गए इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ियों में होकर बल खाते पथरीले रास्ते हैं. इस तस्वीर में कटासराज का मुख्य मंदिर और उसके पास दूसरे भवन दिख रहे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सबसे ऊंचे मंदिर से नजारा
कटासराज की ये तस्वीर वहां के सबसे ऊंचे मंदिर से ली गई है जिसमें मुख्य तालाब, उसके आसपास के मंदिर, हवेली, बारादरी और पृष्ठभूमि में मंदिर के गुम्बद भी देखे जा सकते हैं. बाएं कोने में ऊपर की तरफ स्थानीय मुसलमानों की एक मस्जिद भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नहीं रही हिंदू आबादी
कटासराज मंदिर के ये अवशेष चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में हैं. बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव और सती का निवास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे. मान्यता है कि कटासराज के तालाब में स्नान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. 2005 में जब भारत के उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी पाकिस्तान आए तो उन्होंने कटासराज की खास तौर से यात्रा की थी.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव के आंसू
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब शिव की पत्नी सती का निधन हुआ तो शिव इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण दो तालाब बन गए. इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में है और दूसरा यहां कटाशा है. संस्कृत में कटाशा का मतलब आंसू की लड़ी है जो बाद में कटास हो गया.
तस्वीर: Ismat Jabeen
गणेश
हरी सिंह नलवे की हवेली की एक दीवार पर गणेश की तस्वीर, जिसमें वो अन्य जानवरों को खाने के लिए चीजें दे रहे हैं. ऐसे चित्रों में कोई न कोई हिंदू पौराणिक कहानी है. कटासराज के निर्माण में ज्यादातर चूना इस्तेमाल किया गया है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
धार्मिक महत्व
पुरातत्वविद् कहते हैं कि इस तस्वीर में नजर आने वाले मंदिर भी नौ सौ साल पुराने हैं. लेकिन पहाड़ी पर बनी किलेनुमा इमारत इससे काफी पहले ही बनाई गई थी. तस्वीर में दाईं तरफ एक बौद्ध स्तूप भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
प्राकृतिक चश्मे
कटासराज की शोहरत की एक वजह वो प्राकृतिक चश्मे हैं जिनके पानी से गुनियानाला वजूद में आया. कटासराज के तालाब की गहराई तीस फुट है और ये तालाब धीरे धीरे सूख रहा है. इसी तालाब के आसपास मंदिर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
खास निर्माण शैली
कटासराज की विशिष्ट निर्माण शैली और गुंबद वाली ये बारादरी अन्य मंदिरों के मुकाबले कई सदियों बाद बनाई गई थी. इसलिए इसकी हालत अन्य मंदिरों के मुकाबले में अच्छी है. पुरातत्वविदों के अनुसार कटासराज का सबसे पुराना मंदिर छठी सदी का है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
दीवारों पर सदियों पुराने निशान
ये खूबसूरत कलाकारी एक हवेली की दीवारों पर की गई है जो यहां सदियों पहले सिख जनरल हरी सिंह नलवे ने बनवाई थी. इस हवेली के अवशेष आज भी इस हालत में मौजूद हैं कि उस जमाने की एक झलक बखूबी मिलती है.
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नलवे की हवेली के झरोखे
सिख जनरल नलवे ने कटासराज में जो हवेली बनवाई, उसके चंद झरोखे आज भी असली हालत में मौजूद हैं. इस तस्वीर में एक अंदरूनी दीवार पर झरोखे के पास खूबसूरत चित्रकारी नजर आ रही है. कहा जाता है कि कटासराज का सबसे प्राचीन स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था.
तस्वीर: Ismat Jabeen
बीती सदियों के प्रभाव
इस तस्वीर में कटासराज की कई इमारतें देखी जा सकती हैं, जिनमें मंदिर भी हैं, हवेलियां भी हैं और कई दरवाजों वाले आश्रम भी हैं. इस तस्वीर में दिख रही इमारतों पर बीती सदियों के असर साफ दिखते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सदियों का सफर
इस स्तूपनुमा मंदिर में शिवलिंग है. भारतीय पुरातत्व सर्वे की 19वीं सदी के आखिर में तैयार दस्तावेज बताते हैं कि कटासराज छठी सदी से लेकर बाद में कई दसियों तक हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थल रहा है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
मूंगे की चट्टानें
कटासराज के मंदिरों और कई अन्य इमारतों में हिस्सों में मूंगे की चट्टानों, जानवरों की हड्डियों और कई पुरानी चीजों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं.