चुनाव हारीं फिनलैंड की सबसे कम उम्र प्रधानमंत्री सना मरीन
३ अप्रैल २०२३
दुनिया में सबसे कम उम्र में किसी देश की प्रधानमंत्री बनकर चर्चित हुईं सना मरीन दूसरा कार्यकाल नहीं जीत पाईं. लोकप्रिय होने और ज्यादा वोट पाने के बावजूद उनकी पार्टी चुनाव हार गई.
फिलनैंड के दक्षिणपंथी नेता पेटेरी ओरपो ने देश के आम चुनाव में हुए तिकोने कड़े मुकाबले को जीत लिया है. उन्हें वामपंथी सोशल डेमोक्रेट्स और अति दक्षिणपंथी फिनिश पार्टी को मात दी. एनसीपी नेता ओरपो ने जीत का ऐलान करते हुए कहा, "हमें सबसे बड़ा जनादेश मिला है.”
ओरपो को 20.8 फीसदी मत मिले जबकि फिनिश पार्टी रिकॉर्ड 20.1 प्रतशित वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. सना मरीन के नेतृत्व में एसडीपी की सीटें बढ़ीं और उन्हें 19.9 प्रतिशत मत मिले लेकिन वह तीसरे नंबर पर चली गईं.
ओरपो की जीत
चुनावों के दौरान सना मरीन लगातार लोकप्रिय बनी हुई थीं. फिनलैंड जल्दी ही नाटो सदस्य बनने जा रहा हैऔर इसे भी मरीन के कार्यकाल की उपलब्धि माना गया था. लेकिन कुल मतों में पिछड़ने के बाद मरीन ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि यही लोकतंत्र की आवाज है.
मरीन ने अपने समर्थकों को धन्यवाद करते हुए कहा, "इन चुनावों के विजेता को बधाई. नेशनल कोएलिशन पार्टी को बधाई. फिन्स पार्टी को बधाई.”
ओरपो की पार्टी को संसद में सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. हालांकि सरकार बनाने के लिए उन्हें गठबंधन के दलों का साथ चाहिए होगा. ओरपो ने कहा, "मुझे लगता है फिनलैंड के लोग बदलाव चाहते हैं. अब मैं बातचीत शुरू करूंगा. सभी दलों से बातचीत करूंगा.”
फिन्स पार्टी की नेता रिक्का पुरा ने भी ओरपो को बधाई दी लेकिन वह अपनी पार्टी के प्रदर्शन से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि सात अतिरिक्त सीटें एक शानदार नतीजा है.
एसडीपी के साथ गठबंधन में सरकार में रही अन्य तीन पार्टियों को करारी हार का सामना करना पड़ा. सेंटर पार्टी, लेफ्ट अलायंस और ग्रीन्स तीनों को सीटों का भारी नुकसान हुआ.
सना मरीन अब भी लोकप्रिय
अब 37 वर्ष की हो चुकीं सना मरीन 2019 में फिनलैंड की प्रधानमंत्री बनी थीं. तब वह राष्ट्राध्यक्ष के पद पर पहुंचने वाली दुनिया की सबसे युवा नेता थीं. उन्होंने पांच दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और सभी दलों की नेता महिलाएं थीं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाने के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान उनके सख्त रुख की भी तारीफ हुई थी. हालांकि फिनलैंड में स्थानीय मुद्दे ही चुनावों में हावी रहे. अर्थव्यवस्था और बढ़ता सार्वजनिक कर्ज एक बड़ा मुद्दा था. सना मरीन के कार्यकाल में सार्वजनिक कर्ज देश की जीडीपी का 70 फीसदी पहुंच गया था. उनके दोनों विरोधी दलों ने सार्वजनिक खर्च घटाने की हिमायत की है.
राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में छाने वालीं महिलाएं
लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. ट्रस उन एक दर्जन से ज्यादा यूरोपीय महिलाओं के समूह में शामिल हो गईं, जिन्होंने अपने-अपने देशों में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में इतिहास रचा.
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ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं ट्रस
ब्रिटेन में लिज ट्रस ने सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ जीत ली. जुलाई में बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद पीएम पद की रेस में ट्रस ने बाजी मारी. 1979 से 1990 तक प्रभार संभालने वाली 'आयरन लेडी' मारग्रेट थैचर और 2016 से 2019 तक शासन करने वाली थेरेसा मे के बाद ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी हैं.
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डेनमार्क की सबसे युवा प्रधानमंत्री
सोशल डेमोक्रेट नेता मेटे फ्रेडरिक्सन जून 2019 में डेनमार्क की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने 41 साल की उम्र में प्रधानमंत्री का पद संभाला. यहां की पहली महिला प्रधानमंत्री, सोशल डेमोक्रेट नेता हेले थॉर्निंग-श्मिट थीं, जिन्होंने 2011 से 2015 तक पद संभाला.
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एस्टोनिया की पहली महिला राष्ट्रपति
52 साल की पूर्व ईयू ऑडिटर केर्स्टी कलजुलैद अक्टूबर 2016 में बाल्टिक राज्य एस्टोनिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं. हालांकि, एस्टोनिया में राष्ट्रपति पद का औपचारिक महत्व होता है, जिसमें शक्तियां कम होती हैं.
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एस्टोनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री
जनवरी 2021 में काजा कलास एस्टोनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उनके पिता सिम कलास 2002-2004 तक प्रधानमंत्री थे.
तस्वीर: Ints Kalnins/REUTERS
दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री
दिसंबर 2019 में, सोशल डेमोक्रेट, सना मरीन, 34 साल की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनीं. फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री मरीन हाल ही में दोस्तों के साथ डांस और पार्टी करते हुए अपनी तस्वीरों को लेकर काफी सुर्खियों में रहीं.
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फ्रांस की दूसरी महिला प्रधानमंत्री
61 साल की इंजीनियर एलिसाबेथ बोर्न मई में फ्रांस की प्रधानमंत्री बनीं, जो समाजवादी नेता एडिथ क्रेसन के बाद पद संभालने वाली दूसरी महिला हैं. क्रेसन 1990 के दशक की शुरुआत में एक साल से भी कम समय तक इस पद पर रहीं थी.
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ग्रीस की पहली महिला राष्ट्रपति
पेशे से तेज तर्रार वकील कैटरीना सकेलारोपोलू जनवरी 2020 में ग्रीस की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गईं. हालांकि ग्रीस में राष्ट्रपति पद की भूमिका मोटे तौर पर औपचारिक है. साकेलारोपोलू 2018 में देश की शीर्ष अदालत की अध्यक्ष बनकर पहले ही न्यायपालिका के मैदान में झंडे गाड़ चुकी थीं.
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हंगरी की पहली महिला राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की करीबी सहयोगी और पूर्व फैमिली पॉलिसी मंत्री कैटलिन नोवाक को मार्च 2022 में हंगरी की पहली महिला राष्ट्रपति चुना गया.
47 साल की रॉक और आइस हॉकी फैन, लिथुआनिया की पूर्व वित्त मंत्री इंग्रिडा सिमोनीटे दिसंबर 2020 में सेंटर-राइट सरकार की प्रधानमंत्री बनीं. लिथुआनिया में महिला नेतृत्व की एक मजबूत परंपरा है, जिसमें "बाल्टिक आयरन लेडी" डालिया ग्राइबॉस्काइट ने 2009 से 2019 तक सत्ता में एक दशक बिताया.
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स्लोवाकिया की पहली महिला राष्ट्रपति
उदारवादी वकील और भ्रष्टाचार विरोधी 48 साल की जुजाना कैपुतोवा ने जून 2019 में स्लोवाकिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला. एक राजनीतिक नौसिखिया होने के बावजूद उन्होंने चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार को आसानी से हराया था. स्लोवाकिया में राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री की तुलना में कम शक्ति होती है लेकिन वह वरिष्ठ न्यायाधीशों के कानूनों और नियुक्तियों को वीटो कर सकता है.
तस्वीर: Boris Grdanoski/AP Photo/picture alliance
स्वीडन को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
लैंगिक समानता का चैंपियन देश होने के बावजूद स्वीडन में कभी भी माग्दालेना एंडरसन से पहले प्रधानमंत्री के रूप में कोई महिला नहीं रही. सोशल डेमोक्रेट माग्दालेना ने नवंबर 2021 में जीत हासिल की थी. माग्दालेना एक अर्थशास्त्री भी हैं, जिन्होंने सात साल तक वित्त मंत्री के रूप में काम किया.
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बाकी देश जहां सत्ता के शीर्ष पर महिलाएं
फिलहाल और भी महिला नेता जैसे जॉर्जियाई राष्ट्रपति सैलोम ज़ुराबिशविली, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, कोसोवो की राष्ट्रपति वोजोसा उस्मानी, मोल्दोवा की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मिया संदू और नतालिया गैवरिलिता, सर्बिया की गे एना ब्रनाबिक और स्कॉटलैंड सरकार फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया ज सकता. केके/ओएसजे (एएफपी)
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पिछले साल मरीन तब विवादों में घिर गई थीं जब उनका दोस्तों के साथ पार्टी करते एक वीडियो सार्वजनिक हो गया था.वीडियो में उन्हें शराब पीते और नाचते देखा जा सकता था.तब फिनलैंड में बड़ा ध्रुवीकरण हो गया था क्योंकि सना मरीन के समर्थकों का कहना था कि यह विवाद महिलाओं के प्रति नफरत और भेदभाव की सोच के कारण है और एक नेता के पार्टी करने या शराब पीने में कुछ भी गलत नहीं है.
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कैसे बनेगी सरकार?
एनसीपी नेता ओरपो 53 वर्ष के हैं. दो साल से वह पार्टी के अध्यक्ष पद हैं और सर्वेक्षणों में लोकप्रियता के मामले में सना मरीन से पीछे ही रहे हैं. लेकिन अब उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं और वह गठबंधन की सरकार बना सकते हैं.
फिनलैंड की संसद में 200 सीटें और सरकार बनाने के लिए 100 सांसदों का समर्थन चाहिए. उन्हें अति दक्षिणपंथी रिक्की पुरा और सोशल डेमोक्रैट सना मरीन में से किसी एक को सहयोगी के तौर पर चुनना पड़ सकता है. रिक्की पुरा की पार्टी ‘नुकसानदायक इमिग्रेशन' को कम करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ी थीं. यह पार्टी अपने इस्लाम और प्रवासी विरोध के लिए चर्चित रही है.