सऊदी अरब ने इस्लाम धर्म की दो सबसे पवित्र जगहों मक्का और मदीना में कर्फ्यू लगा दिया है. इसका मकसद कोरोना वायरस को फैलने से रोकना है. इससे पहले उसने हज यात्रा के लिए आने वाले मुसलमानों से बुकिंग में देरी करने को कहा था.
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सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए ने गृह मंत्रालय के हवाले से लिखा कि 24 घंटे का कर्फ्यू गुरुवार से शुरू होकर अगले नोटिस तक जारी रहेगा. इस कर्फ्यू के दौरान सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे. सिर्फ किराना स्टोर, फार्मेसी, पेट्रोल स्टेशन और बैंक खुल रहेंगे. पिछले हफ्ते ही सऊदी अधिकारियों ने राजधानी रियाद के साथ साथ मक्का और मदीना में लोगों के जाने और वहां से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सऊदी अधिकारी पहले हज यात्रा की योजनाओं को रोकने के लिए कह चुके हैं.
सऊदी अरब चाहता है कि जो मुसलमान इस साल हज के लिए आना चाहते हैं, वे कोरोना वायरस से फैली महामारी के बारे में अधिक स्पष्टता होने तक इंतजार करें. हर साल दुनिया भर से मुसलमान हज के लिए मक्का में इकट्ठा होते हैं. मार्च महीने में ही सऊदी अरब ने विदेश से आने वाले मुसलमानों के उमरा पर रोक लगा दी थी. उमरा के लिए साल भर लोग सऊदी अरब जाते हैं.
दुनिया भर से करीब 25 लाख लोग हर साल हज के लिए मक्का में इकट्ठा होते हैं. हर मुसलमान के लिए जीवन में हज करना फर्ज है. हज यात्रा सऊदी सरकार के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है. मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन जुलाई के अंत में शुरू होने वाला है, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप ने इस बारे में सवाल उठाए हैं कि क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने से वायरस बड़े पैमाने पर तो नहीं फैलेगा. सऊदी अरब पहले ही साल भर होने वाले उमरा पर रोक लगा चुका है. साथ ही इसने सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री विमानों की आवाजाही पर भी रोक लगाई हुई है.
पिछले हफ्ते ही उसने मक्का और मदीना समेत कई शहरों में प्रवेश और निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया था. सऊदी अरब में अब तक कोरोना वायरस के कारण 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,563 लोग वायरस से संक्रमित हैं. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान देश में कई आर्थिक सुधारों को लागू कर रहे हैं और ऐसे में लाखों की संख्या में आने वाले हज यात्री देश के लिए आय का बड़ा जरिया हैं.
आधुनिक समय में हज रद्द करना अभूतपूर्व होगा, लेकिन सबसे ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों से आने वाले लोगों की उपस्थिति पर पहले भी अंकुश लगाई जा चुकी है, जैसा कि हाल के समय में इबोला के प्रकोप के दौरान हुआ था. इबोला महामारी के कारण दुनिया भर में अब तक हजारों की मौत हो चुकी है.
चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस पर इतनी चर्चा और गहन रिसर्च के बावजूद हम इस खतरनाक वायरस के बारे में कई अहम बातें नहीं जानते हैं. डालते हैं इन्हीं पर नजर:
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किसके लिए घातक
सबसे बड़ा रहस्य यह है कि 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण या तो दिखते ही नहीं या बहुत कम दिखते हैं. दूसरे लोगों में यह घातक न्यूमोनिया की वजह बन उनकी जान ले लेता है. ब्रिटिश जर्नल लांसेट में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों के नाक और गले में वायरस का जमाव कम पीड़ित लोगों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा होता है.
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और रिसर्च की जरूरत
तो क्या यह माना जाए कि बढ़ती उम्र की वजह से ज्यादा पीड़ित लोगों का प्रतिरोधी तंत्र मजबूती से काम नहीं कर रहा है या फिर वे वायरस के संपर्क में ज्यादा थे? यह सवाल अपनी जगह कायम है. अभी इस बारे में और रिसर्च करने की जरूरत है.
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हवा में वायरस
माना जाता है कि कोरोना वायरस शारीरिक संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदों से फैलता है. तो फिर यह वायरस मौसमी फ्लू फैलाने वाले वायरस की तरह हवा में कैसे रह सकता है?
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वायरस की ताकत
अध्ययन बताते हैं कि नया कोरोना वायरस लैब मे तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि इतनी देर हवा में रहने के बाद भी क्या यह किसी को संक्रमित कर सकता है? पेरिस के सेंट अंटोनी अस्पताल की डॉक्टर कैरीन लाकोम्बे कहती हैं, "हम वायरस ढूंढ तो सकते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि क्या वायरस तब संक्रमण में सक्षम है."
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असल मामले कितने
दुनिया में जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देश ही सघन जांच कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में कोरोना के मामलों की असल संख्या क्या है, यह नहीं पता. ब्रिटिश सरकार ने 17 मार्च को अंदेशा जताया कि 55 हजार लोगों को वायरस लग सकता है जबकि तब तक महज 2000 लोग ही टेस्ट में संक्रमित पाए गए थे.
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नए तरीके की जरूरत
बीमारी से निपटने और इसे रोकने के लिए कुल मरीजों की असल संख्या जानना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और उनका इलाज हो सके. यह तभी संभव होगा जब ब्लड टेस्ट के नए तरीके विकसित किए जा सकें.
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गर्मी से भागेगा कोरोना?
क्या उत्तरी गोलार्ध में वसंत के गर्म दिनों या गर्मी के आने बाद कोविड-19 बीमारी रुक जाएगी? विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव है, लेकिन पक्के तौर पर ऐसा कहना मुश्किल है. फ्लू जैसे सांस संबंधी वायरस ठंडे और सूखे मौसम में ज्यादा टिकते हैं इसीलिए वे सर्दियों में तेजी से फैलते हैं.
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चेतावनी
अमेरिका के मेडिकल हावर्ड स्कूल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव होने से जरूरी नहीं है कि कोविड-19 के मामले रुक जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम से भरोसे रहने की बजाय बीमारी की रोकथाम के सभी प्रयासों को लगातार और तेजी से किए जाने की जरूरत है.
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कोरोना एक पहेली
वयस्कों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 होने का खतरा कम है. जो संक्रमित भी हुए वे ज्यादा बीमार नहीं हुए. बीमार लोगों के साथ रहने वाले बच्चों में भी इस वायरस से लगने की संभावना दो से तीन गुनी कम थी. प्रोफेसर लाकोम्बे कहती हैं, "कोरोना के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो हम अब तक नहीं जानते हैं जो इस वायरस से निपटने में बाधा बन रही हैं." रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)