सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ने कैबिनेट में फेरबदल करते हुए अपने बेटे और उत्तराधिकारी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को देश का प्रधानमंत्री और अपने दूसरे बेटे प्रिंस खालिद को रक्षा मंत्री के रूप में नामित किया है.
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सऊदी अरब के डी फैक्टो शासक माने जाने वाले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को उनके पिता किंग सलमान ने मंगलवार को एक शाही फरमान में देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. इससे पहले वे रक्षा मंत्री का पद संभाल रहे थे.
कैबिनेट बदलाव में किंग सलमान ने अपने दूसरे बेटे प्रिंस खालिद को उप रक्षा मंत्री से रक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त किया है. किंग सलमान ने अपने एक और बेटे प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान को ऊर्जा मंत्री के रूप में बरकरार रखा है.
शाही परिवार के एक अन्य सदस्य प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद को राजशाही में विदेश मंत्री के रूप में बरकरार रखा गया है. प्रिंस फैसल की पैदाइश जर्मनी में हुई थी.
वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान और निवेश मंत्री खालिद अल-फलीह अपने पद पर बने रहेंगे. दोनों का रिश्ता शाही परिवार से नहीं है. ताजा शाही फरमान के मुताबिक 86 वर्षीय किंग सलमान अभी भी सऊदी कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें वह आमतौर पर भाग लेते हैं.
इस ऐलान के बाद सऊदी अरब के सरकारी टीवी ने किंग सलमान को मंगलवार को कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिखाया. किंग सलमान ने 2015 में सत्ता संभाली थी, लेकिन उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती है और हाल के वर्षों में उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है.
महामारी घटी, मौत की सजा बढ़ी
कोविड महामारी का जोर कम होते ही दुनिया में मौत की सजाओं की संख्या बढ़ गई है. पिछले साल 579 लोगों को मौत की सजा दी गई, जिनमें सबसे ज्यादा मरने वाले ईरान के थे.
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बढ़ गई मौत की सजाएं
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि 2021 में 18 देशों के 579 लोगों को मौत की सजा देकर मार दिया गया, जो 2020 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है.
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ईरान सबसे ऊपर
मौत की सजा देने वाले देशों में ईरान सबसे ऊपर है जहां 314 लोगों की जान गई. 2020 में वहां 246 लोगों को मौत की सजा दी गई थी.
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मिस्र में हालात चिंताजनक
मिस्र में 2021 में 83 से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दे दी गई, जो 2020 के मुकाबले 22 प्रतिशत ज्यादा है.
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सऊदी अरब में दोगुनी मौतें
सऊदी अरब में मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या 2020 के मुकाबले दोगुनी हो गई. वहां 2021 में 65 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.
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2,000 से ज्यादा सजाएं
एमनेस्टी की रिपोर्ट कहती है कि 2021 में 56 देशों में अदालतों ने 2,052 लोगों को मौत की सजा सुनाई है. बांग्लादेश, भारत, डीआर कॉन्गो, मिस्र और पाकिस्तान में मौत की सजा सुनाए जाने के मामलों में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई.
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चीन का पता नहीं
रिपोर्ट में चीन के आंकड़े शामिल नहीं हैं लेकिन एक अनुमान है कि वहां एक हजार से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी गई, जो दुनिया में सर्वाधिक है.
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108 देश फांसी-मुक्त
2021 के आखिर तक 108 देशों ने मौत की सजा को पूरी तरह खत्म कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हत्या के अपराध में ही मौत की सजा का प्रावधान है लेकिन कई देशों ने नशीली दवाओं से जुड़े कानूनों में मौत की सजा दी है.
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एमबीएस की छवि सुधारने की कोशिश
क्राउन प्रिंस सलमान को एमबीएस के नाम से भी जाना जाता है, वह सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को बदलने के लिए देश की "विजन 2030" योजना में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में काम कर रहे हैं.
बीते सालों में उन्होंने महिलाओं को कुछ शर्तों के साथ कार चलाने की अनुमति देने जैसे सामाजिक सुधारों का भी प्रयास किया है.
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि सऊदी ने इस सुधार अभियान में केवल मामूली प्रगति की है और इसके उलट नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं, गैर-धार्मिक लोगों और राजशाही से असहमति व्यक्त करने वाले अन्य लोगों पर लगातार कार्रवाई हो रही है.
साल 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी के इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में लापता होने के बाद मोहम्मद बिन सलमान की छवि को गहरा झटका लगा था. बाद में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पाया कि संभवत: क्राउन प्रिंस ने ही उनकी हत्या को मंजूरी दी थी.
खशोगी की हत्या के बाद कई पश्चिमी देशों ने शुरू में खुद को सऊदी से दूर कर लिया, लेकिन फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के नेताओं ने हाल ही में मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत की. क्योंकि पश्चिमी देश जीवाश्म ईंधन के लिए रूस के विकल्प की तलाश कर रहे हैं.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बार कहा था कि वह खशोगी की हत्या पर सऊदी अरब को "अलग-थलग" कर देंगे, लेकिन उन्होंने देश का भी दौरा किया और क्राउन प्रिंस से मुलाकात की. उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक के साथ संबंधों के निरंतर महत्व को स्वीकार करते हुए ऐसा किया था.
पिछले हफ्ते ही जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स खाड़ी देशों के दौरे पर गए थे. वहां पर उन्होंने मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत की थी. उन्होंने वैकल्पिक गैस और तेल की सख्त आवश्यकता को देखते हुए सऊदी अरब में कठिन सवालों से परहेज किया, जिसके लिए उन्हें जर्मनी में आलोचना का भी सामना करना पड़ा. रूस पर ऊर्जा के लिये निर्भर नहीं रहेगा जर्मनी, यूएई से करार
शॉल्त्स ने जेद्दाह में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने और क्राउन प्रिंस ने "नागरिकों और मानवाधिकारों के इर्द-गिर्द घूमने वाले सभी सवालों पर चर्चा की."
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
छोटे बाल, सऊदी की कामकाजी महिलाओं की पसंद
सऊदी अरब में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और इसी के साथ कामकाजी महिलाओं के एक बड़े तबके में छोटे बाल रखने का चलन भी बढ़ रहा है.
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छोटे बाल, नया अंदाज
ये हैं सऊदी अरब की महिला डॉक्टर सफी (बदला हुआ नाम). एक समय में उनके बाल कंधे तक हुआ करते थे. जब उन्होंने रियाद के अस्पताल में नई नौकरी पकड़ी तो उन्होंने लंबे बालों से छुटकारा पाने का फैसला किया. उनका कहना है कि बड़े बालों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा था.
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"बॉय" कट बाल है पसंद
सऊदी अरब में अधिक से अधिक संख्या में महिलाओं रोजगार के क्षेत्र में आ रही हैं. कई महिलाओं का कहना है कि "बॉय" कट बाल रखना ज्यादा व्यावहारिक है.
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छोटे बाल रखने का ट्रेंड बढ़ा
मध्य रियाद में एक हेयरड्रेसर लैमिस ने बताया "बॉय" कट बाल की मांग बढ़ गई है. उनका कहना है कि हर दिन 30 में से सात या आठ महिला ग्राहक इस तरह की कटिंग की मांग करती हैं.
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काम पर छोटे बाल के फायदे
डॉ. सफी कहती हैं कि काम के दौरान यह लुक अवांछित पुरुष ध्यान से सुरक्षा के रूप में भी काम करता है, जिससे वह अपने मरीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं.
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समाज में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी
मोहम्मद बिन सलमान एक दशक के भीतर देश के कार्यस्थल में कम से कम 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी चाहते थे. लेकिन यह लक्ष्य देश ने पहले ही पा लिया. इसी साल मई में दावोस में विश्व आर्थिक मंच में सऊदी पर्यटन मंत्री राजकुमारी हाइफा अल-सऊद ने कहा कि 36 प्रतिशत कार्यबल वर्तमान में महिलाएं हैं.
मोहम्मद बिन सलमान के समय में सऊदी महिलाओं में हिजाब पहनने की प्रवृत्ति में कमी आई है. कई कामकाजी महिलाएं अब सोचती हैं कि कार्यस्थल में हिजाब पहनकर तेजी से चलना मुश्किल है.