सऊदी अरब में बच्चे स्कूलों में जो धार्मिक किताबें पढ़ रहे हैं उसने नफरत और असहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है. हालांकि अधिकारी किताबों में इस तरह की भाषा को हटाने का वादा करते रहे हैं.
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मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब की पाठ्य पुस्तकों में घृणा फैलाने वाली सामग्री की तरफ ध्यान दिलाया है. न्यूयॉर्क स्थित इस समूह के मुताबिक सऊदी अरब के शिक्षा मंत्रालय ने 2016-17 के लिए धार्मिक विषय पर जो पुस्तकें तैयार की हैं, उनमें "नफरत भरी और उत्तेजक भाषा का इस्तेमाल किया गया है."
इन किताबों में उन इस्लामी परंपराओं को तुच्छ बताया गया है जो सुन्नी इस्लाम को लेकर सऊदी अरब की कट्टर व्याख्या के अनुरूप नहीं हैं. इनमें खास तौर से सूफी और शिया समुदायों से जुड़ी धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक किताबों में यहूदी और ईसाइयों को "काफिर" बताया गया है और उनसे मुसलमानों को दूर रहने की हिदायत दी गयी है.
मध्य पूर्व के लिए ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक सारा लीह कहती हैं, "सऊदी अरब में पहली क्लास के बच्चों को दूसरे धार्मिक समुदायों के प्रति नफरत का पाठ पढ़ाया जा रहा है. किताबों में ऐसे अध्याय साल दर साल पढ़ाये जा रहे हैं."
सऊदी अरब को बदलने चला एक नौजवान शहजादा
31 साल के सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने फैसलों से ना सिर्फ सऊदी अरब में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में खलबली मचा रखी है. जानिए वह आखिर क्या करना चाहते हैं.
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अहम जिम्मेदारी
शाह सलमान ने अपने 57 वर्षीय भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस घोषित किया है. प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ से अहम गृह मंत्रालय भी छीन लिया गया है.
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संकट में मध्य पूर्व
सुन्नी देश सऊदी अरब में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब एक तरफ ईरान के साथ सऊदी अरब का तनाव चल रहा है तो दूसरी तरफ कतर से रिश्ते तोड़ने के बाद खाड़ी देशों में तीखे मतभेद सामने आये हैं.
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सब ठीक ठाक है?
कुछ लोगों का कहना है कि यह फेरबदल सऊद परिवार में अंदरूनी खींचतान को दिखाता है. लेकिन सऊदी मीडिया में चल रही एक तस्वीर के जरिये दिखाने की कोशिश की गई है कि सब ठीक ठाक है. इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ का हाथ चूम रहे हैं.
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तेजी से बढ़ता रुतबा
2015 में सऊदी शाह अब्दुल्लाह का 90 की आयु में निधन हुआ था. उसके बाद शाह सलमान ने गद्दी संभाली है. तभी से मोहम्मद बिन सलमान का कद सऊदी शाही परिवार में तेजी से बढ़ा है.
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सत्ता पर पकड़
नवंबर 2017 में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सुधारों के समर्थक
नये क्राउन प्रिंस आर्थिक सुधारों और आक्रामक विदेश नीति के पैरोकार हैं. तेल पर सऊदी अरब की निर्भरता को कम करने के लिए मोहम्मद बिन सलमान देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहते हैं.
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तेल का खेल
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उसकी जीडीपी का एक तिहायी हिस्सा तेल उद्योग से आता है जबकि सरकार को मिलने वाले राजस्व के तीन चौथाई का स्रोत भी यही है. लेकिन कच्चे तेल के घटते दामों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है.
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सत्ता पर पकड़
मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस होने के अलावा उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा तेल और आर्थिक मंत्रालय भी उनकी निगरानी में हैं, जिसमें दिग्गज सरकारी तेल कंपनी आरामको का नियंत्रण भी शामिल है.
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जंग छेड़ी
पिता के गद्दी संभालते ही युवा राजकुमार को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने कई अरब देशों के साथ मिलकर यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ जंग शुरू की.
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आक्रामक विदेश नीति
यमन में हस्तक्षेप सऊदी विदेश नीति में आक्रामकता का संकेत है. इसके लिए अरबों डॉलर के हथियार झोंके गये हैं. इसके चलते सऊदी अरब के शिया प्रतिद्वंद्वी ईरान पर भी दबाव बढ़ा है.
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ईरान पर तल्ख
ईरान को लेकर मोहम्मद बिन सलमान के तेवर खासे तल्ख हैं. वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरह ईरान को मध्य पूर्व में अस्थिरता की जड़ मानते हैं. उन्हें ईरान के साथ कोई समझौता मंजूर नहीं.
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युवा नेतृत्व
प्रिंस मोहम्मद सऊदी अरब में खूब लोकप्रिय हैं. उनके उभार को युवा नेतृत्व के उभार के तौर पर देखा जा रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से कई लोगों को बहुत उम्मीदें हैं.
मानवाधिकार संगठन का कहना है कि उसने 45 किताबों का विश्लेषण किया. सऊदी अधिकारी नफरत भरी भाषा को हटाने की बात बराबर करते हैं, लेकिन किताबों में अभी कोई बदलाव नहीं किया गया है. अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद पहली बार सऊदी अरब की पाठ्यपुस्तकों को लेकर विवाद हुआ था. सऊदी अरब पर दुनिया को कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा निर्यात करने का आरोप लगता है. आतंकवादी संगठन अल कायदा का नेता ओसामा बिन लादेन सऊदी नागरिक था.
सऊदी अरब में धार्मिक नियमों की आलोचना करने पर कई लोगों को जेलों में डाला गया है. 2014 में सऊदी अरब की एक कोर्ट ने उदारवादी ब्लॉगर रइफ बदावी को अपने ब्लॉग में इस्लाम का अपमान करने का दोषी पाया था. एक साल बाद एक उच्च अदालत ने उन्हें मिली 10 साल की कैद और एक हजार कोड़ों की सजा को बरकरार रखा. दुनिया भर में यह मामला सुर्खियां में रहा है और इस मुद्दे पर सऊदी अरब को खासी आलोचना भी झेलनी पड़ी.
एके/एमजे (डीपीए)
शादी के कानून जो होश उड़ा देंगे
दुनिया में शादी के लिए ऐसे ऐसे कानून हैं कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे. कहां...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rubio
सऊदी अरब
सऊदी अरब में कोई पुरुष पाकिस्तान, बांग्लादेश, चाड या म्यानमार की महिला से शादी नहीं कर सकता.
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अमेरिका
कॉलराडो, कैलिफॉर्निया, टेक्सस और मॉन्टाना में अगर कोई एक पार्टनर सेना में है तो उसकी गैरहाजरी में भी शादी हो सकती है. मतलब कोई एक भी मौजूद हो तो शादी हो जाएगी.
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जापान
यहां बड़ा भाई अपने छोटे भाई की गर्लफ्रेंड को शादी के लिए कानूनन प्रपोज कर सकता है.
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फ्रांस
यहां आप मरने के बाद भी शादी कर सकते हैं. मतलब अगर कोई व्यक्ति मर चुका है और कोई आपसे शादी करना चाहता तो फ्रांस में इसकी इजाजत है.
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मोनाको
मोनाको में छिप-छिपाकर शादी नहीं की जा सकती. जब तक उसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं होगी, शादी वैध नहीं होगी.
ग्रीस
यूनान में भी शादी का ऐलान जरूरी है. लेकिन इसका तरीका अनोखा है. एक कागज पर दोनों का नाम लिखकर शहर प्रशासन के दरवाजे के दफ्तर पर चिपका दीजिए. 10 दिन तक यह चिपका रहे तो हो गई शादी.
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इंग्लैंड ऐंड वेल्स
यहां शादी एक स्थायी इमारत में ही हो सकती है, वह भी किसी एक छत के नीचे. मतलब खुले आसमान के नीचे शादी नहीं की जा सकती.