सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन का कहना है कि वह रमजान के महीने में यमन में राजनीतिक बातचीत और शांति प्रयासों को आसान बनाना चाहता है. हालांकि हूथी विद्रोहियों ने संघर्ष विराम की पेशकश को नामंजूर कर दिया है.
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सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने मंगलवार को कहा कि उसने संकट का राजनीतिक समाधान खोजने के प्रयास में यमन में अपने सैन्य अभियानों को स्थगित करने का फैसला किया है. हालांकि ईरान द्वारा समर्थित बागी हूथियों ने यमन के बंदरगाहों और हवाई अड्डों को पूरी तरह से फिर से खोले बिना युद्धविराम के गठबंधन के आह्वान को खारिज कर दिया और इसे "अर्थहीन" बताया है.
गठबंधन के इस कदम के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पवित्र महीने रमजान के दौरान संघर्ष विराम की अपील की है, रमजान का महीना दो अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है. सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "यह यमन में गठबंधन के सैन्य अभियानों की समाप्ति की घोषणा है, जो बुधवार 30 मार्च, 2022 को स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे से प्रभावी होगा."
हूथी को नामंजूर संघर्ष विराम
सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के प्रवक्ता तुर्की अल-मलिकी ने एक बयान में कहा कि गठबंधन "युद्धविराम को सफल बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा और रमजान के पवित्र महीने के दौरान सकारात्मक माहौल बनाएगा. ताकि शांति स्थापित कर इस संकट को समाप्त किया जा सके."
क्लस्टर बम यानी मौत की बारिश
क्लस्टर म्युनिशन कोएलिशन की रिपोर्ट से पता चला कि 2015 में क्लस्टर बमों की वजह से 400 लोग मारे गए. ज्यादातर मौतें सीरिया, यमन और यूक्रेन में हुईं. इन बमों के बारे में क्या जानते हैं आप?
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पहली बार
क्लस्टर बमों का इस्तेमाल सबसे पहले 1943 में सोवियत और जर्मन फौजों ने किया था. तब से अब तक 200 तरह के क्लस्टर बम बनाए जा चुके हैं.
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कैसे मारते हैं
एक क्लस्टर बम असल में सैकड़ों छोटे छोटे बमों का संग्रह होता है. इन्हें जब हवा से फेंका जाता है तो ये बीच रास्ते में फट कर सैकड़ों बमों में बदल जाते हैं और बहुत बड़े इलाके तबाह करते हैं.
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किसने चलाए
2016 की क्लस्टर म्युनिशन रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया और सऊदी अरब की फौजों ने सीरिया और यमन में क्लस्टर बम चलाए.
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सबसे घातक
युद्धों में 2015 में कुल जितने असैन्य नागरिक मारे गए हैं उनमें से 97 फीसदी की मौत क्लस्टर बमों का शिकार होकर हुई है.
तस्वीर: AP/Human Rights Watch
अब तक 20 हजार
1960 के दशक से अब तक क्लस्टर बम 20 हजार से ज्यादा जानें ले चुके हैं. क्लस्टर बमों से अब तक कुल 55 हजार जानें जाने का अनुमान है.
तस्वीर: AP
सबसे पीड़ित कौन
क्लस्टर बमों ने सबसे ज्यादा तबाही वियतनाम और लाओस में मचाई है. उसके बाद इराक और कंबोडिया का नंबर है. अब तक 24 देशों के लोग इनसे प्रभावित हुए हैं.
तस्वीर: Universität von Belgrad
बैन की रणनीति
30 मई 2008 को 100 से ज्यादा देशों के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत क्लस्टर बमों का निर्माण, संग्रहण और इस्तेमाल तक बैन कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
अब तक 119
क्लस्टर बमों को बैन करने के समझौते पर अब तक 119 देशों ने दस्तखत किए हैं. लेकिन अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, वेनेजुएला, अर्जेन्टीना, इस्राएल, ग्रीस, मिस्र और ईरान जैसे बड़े देश इस समझौते से बाहर हैं.
तस्वीर: US Army
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लेकिन सना हवाई अड्डे और देश के बंदरगाहों को लगातार बंद करने और देश पर गठबंधन के प्रतिबंधों के कारण ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने युद्धविराम की पेशकश को नामंजूर कर दिया है. हूथी समूह के एक अधिकारी मोहम्मद अल-बुकती ने एक ट्वीट में कहा, "अगर नाकाबंदी नहीं हटाई गई, तो आक्रामक गठबंधन द्वारा अपने सैन्य अभियानों को निलंबित करने की घोषणा बेमतलब है, क्योंकि नाकाबंदी के कारण यमन के लोगों को होने वाली मुश्किलें युद्ध से ज्यादा भयंकर है."
यमन युद्ध की शुरुआत 2014 में हुई थी जब ईरान द्वारा समर्थित बागी हूथियों ने राजधानी सना समेत उत्तर के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया था. महीनों बाद अमेरिका द्वारा समर्थित और सऊदी अरब के नेतृत्व में एक गठबंधन ने हस्तक्षेप किया. गठबंधन ने बागियों से सत्ता छीन ली और एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार बनवा दी. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी सात साल पुराने संघर्ष को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया है, और अगर संघर्ष विराम सफल होता है तो यह पिछले तीन वर्षों में शांति प्रयासों में सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा.
हाल के सालों में यह एक छद्म युद्ध बन गया है जिसने 1,50,000 लोगों की जान ले ली है. मरने वालों में 14,500 से भी ज्यादा आम लोग थे. युद्ध ने दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट को भी जन्म दे दिया है. आज देश की करीब 3.2 करोड़ आबादी में अधिकांश लोग हूथी नियंत्रत इलाकों में हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यमन वर्तमान में दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट से जूझ रहा है, जिसमें लगभग दो करोड़ लोग या देश की एक तिहाई आबादी को किसी भी सहायता की सख्त जरूरत है.
एए/सीके (एएफपी, एपी,रॉयटर्स)
कोरोना से ज्यादा भुखमरी से मर रहे लोग
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम का कहना है कि दुनिया भर में हर एक मिनट में 11 लोगों की मौत भूख के कारण हो जाती है. विश्व में अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना करने वालों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना वृद्धि हुई.
तस्वीर: Florian Lang/Welthungerhilfe
कोरोना पर भी भारी भुखमरी
ऑक्सफैम ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक "हंगर वायरस मल्टीप्लाइज" दिया है. गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम का कहना है कि भुखमरी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हो गई है. कोविड-19 से दुनिया में हर एक मिनट में करीब सात लोगों की मौत होती है.
तस्वीर: Laetitia Bezain/AP/picture alliance
एक साल में बढ़ी संख्या
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल में अकाल जैसे हालात का सामना करने वाले लोगों की संख्या पूरी दुनिया में छह गुना बढ़ गई है. ऑक्सफैम अमेरिका के अध्यक्ष और सीईओ एबी मैक्समैन के मुताबिक, "आंकड़े चौंका देने वाले हैं, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि ये आंकड़े अकल्पनीय पीड़ा का सामना करने वाले अलग-अलग लोगों से बने हैं. यहां तक की एक व्यक्ति भी बहुत अधिक है."
तस्वीर: Eshete Bekele/DW
15.5 करोड़ लोगों के सामने खाद्य असुरक्षा का संकट
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में करीब 15.5 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा के भीषण संकट का सामना कर रहे हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में दो करोड़ ज्यादा है. इनमें से करीब दो तिहाई लोग भुखमरी के शिकार हैं और इसका कारण है उनके देश में चल रहा सैन्य संघर्ष.
तस्वीर: Jack Taylor/Getty Images
कोविड और जलवायु परिवर्तन का भी असर
एबी मैक्समैन का कहना है, "आज कोविड-19 के कारण आर्थिक गिरावट और निरंतर संघर्षों और जलवायु संकट ने दुनिया भर में 5.20 लाख से अधिक लोगों को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है." उन्होंने कहा वैश्विक महामारी से निपटने के बजाय युद्धरत गुट एक दूसरे से लड़ाई लड़ रहे हैं. जिसका सीधा असर ऐसे लाखों लोगों पर पड़ता है जो पहले से ही मौसम से जुड़े आपदाओं और आर्थिक झटकों से कराह रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/M. Hamoud
महामारी में भी सैन्य खर्च
ऑक्सफैम का कहना है कि महामारी के बावजूद वैश्विक सैन्य खर्च बढ़कर 51 अरब डॉलर हुआ है. यह राशि भुखमरी को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को जितने धन की जरूरत है उसके मुकाबले कम से कम छह गुना ज्यादा है.
तस्वीर: Ismail Hakki/AFP/Getty Images
इन देशों में स्थिति बेहद खराब
रिपोर्ट में उन देशों को शामिल किया गया है जो भुखमरी से "सबसे ज्यादा प्रभावित" हैं. इसमें अफगानिस्तान, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन शामिल हैं. इन सभी देशों में संघर्ष जारी है.
ऑक्सफैम का कहना है कि भुखमरी को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. लोगों को भोजन और पानी से वंचित रखकर, मानवीय सहायता में बाधा पहुंचाकर भुखमरी को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑक्सफैम के मुताबिक जब उनके बाजारों, खेतों और जानवरों पर बमबारी हो रही हो तो वे सुरक्षित रूप से नहीं रह सकते या भोजन नहीं तलाश सकते हैं.
तस्वीर: Nabeel al-Awzari/REUTERS
संघर्ष रोकने की अपील
संस्था ने सरकारों से हिंसक संघर्षों को रोकने का आग्रह किया है. संस्था ने सरकारों से संघर्षों को विनाशकारी भूख पैदा करने से रोकने की अपील की है. उसने कहा है कि सरकारें यह सुनिश्चित करें कि जरूरतमंदों तक राहत एजेंसियां पहुंच सकें और दान देने वाले देशों से कहा है कि वह यूएन के प्रयासों को तुरंत निधि दें.