सऊदी अरब में पहली बार महिलाओं के लिए जांच एजेंसियों के दरवाजे खोले जा रहे हैं. देश के अभियोजक कार्यालय का कहना है कि सऊदी महिलाओं को अब जांचकर्ताओं के तौर पर भर्ती किया जाएगा.
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सरकारी अभियोजन कार्यालय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि सरकारी अभियोजन कार्यालय में महिलाओं के लिए लेफ्टिनेंट जांचकर्ता के रिक्त पद मौजूद हैं. इस कदम को रुढ़िवादी सऊदी समाज में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
सऊदी अरब के सूचना मंत्रालय का कहना है कि पद के लिए आवेदन करने वाली उम्मीदवारों के पास शरिया या फिर सूचना तकनीक में कॉलेज डिग्री होनी चाहिए. उम्मीदवारों का चुनाव परीक्षा के जरिए होगा. योग्य पाई गई महिलाओं को पांच शहरों में तैनात किया जाएगा जिनमें रियाद, जेद्दाह, पूर्वी प्रांत में दम्माम और पवित्र शहर मक्का और मदीना शामिल हैं.
सऊदी अरब में कब-कब मिले महिलाओं को अधिकार
सऊदी अरब को महिलाओं के दृष्टिकोण से एक पिछड़ा देश माना जाता है. यहां महिलाओं के अधिकार पुरुषों की तुलना में कम हैं. जानिए सऊदी अरब में किन-किन सालों में ऐसे बड़े बदलाव हुए जो महिलाओं को बराबरी देते हैं.
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1955: लड़कियों के लिए पहला स्कूल
सऊदी अरब में लड़कियों के लिए पहला स्कूल दार-अल-हनन 1955 में खोला गया, उस साल तक कुछ ही लड़कियों को किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलता था. इसी तरह लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल 1961 में खोला गया था.
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1970: लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी
लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी "रियाद कॉलेज ऑफ एजुकेशन" थी जो साल 1970 में खोली गयी थी. यह देश में महिलाओं की उच्ची शिक्षा के लिए पहली यूनिवर्सिटी थी.
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2001: महिलाओं का पहचान पत्र
21वीं सदी के साथ सऊदी अरब में एक और नई शुरूआत हुई और यह शुरुआत थी महिलाओं के पहचान पत्र की. हालांकि यह पहचान पत्र महिला के अभिभावक की स्वीकृति से जारी किये जाते थे, लेकिन 2006 से बिना किसी इजाजत के महिलाओं को पहचान पत्र जारी किये जा रहे हैं.
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2005: जबरन शादी का अंत
सऊदी अरब ने जबरन शादी पर 2005 में रोक लगाया. हालांकि, विवाह प्रस्ताव लड़के और लड़की के पिता के बीच तय होना जारी रहा.
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2009: पहली महिला मंत्री
2009 में राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सरकार में पहली महिला मंत्री नियुक्त किया और इस तरह नूरा अल-फैज महिला मामलों के लिए उप शिक्षा मंत्री बनीं.
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2012: पहली महिला ओलंपिक एथलीट्स
सऊदी अरब ने पहली बार महिला एथलीट्स को ओलंपिक की राष्ट्रीय टीम में हिस्सा लेने की अनुमति दी. इन खिलाड़ियों में सारा अत्तार थीं, जो 2012 के ओलंपिक खेलों में लंदन में स्कार्फ पहन कर 800 मीटर की रेस दौड़ीं.
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2013: महिलाओं को साइकिल/मोटरसाइकिलों की सवारी करने की अनुमति
सऊदी नेताओं ने महिलाओं को 2013 में पहली बार साइकिल और मोटरबाइक की सवारी करने की अनुमति दी. हालांकि, इस पर भी शर्ते थीं महिलाएं केवल मनोरंजक क्षेत्रों में, पूरे शरीर को ढंक कर और एक पुरुष रिश्तेदार की उपस्थित में सवारी कर सकती थीं.
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2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
तस्वीर: Getty Images/F.Nureldine
2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
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2015: वोट देने का अधिकार
2015 में सऊदी अरब के नगरपालिका चुनाव में, पहली बार महिलाओं ने वोट डाला साथ ही उन्हें इन चुनावों में उम्मीदवार बनने का भी मौका मिला. इसके विपरीत, 1893 में, महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था. जर्मनी ने 1919 में ऐसा किया था.
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2017: सऊदी स्टॉक एक्सचेंज की पहली महिला प्रमुख
फरवरी 2017 में, सऊदी अरब स्टॉक एक्सचेंज ने सारा अल सुहैमी के रूप में अपनी पहली महिला अध्यक्ष को नियुक्त किया था. इससे पहले 2014 में वह नेशनल कामर्शियल बैंक (एनसीबी) की पहली महिला सीईओ भी बनाई जा चुकी थीं.
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2018: महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी
26 सितंबर, 2017 को, सऊदी अरब ने घोषणा की कि महिलाओं को जल्द ही ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी. जून 2018 से उन्हें गाड़ी के लाइसेंस के लिए अपने पुरुष अभिभावक से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी साथ ही गाड़ी चलाने के लिए अपने संरक्षक की भी जरूरत नहीं होगी.
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इससे पहले जनवरी में सऊदी अरब के न्याय मंत्रालय ने कहा था कि वह सामाजिक शोधार्थी, प्रशासनिक सहायक, इस्लामिक न्यायशास्त्र शोधार्थी और कानूनी शोधार्थी के तौर पर 300 महिलाओं की भर्ती करना चाहता है.
सितंबर में शाह सलमान ने सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिया था. यह फैसला इस साल जून से लागू हो जाएगा. सऊदी अरब में महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगी रोक को हटाने का श्रेय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दिया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि बदलना चाहते हैं. क्राउन प्रिंस सऊदी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करने के लिए अपने 'विजन 2030' पर काम कर रहे हैं. इसके तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाने हैं.
एके/एमजे (डीपीए)
इन हकों के लिए अब भी तरस रही हैं सऊदी महिलाएं
सऊदी अरब में लंबी जद्दोजहद के बाद महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार तो मिल गया है. लेकिन कई बुनियादी हकों के लिए वे अब भी जूझ रही हैं.
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पुरुषों के बगैर नहीं
सऊदी अरब में औरतें किसी मर्द के बगैर घर में भी नहीं रह सकती हैं. अगर घर के मर्द नहीं हैं तो गार्ड का होना जरूरी है. बाहर जाने के लिए घर के किसी मर्द का साथ होना जरूरी है, फिर चाहे डॉक्टर के यहां जाना हो या खरीदारी करने.
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फैशन और मेकअप
देश भर में महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए कपड़ों के तौर तरीकों के कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. बाहर निकलने वाले कपड़े तंग नहीं होने चाहिए. पूरा शरीर सिर से पांव तक ढका होना चाहिए, जिसके लिए बुर्के को उपयुक्त माना जाता है. हालांकि चेहरे को ढकने के नियम नहीं हैं लेकिन इसकी मांग उठती रहती है. महिलाओं को बहुत ज्यादा मेकअप होने पर भी टोका जाता है.
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मर्दों से संपर्क
ऐसी महिला और पुरुष का साथ होना जिनके बीच खून का संबंध नहीं है, अच्छा नहीं माना जाता. डेली टेलीग्राफ के मुताबिक सामाजिक स्थलों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार भी अलग अलग होते हैं. सामाजिक स्थलों जैसे पार्कों, समुद्र किनारे और यातायात के दौरान भी महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था होती है. अगर उन्हें अनुमति के बगैर साथ पाया गया तो भारी हर्जाना देना पड़ सकता है.
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रोजगार
सऊदी सरकार चाहती है कि महिलाएं कामकाजी बनें. कई सऊदी महिलाएं रिटेल सेक्टर के अलावा ट्रैफिक कंट्रोल और इमरजेंसी कॉल सेंटर में नौकरी कर रही हैं. लेकिन उच्च पदों पर महिलाएं ना के बराबर हैं और दफ्तर में उनके लिए खास सुविधाएं भी नहीं है.
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आधी गवाही
सऊदी अरब में महिलाएं अदालत में जाकर गवाही दे सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी गवाही को पुरुषों के मुकाबले आधा ही माना जाता है. सऊदी अरब में पहली बार 2013 में एक महिला वकील को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला था.
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खेलकूद में
सऊदी अरब में लोगों के लिए यह स्वीकारना मुश्किल है कि महिलाएं भी खेलकूद में हिस्सा ले सकती हैं. जब सऊदी अरब ने 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन भेजा तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें "यौनकर्मी" कह कर पुकारा. महिलाओं के कसरत करने को भी कई लोग अच्छा नहीं मानते हैं. रियो ओलंपिक में सऊदी अरब ने चार महिला खिलाड़ियों को भेजा था.
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संपत्ति खरीदने का हक
ऐसी औपचारिक बंदिश तो नहीं है जो सऊदी अरब में महिलाओं को संपत्ति खरीदने या किराये पर लेने से रोकती हो, लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं के लिए ऐसा करना खासा मुश्किल काम है.