बाधाओं को तोड़ रही हैं सऊदी महिलाएं
२ जून २०२३इस हफ्ते, सऊदी अरब की महिलाएं खामोशी के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंच गईं. कैंसर पर शोध करने वाली 34 वर्षीय रय्याना बरनावी ने रियाद स्थित अपने कार्यक्षेत्र की अदला-बदली करते हुए किंग फैसल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल को बदलकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एक मोबाइल लैब को नया कार्यक्षेत्र चुना.
दस दिन तक वो यहां रिसर्च करेंगी और आईएसएस रेडियो स्टेशन के जरिये सऊदी छात्रों के साथ प्रश्नोत्तर सत्र की मेजबानी करेंगी. बाहरी स्पेस यानी अंतरिक्ष से उन्होंने ट्वीट करना भी शुरू कर दिया है, जिसमें उन्होंने धरती पर वैश्विक दोस्तों के साथ सेल्फी शेयर की है. इन तस्वीरों में वो न सिर्फ अपने काम की जानकारी दे रही हैं और उन तस्वीरों को दिखा रही हैं बल्कि अपनी दादी की कान की बालियां भी दिखा रही हैं.
कहने का मतलब यह कि बाहरी स्पेस में बरनावी की मौजूदगी यह दिखा रही है कि सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति में किस तरह के बदलाव आये हैं जिन्हें 2018 तक गाड़ी चलानी की अनुमति नहीं थी, वो अब अंतरिक्ष में जा रही हैं और तमाम क्षेत्रों में अकेले काम कर रही हैं.
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
साल 2016 में देश के वास्तविक नेता क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जिन्हें आमतौर पर MBS के नाम से जाना जाता है, उन्होंने विजन 2030 नाम से सुधारों की एक प्रक्रिया की शुरुआत की जिसका मकसद समाज और अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाना था.
हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ता बताते हैं कि सुधारों की वजह से राजनीतिक प्रतिरोध अथवा मानवाधिकार जैसे मामलों में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. बड़े संगठनों का अनुमान है कि ऐसे मामलों में सैकड़ों कैदी सजा काट रहे हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं. कई लोगों को तो मौत की सजा भी हुई है.
फिर भी, खासतौर पर महिलाओं के संदर्भ में स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
सऊदी अरब के भावी शहर नियोम का स्याह पक्ष
साल 2019 में, पुरुष अभिभावक संबंधी कानून को खत्म कर दिया गया और महिलाओं को अकेले रहने, पासपोर्ट के लिए आवेदन करने और बिना किसी पुरुष अभिभावक की सहमति के अपने व्यवसाय खोलने जैसे अधिकार दे दिये गये. इससे पहले, व्यवसाय शुरू करने की स्थिति में उन्हें अपने पिता, पति अथवा भाई की सहमति लेना जरूरी था.
सऊदी अरब की अग्रणी लक्जरी कम्युनिकेशन कंसल्टेंसी निशे अरेबिया की सीईओ मरियम मोसाली कहती हैं कि इन सुधारों की वजह से बड़े बदलाव हुए हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "सऊदी महिलाओं में महत्वाकांक्षा पहले भी थी, भले ही नाम उजागर नहीं होता था. विजन 2030 के आने से पहले भी सऊदी महिलाएं सुर्खियों में थीं. हम लोग काम कर रहे थे लेकिन हमारी तस्वीरें कभी भी कॉर्पोरेट वेबसाइट पर नहीं छपती थीं. हम व्यापार में निवेश कर रहे थे लेकिन हम ब्रांड का चेहरा कभी नहीं बन पाए, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है.”
मोसाली कहती हैं कि वो रय्याना बरनावी की अंतरिक्ष यात्रा को लेकर काफी रोमांचित हैं. वो कहती हैं, "इसका दूरगामी प्रभाव होगा क्योंकि लड़कियां देख रही हैं कि अब महिलाएं अंतरिक्ष में जा रही हैं, वित्तीय संस्थाओं की प्रमुख बन रही हैं और यहां तक कि राजदूत भी. ये लड़कियां अब कभी नहीं सोचेंगी कि वे खुद भी ऐसी सफलता हासिल नहीं कर सकती हैं.”
जर्मनी स्थित थिंक टैंक कार्पो में सीनियर रिसर्रचर सेबेस्टियन सन्स इस समय रियाद में हैं. वे भी इस व्यापक बदलाव की जमीनी हकीकत को बयां करते हैं, "छह साल पहले की तुलना में रियाद अब बिल्कुल बदल गया है. दुनिया में जैसे और जगहों पर होता है वो यहां भी दिख रहा है. मसलन, महिलाएं उन कैफे में अपने लैपटॉप पर काम करती मिल जाएंगी जहां महिला और पुरुष दोनों जाते हैं. इसके अलावा कई महिलाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता का परचम भी फहराया है.”
सऊदीकरण से महिलाओं को लाभ
बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने 2022 में मध्य पूर्व के टेक ब्रांड्स की सफलता के पीछे जिन शीर्ष 20 महिलाओं को रखा है, उनमें जूली बारबियर लेबलान भी एक हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं कि इस बदलाव के पीछे दो और कारण भी हैं, "ज्यादातर महिलाओं को उनके परिवार से समर्थन मिल रहा है और साथ ही सऊदीकरण कानूनों से भी.”
सऊदीकरण कानूनों को अरबी में निताकत कहते हैं. ये कानून दरअसल, उन नियमों के समूह हैं जिन्हें 1970 के दशक में उद्योगों में सऊदी लोगों के रोजगार को बढ़ाने के लिए लाया गया था क्योंकि तब रोजगार सेक्टर में विदेशी लोगों का दबदबा था.
सन्स कहते हैं, "सऊदीकरण विजन 2030 का एक प्रमुख पहलू बन गया है क्योंकि सऊदीकरण रोजगार में सऊदी लोगों के लिए कोटा यानी आरक्षण निर्धारित करता है. और यदि कंपनियों में सऊदी लोगों की संख्या पर्याप्त नहीं रहती यानी यह कोटा पूरा नहीं होता तो कंपनियों पर जुर्माना लगता है.”
इन नियमों की वजह से महिला रोजगार में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है. जनरल अथॉरिटी फॉर स्टैटिस्टिक्स GASTAT की हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि 2022 में तीन महीने में ही सऊदी महिलाओं की बेरोजगारी दर 20.5 फीसद से घटकर 15.4 फीसद रह गई थी.
लैंगिक असमानता बनी हुई है
यह ठीक है कि पहले की तुलना में अब महिलाओं को ज्यादा वैतनिक काम मिल रहा है, बावजूद इसके, उन्हें अपने पुरुष साथियों की तुलना में कम पैसा मिल रहा है. यूरोपियन सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ESOHR) ने अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस के मौके पर 18 सितंबर 2022 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि सरकारी क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के बीच वेतन में 4 फीसद तक का अंतर था जबकि निजी क्षेत्र में यह अंतर 36 फीसदी तक था. यह अलग बात है कि आधिकारिक तौर पर सऊदी अरब की सरकार पारिश्रमिक में किसी तरह के लैंगिक भेदभाव पर रोक लगाने का दावा करती है.
हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट ‘महिलाएं, व्यापार और कानून' में कहा गया था, "जब बात शादी से संबंधित बाधाओं, बच्चों के बाद महिलाओं के काम करने संबंधी कानून और संपत्ति और विरासत में लैंगिक भेदभाव की आती है तो सऊदी अरब सरकार को महिलाओं की कानूनी समानता को सुनिश्चित करने के लिए और सुधार करने चाहिए.”
चीन में ईरान और सऊदी की हैरानी भरी सुलह
एंटरप्रेन्योर माहा शिराह पिछले पांच-साल से देख रही हैं कि अपना व्यवसाय शुरू करने वाली महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. शिराह सऊदी अरब की पहली महिला कार्यस्थल SheWorks की संस्थापक हैं. उन्हें यकीन है कि उन जैसी तमाम महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी के पास बहुत से नये मौके हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "2016 के बाद जो बदलाव शुरू किये गये, उन्होंने महिला उद्यमियों को काफी बेहतर तरीके से प्रभावित किया है.”
शिराह का लक्ष्य है कि वो SheWorks महिला उद्यमियों के लिए एक इन्क्यूबेटर साबित हो. वो कहती हैं, "मुझे लगता है कि मेरी महत्वाकांक्षा की कोई सीमा नहीं है. लोग बदलाव के लिए तैयार हैं, आबादी युवा है और सीखने की इच्छुक है.”